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गोड्डा का राज कचहरी तालाब परिसर, जिसके चबूतरे से उठी थी अगस्त क्रांति की आग, जानिए इसका ऐतिहासिक महत्व

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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Jan 26, 2024, 7:35 AM IST

Historical significance of Rajkachari Pond. गोड्डा के राज कचहरी तालाब परिसर का ऐतिहासिक महत्व से पूरा जिला वाकिफ है. स्वतंत्रता संग्राम के दिनों में यहां के चबूतरे पर बैठकर अंग्रेजों से लोहा लेने की रणनीति तय की जाती थी. ईटीवी भारत की रिपोर्ट से जानिए, किस तरह यहां से जली थी अगस्त क्रांति की मशाल.

Historical importance of Rajkachari Pond complex of Godda
गोड्डा के राजकचहरी तालाब परिसर का ऐतिहासिक महत्व

जानिए, गोड्डा के राज कचहरी तालाब परिसर का ऐतिहासिक महत्व

गोड्डाः जिला के राज कचहरी तालाब परिसर में तय होता था कि सुबह कहां अंग्रेजी हुकूमत की नींद उड़ानी है और फिर सवेरे से ही क्रांतिकारी अपने मिशन पर लग जाते थे. इस दौरान उन लोगों को यातनाएं झेलनी पड़ी, जेल जाना पड़ा फिर भी वो नहीं हारे.

गोड्डा की धरती स्वतंत्रता संग्राम के ढेर सारे आंदोलनों का गवाह रहा है. लेकिन भारत छोड़ो आंदोलन खास तौर पर अगस्त क्रांति की रणनीति राज कचहरी तालाब के परिसर में बनता था. जहां पूरे भागलपुर प्रमंडल और वर्तमान संथाल परगना प्रमंडल के आंदोलन की रणनीति तैयार होती थी. अगस्त क्रांति की मशाल गोड्डा में राज कचहरी तालाब परिसर स्थित चबूतरे पर बैठ बनी थी.

दरअसल तत्कालीन समय में ये इलाका बनैली स्टेट की रियासत का हिस्सा था. जिसके अंदर भागलपुर प्रमंडल व संथाल परगना गोड्डा का बड़ा इलाका था. 1925 में बनैली स्टेट के द्वारा राज कचहरी तालाब दान स्वरूप जनता को दिया गया था. जिससे एक वक्त पूरे गोड्डा को पेयजल उपलब्ध कराया जाता था. आगे चलकर यही स्थल स्वतंत्रता सेनानियों के लिए कर्म स्थली बनी, जहा से आंदोलन की रणनीति बनती थी.

स्वतंत्रता सेनानी रमन झा कहा करते थे कि उन्हें बनैली स्टेट जमींदार का भरपूर सहयोग मिलता था. यहीं पर उनके कई साथी जैसे पूर्व सांसद जगदीश मंडल, पूर्व मुख्यमंत्री भागवत झा आजाद, जनार्दन मांझी जैसे उनके साथियों ने बनैली स्टेट के कार्यलय में तोड़-फोड़ की थी. फिर प्रशासन के द्वारा गिरफ्तारी का दबाव पड़ा तो वे खुद बिहार के रास्ते नेपाल चले गए थे, इस दौरान उनके कई दोस्तों की गिरफ्तारी भी हुई. इस आंदोलन के अन्य लोगों में रत्नेश्वर सिंह, जागेश्वर दास, श्यामलाल साह जैसे कई लोग शामिल थे. बता दें कि आंदोलनकारी रमन झा का दिसंबर 2023 में 111 वर्ष की आयु में निधन हो गया है.

इस बाबत सुभाष मंच से जुड़े सर्वजीत झा अंतेवासी बताते हैं कि गोड्डा का पुस्तकालय और कचहरी भवन आज भी स्वतंत्रता आंदोलन के अतीत की गवाही देता है. राज कचहरी तालाब परिसर इस अतीत को सहेजने की कोशिश का जा रही है, इसके सौंदर्यीकरण के लिए 18 करोड़ की लागत से लाइब्रेरी की मरम्मती का कार्य प्रारंभ किया गया है. निश्चित ही ये एक अच्छी पहल है, जिसके तहत अतीत के धरोहर को बचाने की कोशिश की जा रही है. क्योंकि गोड्डा की इस धरा ने देश की आजादी में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है.

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