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HRTC में करुणामूलक नीति के तहत लगे कर्मियों के लिए खुशखबरी, HC का रेगुलर होने की तिथि से वित्तीय लाभ देने का आदेश - Himachal High Court

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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : May 16, 2024, 10:02 PM IST

हिमाचल प्रदेश पथ परिवहन निगम में नीति के तहत लगे कर्मियों के लिए खुशखबरी है. हिमाचल हाईकोर्ट से इन कर्मचारियों को बड़ी रहात मिली है. कोर्ट ने करुणामूलक नीति के तहत लगे कर्मियों को रेगुलर होने की तिथि से वित्तीय लाभ देने का आदेश जारी किया है.

HIMACHAL HIGH COURT
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट (ETV Bharat)

शिमला: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने एचआरटीसी में करुणामूलक नीति 1990 के तहत लगे कर्मियों को बड़ी राहत देते हुए उन्हें नियमितीकरण की तारीख से ही सारे वित्तीय लाभ देने के आदेश जारी किए. हाईकोर्ट की एकल पीठ ने यह वित्तीय लाभ तीन वर्षों तक सीमित करते हुए अदा करने की शर्त लगाई थी. इस शर्त को गैर जरूरी पाते हुए मुख्य न्यायाधीश एम एस रामचंद्र राव और न्यायाधीश ज्योत्सना रिवाल दुआ की खंडपीठ ने इन कर्मियों को नियमितीकरण की तारीख से ही सभी सेवा लाभ देने के आदेश दिए.

अब हिमाचल प्रदेश पथ परिवहन निगम में कीथ एंड कीन पॉलिसी 1990 के अंतर्गत पिछली तारीख से नियमित सभी कर्मियों को सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय के मुताबिक उनके नियमितीकरण की तारीख से वित्तीय लाभ का भुगतान किया जाएगा. गौरतलब है कि कीथ एंड कीन पॉलिसी 1990 के तहत एचआरटीसी में लगे कर्मचारियों को इस नीति के तहत नियमित नियुक्ति देने की बजाए 7 साल बाद नियमित किया गया था.

इसके खिलाफ कुछ कर्मियों ने कोर्ट के समक्ष याचिकाएं दाखिल कर पिछली तारीख से नियमितीकरण की मांग की थी. सुप्रीम कोर्ट ने यह मांग स्वीकारते हुए उन्हे बैक डेट से नियमित करने के आदेश देते हुए सभी वित्तीय लाभ देने के आदेश भी दिए. कुछ कर्मियों ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का लाभ उन्हें भी दिए जाने की गुहार हाईकोर्ट में लगाई थी. इस बीच एचआरटीसी ने खुद ही निर्णय लेते हुए उन्हे भी सुप्रीम कोर्ट के फैसले का लाभ देने के आदेश जारी कर दिए.

हाईकोर्ट की एकल पीठ ने चार अलग-अलग मामलों में सुप्रीम कोर्ट और एचआरटीसी के आदेशों के विपरीत उनके वित्तीय लाभ 3 वर्षों तक के लिए सीमित कर दिए. इन आदेशों को प्रार्थियों ने खंडपीठ के समक्ष चुनौती दी थी. प्रार्थियों की दलील थी कि सर्वोच्च न्यायालय द्वारा हिमाचल प्रदेश पथ परिवहन निगम बनाम लेख राम के मामले में पारित निर्णय के मुताबिक उन्हें नियमितीकरण की तारीख से वित्तीय लाभ देने बाबत आदेश जारी कर दिए थे, लेकिन एकल पीठ ने वित्तीय लाभों को केवल याचिका दाखिल करने से 3 वर्ष पूर्व से भुगतान करने तक सीमित कर दिया.

खंडपीठ ने एकल पीठ के फैसले पर टिप्पणी करते हुए कहा कि वे यह समझ पाने में असमर्थ है कि क्यों एकल पीठ ने इन कर्मियों के लाभ सीमित कर दिए, वो भी तब जब एचआरटीसी खुद इन कर्मियों के पूरे वित्तीय लाभ देने को तैयार हो गया था.

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