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फर्जी सर्टिफिकेट पर नियुक्ति के आरोपी शिक्षक की गिरफ्तारी पर हाईकोर्ट की रोक, नियुक्त करने वाले अधिकारियों की भी जांच करने के दिए निर्देश - High court news

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Mar 21, 2024, 11:02 PM IST

इलाहाबाद हाईकोर्ट (High court) ने गोरखपुर जिले में फर्जी सर्टिफेकट के आधार पर नियुक्त (Job case on fake certificate) सहायक अध्यापक (assistant teacher) की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है. साथ ही कोर्ट ने यह भी आदेश दिया है कि सहायक अध्यापक को नियुक्त करने वाले अधिकारियों की भी जांच की जाए. क्योंकि अधिकारियों की मिलीभगत के बिना यह संभव नहीं है.

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प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गोरखपुर में फर्जी सर्टिफिकेट के आधार पर नियुक्त सहायक अध्यापक अनिल कुमार सिंह की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है. साथ ही जांच के दायरे में नियुक्ति करने वाले अधिकारियों को भी लाने के निर्देश दिए हैं.हाईकोर्ट की जस्टिस सिद्धार्थ एवं जस्टिस विनोद दिवाकर की खंडपीठ ने यह आदेश सुनाया है.

हाईकोर्ट का कहना है कि इस प्रकार की नियुक्ति विभागीय अधिकारियों की मिलीभगत के बिना संभव नहीं है. कोर्ट ने गिरफ्तारी पर रोक लगाते हुए संबंधित पुलिस अधिकारी को निर्देश दिया कि, जांच में इन तथ्यों को भी शामिल किया जाए कि याचिकाकर्ता की नियुक्ति के समय कौन कौन से जिम्मेदार अधिकारी तैनात थे. और उन्होंने शैक्षिक प्रमाणपत्रों के सत्यापन को लेकर क्या प्रयत्न किया था. कोर्ट ने सभी तथ्यों के साथ विभागीय अधिकारियों से जवाब मांगा है.

बता दें कि गोरखपुर के कूड़ी प्राइमरी स्कूल में साल 2010 में सहायक अध्यापक पद पर नियुक्त हुए याचिकाकर्ता सहित 37 सहायक अध्यापकों के खिलाफ बेसिक शिक्षा अधिकारी गोरखपुर ने मार्च 2020 में जिले के राजघाट थाने में एफआईआर दर्ज कराई थी, जिसकी जांच की जा रही है.

याचिकाकर्ता के वकील अरविंद कुमार त्रिपाठी का कहना है कि, बेसिक शिक्षा अधिकारी गोरखपुर ने कानूनी प्रक्रिया का अनुपालन किए बगैर याची समेत 37 सहायक अध्यापकों को बर्खास्त कर दिया. जिसके बाद सहायक अध्यापक से हटाए गए अनिल कुमार सिंह ने अपनी बर्खास्तगी को चुनौती दी, जिसे हाईकोर्ट ने रद्द कर नए सिरे से आदेश करने का निर्देश दिया था.

अधिवक्ता का कहना था कि, अधिकारियों की मिलीभगत से कोर्ट के आदेश के अनुपालन की बजाय याची सहित 37 सहायक अध्यापकों पर एफआईआर दर्ज करा दी गई. याचिका में कहा गया कि विभाग ने प्रमाणपत्रों को नियमानुसार सत्यापित कराए बगैर प्राथमिकी दर्ज कराई है, जो गलत है.

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