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'हमार हाथी' इंसानों की गजराज से करेगा रक्षा, टकराव से बचने के लिए चुनाव आयोग ने भी ली थी मदद - Hamar Hathi

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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : May 23, 2024, 8:59 PM IST

Updated : May 23, 2024, 9:05 PM IST

conflict between elephants and humans. झारखंड में इंसानों और हाथियों के बीच संघर्ष कोई नहीं बात नहीं है. अक्सर इस संघर्ष में हाथी या इंसान की मौत हो जाती है. लेकिन अब इस संघर्ष को खत्म करने के लिए प्रशासन ने एक एप डेवलप किया है. जिससे लोगों को हाथियों के मुवमेंट के बारे में पता चल सकेगा और वे उनसे दूर रह सकेंगे.

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डिजाइन इमेज (फोटो- ईटीवी भारत)

पलामू टाइगर रिजर्व के उपनिदेशक प्रजेश जेना (वीडियो- ईटीवी भारत)

पलामू: 2023 में झारखंड में हाथी और इंसानों के संघर्ष में 96 लोगों की मौत हुई थी. 2024 में मौत का आंकड़ा 15 से अधिक है. झारखंड में इंसानों और हाथी के संघर्ष को रोकना एक बड़ी चुनौती है. हाथी और इंसानों के संघर्ष और नुकसान को कम करने के लिए वन विभाग कई बिन्दुओं पर कार्य कर रहा है. झारखंड वन विभाग ने हाथी और इंसानों के संघर्ष को रोकने के लिए एक एप विकसित किया है, इस एप को नाम दिया गया है हमार हाथी. यह एप्प पब्लिक प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध है. कोई भी व्यक्ति इस एप का इस्तेमाल कर सकता है और हाथियों की मूवमेंट के बारे में जानकारी ले सकता है. यह एप एक तरह से अलार्म सिस्टम की तरह काम करेगी, हाथियों का झुंड इलाके में मौजूद रहने पर यह अलर्ट भी करेगा.

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हाथियों और इंसानों के बीच संघर्ष में हुए मौत (फोटो- ईटीवी भारत)
हाथी के कॉरिडोर में वोटिंग के दौरान हमार हाथी एप का हुआ इस्तेमाल

लोकसभा चुनाव के दौरान हमार हाथी एप का इस्तेमाल बड़े पैमाने पर किया गया है. झारखंड के चाईबासा, खूंटी, लातेहार के इलाके में दर्जनों मतदान केंद्र हाथी के कॉरिडोर में मौजूद थे. पलामू टाइगर रिजर्व के अंतर्गत लातेहार के इलाके में 95 जबकि गढ़वा में इलाके में 10 से अधिक मतदान केंद्र हाथी के कॉरिडोर वाले इलाके में थे. चुनाव के दौरान वोटर और मतदान कर्मियों को हाथी से बचाने के लिए इस एप का इस्तेमाल किया गया. इसके अलावा हाथी के कॉरिडोर में बड़ी से संख्या में वन विभाग कर कर्मियों को तैनात किया गया था. वन विभाग के कर्मी इलाके में निगरानी कर रहे थे और डाटा को हमार हाथी एप्प पर अपलोड कर रहे थे. चुनाव के दौरान हाथी के कारण कंही से भी वोटिंग प्रभावित होने की खबर निकल कर समाने नही आई.

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हाथी के हमले से कितना मिलता है मुआवजा (फोटो- ईटीवी भारत)
कैसे काम करता है हमार हाथी एप्प, ग्रामीणों को करेगा अलर्ट

दरसल, वन विभाग के कर्मी हाथी के कॉरिडोर में मूवमेंट की निगरानी करते है. निगरानी के दौरान हाथी से जुड़े हुए एक-एक डाटा तैयार किया जाता है. बाद में इस डाटा को हमार हाथी एप पर उपलोड किया जाता है. एप के माध्यम से इलाके के ग्रामीणों को अलर्ट मैसेज भेजा जाता है. मैसेज के माध्यम से ग्रामीणों को अलर्ट किया जाता है ताकि वह हाथियों की मूवमेंट वाले इलाके में नहीं जाएं. एप को इस्तेमाल को लेकर वन विभाग कई तरह की सावधानी भी बरतती है. हाथियों का मूवमेंट मानव बस्ती की अगल-बगल होने पर ही इसकी जानकारी दी जाती है.

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झारखंड में हाथी कॉरिडोर (फोटो- ईटीवी भारत)
हमार हाथी एप्प एक तरह से अलर्ट और वार्निंग एप है. इसके माध्यम से इंसानों और हाथी के संघर्ष को कम करना है. यह नया पहल और झारखंड वन विभाग के तरफ से जो हाथी के बारे में लाइव अपडेट देता है. ग्राउंड लेवल पर काम करने वाले कर्मियों द्वारा एक एक डाटा फीड किया जाता है. इससे काफी फायदा होगा, इससे प्लानिंग में भी सहायता होगी. एप्प के माध्यम से नुकशान को कम करना है, यह जनसाधारण के लिए उपलब्ध है. - प्रजेश जेना, उपनिदेशक, पलामू टाइगर रिजर्वझारखंड में 18 से अधिक हैं हाथी का कॉरिडोर, पीटीआर में मौजूद है 180 हाथीदेश भर के 15 राज्यो में हाथी का कॉरिडोर फैला हुआ है. झारखंड में 18 से अधिक हाथियों के कॉरिडोर हैं. हाथी के नए कॉरिडोर को भी चिन्हित किया जा रहा है. पीटीआर में एक बेतला, बारेसाढ़, गारु दूसरा छत्तीसगढ़ से पीटीआर का इलाका और तीसरा पीटीआर के बाहरी हिस्सा हाथी का कॉरिडॉर है. एक रिपोर्ट के अनुसार 2017 तक देश भर में हाथियों की संख्या 30 हजार थी और 150 से अधिक हाथियों का कॉरिडोर था. झारखंड में 17 से 18 कॉरिडोर मौजूद हैं. झारखंड में 2017 से 2023 के अंतिम महीनों तक 515 लोगो की मौत हो झारखंड के पलामू टाइगर रिजर्व में 190 के करीब हाथी मौजूद है.

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Last Updated : May 23, 2024, 9:05 PM IST
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