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मेरठ में GST फ्रॉड: 232 फर्जी कंपनियों  के नाम पर 1048 करोड़ का घोटाला, मास्टर माइंड समेत तीन गिरफ्तार

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Mar 8, 2024, 5:28 PM IST

Meerut मेरठ जीएसटी कमिश्नर ऑफिस (GST Commissioner Office) ने ऐसे सिंडिकेट का खुलासा (Syndicate exposed) किया, जिसने 232 फर्जी कंपनियों (fake companies) के नाम से नकली बिल बनाकर 1,048 करोड़ रुपये के इनपुट टैक्स का दावा (input tax claim) कर दिया. मामले का खुलासा होने से विभाग में हड़कंप मच गया.

Fake GST syndicate busted
फर्जी जीएसटी सिंडिकेट का भंडाफोड़


मेरठ: मेरठ के जीएसटी कमिश्नर ऑफिस की कर चोरी रोधी शाखा (Anti Tax Evasion Branch) ने एक ऐसे सिंडिकेट का भंडाफोड़ किया है, जिसने सामान की आपूर्ति के लिए 232 फर्जी कंपनियों के नाम से नकली बिल जारी कर 1,048 करोड़ रुपये के इनपुट टैक्स का दावा कर डाला.

मेरठ में केंद्रीय वस्तु एवं सेवा कर (सीजीएसटी) की जांच में एक ऐसी बड़ी गड़बड़ी पकड़ में आई है जिससे पूरे महकमे में हलचल मच गई है. जांच से पता चला है कि 232 फर्जी फर्मों का संचालन गाजियाबाद का मास्टरमाइंड प्रवीण कुमार कर रहा था. प्रवीण ने सभी फर्जी फर्मों के लिए जीएसटी रिटर्न दाखिल किया था. हैरानी की बात तो यह है कि 91 कंपनियां बनाने और प्रबंधित करने के लिए एक ही मोबाइल नंबर का इस्तेमाल किया गया था. अफसरों की माने तो मास्टर माइंड के पास से 10 मोबाइल फोन और तीन लैपटॉप जब्त किए गए.

ईटीवी भारत को मेरठ जीएसटी के अफसरों ने बताया कि एंटी टैक्स इवेशन ब्रांच ने एक ऐसे सिंडिकेट को पकड़े में सफलता हासिल की है. जिसने माल की आपूर्ति के लिए 232 फर्जी कंपनियों के नाम पर फर्जी बिल जारी करके 1,048 करोड़ रुपये के इनपुट टैक्स क्रेडिट का फर्जी दावा किया था. सिंडिकेट की ओर से फर्जीवाड़े में इस्तमाल किए जा रहे पांच बैंक खातों को अस्थायी रूप से अटैच कर दिया गया है. अभी तक इस मामले में तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया जा चुका है.

शेल कंपनियों के नाम पर फर्जी बिलों के जरिए से आपूर्तिकृत सामान की कुल कीमत करीब 5,842 करोड़ रुपये दिखाई गई थी. इस पूरे मामले की जांच विभिन्न विश्लेषणात्मक उपकरणों जिनमें ई-वे कॉम्प्रिहेंसिव पोर्टल, अद्वैत (एडवांस एनालिटिक्स इन इनडायरेक्ट टैक्सेशन) और बिजनेस इंटेलिजेंस एंड फ्रॉड एनालिटिक्स (बीआईएफए) के माध्यम हुई थी.

विभाग की ओर से जारी विज्ञप्ति के अनुसार केंद्रीय वस्तु एवं सेवा कर (सीजीएसटी) आयुक्तालय, मेरठ की कर-अपवंचन शाखा की ओर से अक्टूबर 2023 के महीने में ई-वे कॉम्प्रिहेंसिव पोर्टल, अद्वैत और बीफा जैसे विभाग के विभिन्न विश्लेषणात्मक उपकरणों का उपयोग करके पर यह जांच शुरू की गई थी.

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