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एमएस स्वामीनाथन को भारत रत्न: साथ काम कर चुके वैज्ञानिक डॉ. चौधरी ने शेयर की अनकही-अनसुनी कहानी

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Feb 9, 2024, 4:59 PM IST

Gorakhpur Agricultural scientist Dr Ramchet Chaudhary on Bharat Ratna to MS Swaminathan
एमएस स्वामीनाथन को भारत रत्न: साथ काम कर चुके वैज्ञानिक डॉ. चौधरी ने शेयर की अनकही-अनसुनी कहानी

महान कृषि वैज्ञानिक और हरित क्रांति के जनक एमएस स्वामीनाथन को भारत रत्न देने के ऐलान सरकार ने किया. उनके साथ काम कर चुके अंतरराष्ट्रीय कृषि वैज्ञानिक डॉ. रामचेत चौधरी (Agricultural scientist Dr. Ramchet Chaudhary) से ईटीवी भारत ने खास बातचीत की. इस दौरान उन्होंने एमएस स्वामीनाथन से जुड़े कई अनसुने किस्से भी बताए.

अंतरराष्ट्रीय कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर रामचेत चौधरी से खास बातचीत

गोरखपुर: महान कृषि वैज्ञानिक और हरित क्रांति के जनक एमएस स्वामीनाथन (Bharat Ratna to MS Swaminathan) को, शुक्रवार को केंद्र की मोदी सरकार द्वारा भारत रत्न दिए जाने की घोषणा से, कृषि वैज्ञानिकों, कृषकों और पूरे देशवासियों में खुशी की लहर दौड़ गई. कुछ महीने पहले ही ही स्वामीनाथन का निधन हुआ था. इसके बाद उन्हें मिले देश के इस सर्वोच्च सम्मान ने उनके साथ और उनकी टीम में काम करने वाले, कृषि वैज्ञानिकों को उत्साहित कर दिया है.

ऐसे ही अंतरराष्ट्रीय कृषि वैज्ञानिकों में से एक हैं डॉक्टर रामचेत चौधरी. वह गोरखपुर में रहते हैं और 25 जनवरी को इन्हें भी पद्मश्री देने घोषणा भारत सरकार ने की है. ईटीवी भारत ने डॉक्टर चौधरी से एमएस स्वामीनाथन को मरणोपरांत भारत रत्न दिये जाने को लेकर विशेष बातचीत की. उन्होंने कहा कि वह मानव नहीं महामानव थे. कृषि और किसानों के बारे में उनकी सोच ने उन्हें विश्व व्यापी बनाया. कृषि सुधार से लेकर संयुक्त राष्ट्र में भी उन्होंने जो अपनी सेवाएं दी, वह पूरी दुनिया याद करती है.

उनकी टीम में, उनके नेतृत्व में, उनके साथ काम कर, उन्होंने कृषि के क्षेत्र में बड़ी उपलब्धि हासिल की है. यही वजह है कि वह बुद्ध के महाप्रसाद के रूप में कहे जाने वाले काला नमक चावल के जीवन को फिर से स्थापित करने में सफलता पाए हैं. अंतरराष्ट्रीय कृषि वैज्ञानिक डॉ. रामचेत चौधरी ने कहा कि जब स्वामीनाथ जी का निधन हुआ, तो उनसे जुड़ा कालम उन्होंने ही लिखा, जो देश भर में प्रकाशित हुआ. उनके साथ तीन मौकों पर काम करने का अवसर मिला. पहला मौका था जब हम विश्व बैंक के काम को नाइजीरिया में छोड़ रहे थे.

उस समय उन्हें ऑफर मिला स्वामीनाथन की तरफ से, जब वह अंतरराष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान फिलिपींस के डायरेक्टर थे. उस समय डॉ. रामचेत ने उनके साथ कम्बोडिया प्रोजेक्ट में ज्वाइन किया था. बाद में उन्होनें उनको काम देखते हुए बड़ी जिम्मेदारी दी. उनको इंजर ग्लोबल कोऑर्डिनेटर बना दिया. इसके तहत दुनिया के ऐसे 110 देश के लिए चावल उत्पादन विशेष तौर पर होता है. वहां पर काम करने की जिम्मेदारी सौंपी.

इसमें लैटिन अमेरिका, अफ्रीका, यूरोप और ऑस्ट्रेलिया जैसे तमाम बड़े देश शामिल थे. डॉ. चौधरी ने कहा कि फिलिपींस में डॉक्टर स्वामीनाथन का और मेरा आवास अगल-बगल था. कभी-कभी मुलाकात होती थी, तो कभी खाने के टेबल पर भी उनके साथ बैठने का मौका मिलता था. इस दौरान उनके जो शब्द सुनने को मिलते थे, वह लगता था कि, यह कोई महामनाव ही बोल रहे हैं. हर शब्द में कुछ न कुछ छिपा रहता था.

डॉक्टर चौधरी ने कहा कि किसान के हित की चिंता करते ही उनका जीवन बीता. इसीलिए देश में जो किसान आंदोलन होते हैं, उसमें से आवाज निकाल कर आती है कि स्वामीनाथन कमेटी की रिपोर्ट को उनके हितों के लिए लागू किया जाए. निश्चित रूप से यह जरूरी भी है. अगर सरकार स्वामीनाथन कमेटी की सिफारिश को लागू करती है, तो इससे न सिर्फ देश में किसान आंदोलन रुकेगा बल्कि किसानों का मान सम्मान और आय में बढ़ोतरी होगी.

गरीब से अमीर बनने की उनकी हसरतें पूरी होंगी. और सही मायने में यही उन्हें भारत रत्न दिए जाने का सबसे बड़ा सम्मान होगा, उनको श्रद्धांजलि होगी. डॉक्टर स्वामीनाथन को भारत रत्न देने के पर डॉ. चौधरी ने भारत सरकार का बहुत-बहुत आभार जताया. उन्होंने कहा कि किसान हित में उनकी सिफारिशें देश को काफी आगे ले जाएंगी. सरकार को इस पर भी विचार करना चाहिए.

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