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फिरोजाबाद लोकसभा सीट पर बसपा ने जैन समाज के नेता पर लगाया दांव, जानिए समीकरण - Firozabad Lok Sabha Elections 2024

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Mar 21, 2024, 10:28 PM IST

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समाजवादी पार्टी के बाद बहुजन समाज पार्टी ने भी फिरोजाबाद लोकसभा सीट (Firozabad Lok Sabha Elections 2024) से उम्मीदवार घोषित कर दिया है. बसपा ने जैन समाज के नेता को प्रत्याशी बनाया है.

फिरोजाबाद लोकसभा सीट पर बसपा ने घोषित किया उम्मीदवार. देखें खबर

फिरोजाबाद : लोकसभा चुनाव 2024 की सरगर्मियों के बीच समाजवादी पार्टी के बाद बहुजन समाज पार्टी ने भी फिरोजाबाद सीट से प्रत्याशी घोषित कर दिया है. बहुजन समाज पार्टी ने इस बार जैन समाज के नेता सत्येंद्र कुमार जैन उर्फ सौली को फिरोजाबाद लोकसभा का प्रत्याशी बनाया है. फिरोजाबाद क्लब में गुरुवार को आयोजित हुए बहुजन समाज पार्टी के सम्मेलन में पार्टी के कोऑर्डिनेटर मुनकाद अली ने इसकी घोषणा की.

वर्ष 2014 में अक्षय यादव यहां से समाजवादी पार्टी की टिकट पर चुनाव लड़े थे और जीतकर सांसद भी बने थे, लेकिन वर्ष 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा था. इसकी वजह यह इस सीट पर अक्षय यादव को अपने ही चाचा शिवपाल सिंह यादव से मुकाबला करना पड़ा था. चाचा और भतीजे की आपस उसकी लड़ाई में भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी चंद्रसेन जादौन सांसद चुने गए थे. अब जब 2024 के लोकसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है तो सभी राजनीतिक दल अपने-अपने प्रत्याशी घोषित करने में जुट गए है.

फिरोजाबाद क्लब में आयोजित हुए बसपा के कार्यकर्ता सम्मेलन में पार्टी के कोऑर्डिनेटर मुनकाद अली ने सत्येंद्र जैन सौली को पार्टी का प्रत्याशी बनाए जाने की घोषणा की. उन्होंने कहा कि बहुजन समाज पार्टी सभी समाज को साथ लेकर चलती है. चाहे वह दलित, पिछड़ा, सवर्ण या अल्पसंख्यक हो. यही वजह है कि फिरोजाबाद में जैन समाज के व्यक्ति को टिकट दिया गया है. इसी तरह अन्य क्षेत्रों में भी विभिन्न जातियों के लोगों को टिकट दिए गए है. उन्होंने कहा कि कोई भी दल केंद्र में सरकार बनाये. लेकिन बहुजन समाज पार्टी की मदद के बगैर सरकार नहीं बनेगी. INDA गठबंधन में शामिल न होने के सवाल पर उन्होंने कहा कि साल 2019 में बसपा- सपा और आरएलडी का गठबंधन हुआ था, जिसका अनुभव अच्छा नहीं रहा. इस गठबंधन को समाजवादी पार्टी और आरएलडी का वोट नहीं मिला. अगर गठबंधन को सपा और आरएलडी का परंपरागत वोट मिला होता तो अक्षय यादव, धर्मेंद्र यादव, डिंपल यादव, चौधरी अजीत सिंह और जयंत चौधरी चुनाव नहीं हारते. जब गठबंधन में रहने से उस गठबंधन के अन्य घटक दलों का वोट ही न मिले तो गठबंधन करने से फायदा क्या, इसलिए हमने समाज के साथ गठबंधन किया है. हमें सभी जातियों धर्म का वोट मिलेगा.

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