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पंजाब और हिमाचल के बाद MP में मुलेठी के खेती की शुरुआत, घर के गमलों में लगाकर कमा सकते हैं लाखों - Farming Of Mulethi In MP

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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : May 6, 2024, 5:50 PM IST

Farming Of Mulethi In MP
एमपी में मुलेठी के खेती की शुरुआत (ETV Bharat)

वर्तमान समय में किसान के अलावा युवाओं का भी खेती की ओर ध्यान बढ़ रहा है. खेती के जरिए अच्छा खासा मुनाफा कमा रहे हैं. आज हम आपको मुलेठी की खेती के बारे में बताएंगे. एमपी का मौसम भी मुलेठी की खेती के लिए काफी अनुकूल है. विंध्या हर्बल नर्सरी में मुलेठी की खेती शुरु की गई है.

भोपाल। अब तक मुलेठी की खेती पंजाब और हिमाचल प्रदेश में ही होती रही है, लेकिन मुलेठी की खेती के लिए मध्य प्रदेश का मौसम भी अनुकूल है. ऐसे में वन विभाग द्वारा संचालित विंध्या हर्बल की नर्सरी में मुलेठी की खेती शुरु की गई है. बरखेड़ा पठानी स्थित विंध्या हर्बल नर्सरी के प्रभारी सीपी तिवारी ने बताया कि 'हमने दो महीने पहले मुलेठी के बीज लगाकर इसकी शुरुआत की थी. अब पौधे बड़े हो गए हैं, जल्द ही इन्हें जमीन में लगाया जाएगा.' उन्होंने बताया कि मुलेठी को घर में स्थित छोटे गमलों में भी लगाया जा सकता है और इससे लाखों रुपये की कमाई की जा सकती है.

विंध्या हर्बल के बाद प्रदेश में होगी शुरुआत

बता दें कि मुलेठी पूरी दुनिया में केवल ग्रीक, चीन, मिस्त्र, तुर्की, ईरान, इराक, मंगोलिया और भारत में पैदा होती है. मुख्य रूप से एशिया दक्षिणी यूरोप के कुछ क्षेत्रों में इसकी पैदावार होती है. विंध्य हर्बल खाद्य और औषधि प्रसंस्करण के प्रभारी सीपी तिवारी के मुताबिक विंध्य हर्बल में मुलेठी के कई पौधे तैयार किए गए हैं. अच्छे नतीजे मिलने के बाद प्रदेश में भी इसकी खेती की तैयारी की जाएगी.

इन महीनों में की जाती है मुलेठी की बोवाई

मुलेठी की खेती के लिए 15 से 30 डिग्री सेल्सियस के तापमान और 50 से 100 सेमी की वर्षा की आवश्यकता होती है. मुख्य रूप से दोमट उपजाऊ मिट्टी जिसका पीएच 6 से 8.2 हो मुलेठी के लिए मुफीद माना जाता है. मुलेठी के पौधों को पहले जनवरी से फरवरी माह में नर्सरी में तैयार किया जाता है. इसके बाद फरवरी से मार्च और जुलाई से अगस्त के बीच इसकी बोवाई होती है. खेत में बोवाई करते समय इसे हर पौधे के बीच 90 गुणा 45 सेमी का फासला होना चाहिए.

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आयुर्वेदिक गुणों से भरपूर है मुलेठी

मुलेठी एक गुणकारी जड़ी बूटी है. आमतौर पर लोग इसका इस्तेमाल सर्दी-जुकाम या खांसी में आराम पाने के लिए करते हैं. गले की खराश में इसका उपयोग करना सबसे ज्यादा असरदार होता है. इसका मुख्य इस्तेमाल आयुर्वेदिक दवाइयां बनाने में किया जाता है. साथ ही मुलेठी चूर्ण या मुलेठी पाउडर में शहद मिलाकर इसे नेजल ड्राप की तरह नाक में डालें. इससे माइग्रेन के दर्द से आराम मिलता है. मुलेठी के उपयोग से आप बालों को झड़ने और सफेद होने से रोक सकते हैं.

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