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यूपी के किसान नहीं दिखा रहे किसान आंदोलन में दिलचस्पी, भारत बंद को भी समर्थन नहीं

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Feb 14, 2024, 5:07 PM IST

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पंजाब के किसान विभिन्न 12 सूत्री मांगों को लेकर दिल्ली बार्डर पर पहुंचे चुके हैं. 16 फरवरी को भारत बंद का आह्वान किया गया है. बहरहाल इस आंदोलन (Farmers Protest) से यूपी के किसान फिलहाल दूरी बनाए हुए हैं.

लखनऊ : अपनी 12 सूत्री मांगों को लेकर पंजाब के किसान लगातार दिल्ली में विरोध प्रदर्शन करने के लिए सड़कों पर उतर चुके हैं. दूसरी तरफ उत्तर प्रदेश के किसान आंदोलन में किसी तरह की सक्रिय भूमिका नहीं निभा रहे हैं. हालांकि 16 फरवरी को होने वाले भारत बंद को लेकर यूपी के किसान संगठनों ने भी अपना समर्थन जरूर दिया है. पिछली बार जब किसान आंदोलन हुआ था तो उसमें यूपी के किसान संगठनों ने सड़क पर उतरकर विरोध प्रदर्शन किया था, लेकिन उसमें भी यूपी के ही तमाम किसान शामिल नहीं हुए. इस बार की कई मांगों को लेकर सरकार के साथ संगठनों की सहमति बनी है, लेकिन कई ऐसी मांगे हैं जिन पर अब भी सहमति नहीं बन पाई है. इसलिए किसान दिल्ली की तरफ कूच कर रहे हैं.

पंजाब के कई संगठनों के इकाइयां 12 सूत्री विभिन्न मांगों को लेकर दिल्ली की तरफ कूच कर रही हैं. हजारों की संख्या में किसान अपने ट्रैक्टर और खाद्य सामग्री के साथ दिल्ली की तरफ कूच करना चाहते हैं, लेकिन हरियाणा सरकार ने शंभू बॉर्डर पर उन्हें रोकने के लिए तमाम व्यवस्थाएं की हैं. सड़कों पर कीलें लगवाई हैं, बाउंड्रीवॉल करवा दी है. बैरिकेडिंग लगाई है. बड़ी संख्या में पुलिस के जवानों की तैनाती की है, लेकिन किसान दिल्ली तक पहुंचने के लिए पूरा जोर लगाए हुए हैं.

उत्तर प्रदेश के किसान संगठनों की बात की जाए तो नरेश टिकैत और राकेश टिकैत ने सामने आकर कह दिया है कि रोज-रोज आंदोलन करना ठीक नहीं है. सरकार को भी समय देना चाहिए. अपनी मांग सरकार के सामने रखेंगे. किसान आंदोलन को हमारा समर्थन जरूर है, लेकिन सड़क पर उतरने का कोई प्लान नहीं है. 16 फरवरी को भारत बंद का जो आह्वान किसान संगठनों की तरफ से किया गया है उसका हम समर्थन करते हैं. अब जब यूपी के किसान आंदोलन में हिस्सेदार नहीं हो रहे हैं तो यूपी में कानून व्यवस्था के लिए किसान चुनौती भी नहीं बन रहे हैं. हालांकि लगातार आंदोलन करने उतरे किसान संगठन उत्तर प्रदेश के किसान संगठनों से संपर्क स्थापित किए हुए हैं. उनसे प्रदर्शन में शामिल होने की बातचीत भी कर रहे हैं. फिलहाल, अभी उत्तर प्रदेश के किसान मैदान में उतारने का कोई प्लान नहीं बना रहे हैं. जयंत के बीजेपी के साथ चले जाने की वजह से उत्तर प्रदेश के किसान सड़कों पर उतरने को तैयार नहीं हैं. ऐसा भी माना जा रहा है. पिछली बार जब किसान आंदोलन हुआ था तो जयंत चौधरी किसानों के साथ मैदान में उतरे थे. भारतीय किसान यूनियन अराजनैतिक के अध्यक्ष हरिनाम सिंह का कहना है कि किसानों की कई मांगें बिल्कुल जायज हैं. सरकार को उन पर ध्यान देना चाहिए. बैठकर वार्ता होना जरूरी है. किसानों ने पहले भी आंदोलन किया था उन्हें सफलता मिली थी. इस बार भी सरकार किसानों की मांग जरूर मानेगी. जायज मांगों पर सरकार को अमल करना चाहिए जिससे किसान को सड़क पर उतरकर प्रदर्शन करने की आवश्यकता न पड़े.

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