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हाईटेक नर्सरी से किसानों को हो रही दोगुनी इनकम, सेल्फ हेल्प ग्रुप की महिलाएं बनीं आत्मनिर्भर - HITECH NURSERY IN MEERUT

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : May 20, 2024, 4:57 PM IST

ज्यादा गर्मी या फिर कड़ाके की सर्दी और या फिर बरसात के सीजन में हाईटेक नर्सरी का कॉन्सेप्ट बेहद ही कारगर साबित हो रहा है. इसमें स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से काफी महिला, तो आत्मनिर्भर भी हो गई हैं. वहीं, पौधा तैयार कराना भी बेहद आसान है.

हाईटेक नर्सरी.
हाईटेक नर्सरी. (Photo Credit: ETV Bharat)

हाईटेक नर्सरी की विशेष तकनीक से बढ़ेगी किसानों की आमदनी. (Video Credit: ETV Bharat)

मेरठ: मेरठ मंडल में उद्यान विभाग का हाईटेक नर्सरी का कॉन्सेप्ट बेहद ही कारगर साबित हो रहा है. इसमें स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से काफी महिलाएं आत्मनिर्भर हो गई हैं. वहीं, किसानों की आय भी दोगुनी हो रही है.

हाईटेक नर्सरी की मदद से किसानों की इनकम दोगुनी हो सकती है. खासतौर से टमाटर, बैंगन, मिर्च, खरबूजा, तरबूज, तरोई, लौकी, कद्दू, शिमला मिर्च आदि की फसल लगाने से पहले उनकी पौधा बनानी होती है. कई बार जमीन में खराबी या अन्य समस्या होने से कई बार बीज उगते ही नहीं हैं. कई बार जो पौधे उगते भी हैं, तो वह काफी कम संख्या में होते हैं. ऐसे में बीज बोने और पौधा तैयार करने की हाईटेक विधि बेहद ही उपयोगी है. इससे किसान न सिर्फ फसल सही ढंग से उगा सकते हैं, बल्कि उससे उनका मुनाफा भी बढ़ेगा.

उद्यान विभाग के मेरठ मंडल के उप निदेशक विनीत कुमार ने बताया कि हाईटेक नर्सरी में उच्च गुणवत्ता की पौधा तैयार की जाती है. इनमें सब्जियों और फलों के पौधे विशेष रूप से तैयार किए जाते हैं. मेरठ मंडल में दो हाईटेक नर्सरी हैं. इसमें से एक बुलंदशहर में है और दूसरी हापुड़ के कृषि विज्ञान केंद्र पर बनायी गयी है. मेरठ जनपद में दो नर्सरी संचालित हैं. इसमें से एक मछरी में है, जबकि दूसरी सरदार वल्लभ भाई पटेल कृषि विश्वविद्यालय परिसर में स्थापित है. इसके अलावा मंडल के जिले बागपत में भी कृषि विज्ञान केंद्र में हाईटेक नर्सरी की स्थापना की गई है.

खास बात यह है कि यह जो हाईटेक नर्सरी संचालित की जा रही हैं. इन्हें महिलाओं के स्वयं सहायता समूह के द्वारा संचालित किया जा रहा है. इन नर्सरी में जो लाभ प्राप्त होता है. उसमें 80 फीसदी भागीदारी उन स्वयं सहायता समूहों की होगी, जो उनमें कार्य कर रही हैं.

जबकि बीस प्रतिशत मुनाफा संबंधित संस्थान या विभाग का होगा. उस बीस प्रतिशत में संबंधित संस्थान या विभाग को उसका मेंटनेन्स और अन्य कार्य कराना होता है. इसके लिए प्रशिक्षण दिया जाता है. उत्पादन में जो भी श्रम लगता है, वह स्वयं सहायता समूहों करते हैं. इन्हें उसका 80 फीसदी तक मुनाफा मिलता है.

इस का फायदा यह है कि जो भी किसान या अन्य व्यक्ति किसी भी तरह की उच्च गुणवत्ता वाली पौधा तैयार कराना चाहते हैं. वह अपना बीज लेकर यहां आते हैं और उसे हाईटेक नर्सरी में उगाया जाता है. ऐसे कोई भी इच्छुक व्यक्ति जिला उद्यान अधिकारी के दफ्तर में सम्पर्क कर सकते हैं. वहीं, सीधे हाईटेक नर्सरी के जो भी जिम्मेदार वहां हों, उनसे भी सम्पर्क कर सकते हैं. पौधा तैयार कराने वालों की पूरी जानकारी और बीज का विवरण दर्ज कर लिया जाता है. बदले में नर्सरी तैयार पौधे का एक रुपया प्रति पौधे के हिसाब से चार्ज करती है. इसका एक फायदा, तो यह है कि पूरी तरह से रोग रहित पौधे तैयार होते हैं.

हाईटेक नर्सरी में मिट्टी के बिना पौधे उगाए जाते हैं, जो कि वायरस फ्री होते हैं. इनकी कई और भी खूबी होती है. किसान इसमें रुचि दिखा रहे हैं. साथ ही कुछ खेती किसानी से संबंधित उर्वरक से जुड़ी, जो कंपनी हैं वे भी इस तरफ आगे आ रही हैं.

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