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सरयू गांव के बदलाव की कहानीः कभी बैलेट पर बुलेट पड़ता था भारी, आज चुनाव को लेकर लोगों में त्योहार जैसा उत्साह! - Saryu village of Latehar

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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Apr 2, 2024, 6:09 PM IST

Enthusiasm among voters in Saryu of Latehar. बदलाव क्या होता है और उसकी तस्वीर कैसी होती है, इसकी बानगी देखनी हो तो चले आइए, लातेहार के सरयू गांव. कभी नक्सलियों का गढ़ रहा, जहां बैलेट पर बुलेट भारी पड़ता था लेकिन आज सरयू गांव की तस्वीर कुछ और है.

Enthusiasm among villagers in Saryu village of Latehar regarding Lok Sabha election 2024
नक्सलियों का गढ़ रहे लातेहार के सरयू गांव में लोकसभा चुनाव को लेकर ग्रामीणों में उत्साह

लातेहार के सरयू गांव के बदलाव की कहानी

लातेहारः एक वक्त था जब लातेहार का नाम सुनकर ही नक्सली घटनाओं की तस्वीर आंखों के सामने उभरकर आती थी. चुनावों के वक्त तो खौफ, दहशत और कर्फ्यू का आलम रहता था. लोग डर से अपने घरों में ही दुबके रहते थे. लेकिन आज का वक्त है जब लातेहार के इस गांव में चुनाव को लेकर त्योहार जैसा माहौल है. इस रिपोर्ट से जानिए, सरयू गांव में आए बदलाव की कहानी.

लातेहार का सरयू गांव बदलाव का एक जीता जागता उदाहरण है. यह गांव कभी नक्सलवाद की राजधानी के रूप में कुख्यात था. चुनाव आते ही गांव में रहने वाले लोग भयभीत हो जाते थे. लेकिन पुलिस प्रशासन, सरकार और आम लोगों के सामूहिक प्रयास से आज गांव की स्थिति बिल्कुल बदल चुकी है. अब चुनाव में इस इलाके के लोगों में त्यौहार जैसा उत्साह देखा जाता है.

लातेहार के सरयू और इसके आसपास में बसे गांवों की कहानी किसी रोमांचक कहानी से काम नहीं है. एक दशक पूर्व की बात करें तो यह इलाका पूरी तरह नक्सलियों के कब्जे में था. नक्सली इसी गांव के आसपास में बसे जंगलों में बैठकर चुनाव बहिष्कार की रणनीति बनाते थे और यहीं से फरमान भी जारी करते थे. नक्सलियों के फरमान जारी होने के बाद ग्रामीण मतदान करने की बात तो दूर मतदान के बारे में सोचना भी मुनासिब नहीं समझते थे. स्थिति ऐसी थी कि कब चुनाव आया और कब चुनाव खत्म हो गया ग्रामीणों को पता भी नहीं चलता.

डीसी राहुल पुरवार बने थे सरयू में बदलाव के प्रणेता

सरयू और इसके आसपास में बसे गांव में विकास और ग्रामीणों के जीवन में बदलाव लाने का सबसे पहला प्रयास लातेहार के तत्कालीन उपायुक्त राहुल पुरवार ने किया था. वर्ष 2011-12 में जब सरयू जाने में भी लोग डरते थे. उस समय डीसी रहते हुए राहुल पुरवार ने यहां दो दिवसीय आवासीय कैंप लगाया था. जहां जिला के तमाम बड़े अधिकारी दो दिनों तक गांव में ही रुके थे.

तत्कालीन डीसी राहुल पुरवार के प्रयास से सरयू एक्शन प्लान बनाया गया और सरयू गांव में बदलाव की नींव रखी गई. उनके प्रयास का प्रतिफल हुआ कि धीरे-धीरे ग्रामीण भी प्रशासन के साथ घूलने-मिलने लगे. ग्रामीणों से सहयोग मिलने के बाद सरयू गांव में विकास का रास्ता धीरे-धीरे खुलता गया और आज स्थिति यह हो गई है कि यहां का माहौल पूरी तरह सामान्य हो गया. ग्रामीणों की मानें तो पहले चुनाव आने के बाद ग्रामीणों में भय का माहौल बन जाता था. प आज स्थिति ऐसी हो गई है कि यहां के लोग चुनाव को त्योहार के रूप में मानने लगे हैं.

लोकसभा चुनाव को लेकर गांव में उत्साह

किनशु उरांव, रोहित उरांव, सुदेश उरांव समेत अन्य ग्रामीणों ने बताया कि वर्तमान में चुनाव को लेकर लोगों में काफी उत्साह है. ग्रामीणों बताते हैं कि अगर कुछ वर्ष पहले की बात करें तो यहां चुनाव के नाम से भी लोग डरते थे पर अब स्थिति बदल गई. अब तो चुनाव को वे उत्सव के रूप में मनाते हैं. मतदान के एक माह पहले से ही चुनाव को लेकर ग्रामीणों का उत्साह चरम पर होता है. अब लोगों को सुरक्षा भी मिलती है, गांव में ही मतदान केंद्र बनाए जाने से मतदाताओं को काफी सुविधा भी मिलती है. इससे बड़ी संख्या में मतदाता वोटिंग भी करते हैं.

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