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विश्वम्भर मैथिली साहित्य सम्मान 2023 की हुई घोषणा, डॉ सुभाषचंद्र यादव को मिलेगा मैथिली भाषा और साहित्य का प्रतिष्ठित सम्मान

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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Mar 9, 2024, 5:39 PM IST

Vishwambhar Maithili Sahitya Samman 2023. विश्वम्भर मैथिली साहित्य सम्मान 2023 की घोषणा रांची में की गई है. रांची दूरदर्शन के पूर्व निदेशक पीके झा ने इसकी घोषणा. किसे मिलेगा विश्वम्भर मैथिली साहित्य सम्मान जानने के लिए पढ़ें पूरी खबर.

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Vishwambhar Maithili Sahitya Samman

विश्वम्भर मैथिली साहित्य सम्मान 2023 के नाम की घोषणा करते रांची दूरदर्शन के पूर्व निदेशक पीके झा.

रांची: मैथिली भाषा साहित्य का प्रतिष्ठित सम्मान विश्वम्भर मैथिली साहित्य सम्मान 2023 की घोषणा कर दी गई है. मैथिली के लब्ध प्रतिष्ठित साहित्यकार और समालोचक डॉक्टर सुभाष चंद्र यादव को इस पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा. रांची के हरमू स्थित बसंत विहार कार्यालय में इसकी औपचारिक घोषणा शनिवार को की गई.

रांची दूरदर्शन के पूर्व निदेशक ने की नाम की घोषणा

रांची दूरदर्शन के पूर्व निदेशक पीके झा ने इसकी घोषणा करते हुए कहा कि डॉ सुभाष चंद्र यादव साहित्यिक विधा में कथाकार, समीक्षक और अनुवादक रहे हैं. मूलत: सुपौल जिला के बलबा मेनाही के रहनेवाले डॉ यादव की मैथिली भाषा में लगभग 70 से अधिक कथा, समीक्षा और हिंदी, बांग्ला एवं अंग्रेजी में अनेक अनुवाद प्रकाशित हैं. डॉ यादव को 10 मार्च रविवार को रांची के हरमू स्थित स्वागतम बैंक्वेट हॉल में विश्वम्भर मैथिली साहित्य सम्मान 2023 से सम्मानित किया जाएगा.

अब तक पांच लोगों को दिया जा चुका है विश्वम्भर मैथिली साहित्य सम्मान

इस अवसर पर विश्वम्भर फाउंडेशन ट्रस्ट के सचिव नवीन कुमार झा ने कहा कि 2018 में इस ट्रस्ट का गठन हुआ था. जिसके बाद से हर साल मैथिली साहित्य के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करने वाले साहित्यकारों को सम्मानित किया जाता रहा है. इस पुरस्कार से अभी तक दिवंगत लिली रे, दिवंगत पंडित गोविंद झा, कीर्ति नारायण मिश्र, डॉक्टर भीमनाथ झा और श्री शिव शंकर श्रीनिवास को सम्मानित किया जा चुका है. पुरस्कार घोषणा के अवसर पर प्रो नरेंद्र झा, अमरनाथ झा, राजेश कुमार झा आदि मौजूद थे.

जानिए कौन हैं डॉ सुभाष चंद्र यादव

डॉ सुभाष चंद्र यादव न केवल मैथिली, बल्कि हिंदी, बांग्ला, संस्कृत, उर्दू, अंग्रेजी, स्पेनिश और फ्रेंच भाषा के ज्ञाता हैं. बिहार के बीएन मंडल यूनिवर्सिटी सहरसा के विभागाध्यक्ष से सेवानिवृत हो चुके डॉक्टर यादव जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय नई दिल्ली से हिंदी में स्नातकोत्तर और शोध करने के बाद साहित्य साधना में जुटे रहे. यही वजह है कि साहित्य अकादमी दिल्ली की पत्रिका समकालीन भारतीय साहित्य 'पहल', ज्ञानोदय और हंस जैसी स्थापित पत्रिका में उनकी रचना प्रकाशित होती रही है. करीब 50 वर्षों से लेखन कार्य कर रहे डॉ यादव ने मैथिली में एक से बढ़कर एक रचना की है. साल 2013 में डॉ यादव को प्रमोद साहित्य सम्मान मिला था. इसके अलावे साहित्य अकादमी पुरस्कार सहित अन्य कई पुरस्कार से ये सम्मानित हो चुके हैं.

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