हॉस्टल नहीं कर रहे सरकार की गाइडलाइन को फॉलो, अब तक कहीं नहीं हुई गेट कीपर ट्रेनिंग, कैसे पहचानेंगे बच्चों में तनाव ?

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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Jan 27, 2024, 12:53 PM IST

increasing suicide in Kota
हॉस्टल नहीं कर रहे सरकार की गाइडलाइन को फॉलो ()

Suicide Cases in Kota, सुसाइड के क्रम को रोकने के लिए राज्य सरकार ने सितंबर 2023 में गाइडलाइन जारी की थी. इसकी अनुपालना सभी हॉस्टल और कोचिंग संस्थानों को करनी थी, लेकिन अधिकांश हॉस्टलों में राज्य सरकार की गाइडलाइन की अवहेलना की जा रही है.

हॉस्टल नहीं कर रहे सरकार की गाइडलाइन को फॉलो

कोटा. कोचिंग छात्रों के सुसाइड के क्रम को रोकने के लिए राज्य सरकार ने सितंबर 2023 में गाइडलाइन जारी की थी, जिसकी अनुपालना सभी हॉस्टल और कोचिंग संस्थानों को करनी थी, लेकिन अधिकांश हॉस्टलों में राज्य सरकार की गाइडलाइन की अवहेलना की जा रही है. इसकी पालना करवाने की जिम्मेदारी भी जिला प्रशासन व पुलिस को थी, लेकिन वो भी इसकी पालना करवाने में सफल नहीं हो पाए.

हालात जस के तस बने हुए हैं. हाल ही में हुए एक और सुसाइड ने इस पूरे मामले में पोल खोल दी है. कोचिंग संस्थानों में स्टाफ की गेट कीपर ट्रेनिंग, स्टूडेंट की दिन में कई बार अटेंडेंस और एंटी सुसाइड रॉड भी नहीं लगाई गई है. अब इस पूरे मामले पर कोटा के जिला कलेक्टर डॉ. रविंद्र गोस्वामी का कहना है कि पहले जारी हुई गाइडलाइन के मामले में नोडल ऑफीसरों से सूचना मंगवाई जा रही है. जिस भी हॉस्टल में गाइडलाइन की खानापूर्ति की जा रही है, वहां सख्ती से एक्शन लिया जाएगा.

हॉस्टल में नहीं लगाए गए एंटी सुसाइड रॉड : जिला प्रशासन ने निर्देश दिए थे कि सभी हॉस्टल के कमरों में लगे पंखों पर एंटी सुसाइड रॉड लगवाए जाएं, लेकिन ऐसा नहीं हुआ है. कोटा हॉस्टल एसोसिएशन के अध्यक्ष नवीन मित्तल खुद मानते हैं कि करीब 80 फीसदी हॉस्टल्स रूम में ही ये एंटी सुसाइड रॉड लगे हुए हैं. ऐसे में अभी भी 20 फीसदी यानी करीब 15,000 से ज्यादा कमरों में यह सुविधा उपलब्ध नहीं कराई गई है. इस एंटी हैंगिंग डिवाइस के पंखे में लगा होने पर 40 किलो से ज्यादा वजन होते ही स्प्रिंग की तरह पंखा नीचे झूल जाता है. हालांकि, कुछ हॉस्टल संचालकों का यह भी कहना है कि एंटी सुसाइड रॉड का माल भी काफी कम उपलब्ध हो पाता है, इसलिए भी उन्हें दिक्कत आ रही है.

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इन गाइडलाइन को हॉस्टल्स ने बताया धत्ता : हॉस्टल में नाइट अटेंडेंस लेने के निर्देश दिए गए थे, लेकिन अधिकांश हॉस्टल में नाइट अटेंडेंस नहीं होती है. हाल ही में हुए मोहम्मद जैद के सुसाइड से यह साफ भी हुआ है कि अटेंडेंस नहीं हो रही थी. उन्हें पता ही नहीं था कि बच्चों ने सुसाइड कर लिया है. उसके अन्य साथियों ने ही जाकर उसका रूम देखा था, जबकि ब्रेकफास्ट, लंच और डिनर तीनों समय अटेंडेंस लेनी होती है. इसके अलावा रात को 10 बजे भी रूम में जाकर अटेंडेंस लेनी होती है. साथ ही, स्टूडेंट की मनोस्थिति को भी समझना होता है. जिला प्रशासन ने पहले निर्देश दिए थे कि जारी की गई गाइडलाइन की पालना नहीं करने पर हॉस्टल्स को सीज कर दिया जाएगा, लेकिन एक भी हॉस्टल पर इस तरह की कार्रवाई नहीं हुई है.

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सरकार की गाइडलाइन की नहीं हो रही पालना

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हॉस्टल कार्मिक ने नहीं की गेट कीपर ट्रेनिंग : जिला प्रशासन ने निर्देश दिया था कि सभी कोचिंग हॉस्टल में कार्य करने वाले कार्मिकों और संचालकों को सुसाइड प्रीवेंशन के लिए गेटकीपर ट्रेनिंग करवाई जाएगी, कई कोचिंग संस्थानों ने तो अपने स्टाफ को यह ट्रेनिंग करवाई है और उसके सर्टिफिकेट भी उन्हें उपलब्ध करवाए हैं, जबकि हॉस्टल संचालक ने गेटकीपर ट्रेनिंग अपने स्टाफ को नहीं करवाई है. करीब डेढ़ महीने बाद कोटा में कोचिंग स्टूडेंट मोहम्मद जैद ने सुसाइड किया, तब हॉस्टल संचालकों को इसकी याद आई है.

कोटा में करीब 4000 हॉस्टल है, जिनमें 10,000 से ज्यादा स्टाफ थे. मनोचिकित्सकों के अनुसार गेट कीपर ट्रेनिंग के जरिए बच्चों के व्यवहार में कोई बदलाव, मानसिक तनाव पहचान और समझा जा सकता है. कोटा हॉस्टल एसोसिएशन के अध्यक्ष नवीन मित्तल का कहना है कि उन्होंने दिल्ली की कंपनी को इसके लिए हायर किया है और जल्द ही हॉस्टल्स के स्टाफ और संचालकों को यह ट्रेनिंग करवाई जाएगी.

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कोचिंग हॉस्टल का सर्वे करने के दिए थे निर्देश : गाइडलाइन की अनुपालना नहीं होने पर तत्कालीन जिला कलेक्टर महावीर मीणा ने भी सख्ती दिखाई थी, उन्होंने कहा था कि पुलिस और उनके नोडल ऑफिसर हर हॉस्टल कोचिंग में जाकर कर्मियों की जांच करेंगे. हालांकि इस दौरान विधानसभा 2023 के चुनाव आ गए थे, सभी अधिकारी और पुलिस इसमें व्यस्त हो गए. इसके बाद सुसाइड के क्रम में भी कमी हो गई थी. इस कारण से ना तो हॉस्टलों के सर्वे किए गए, और ना ही गाइडलाइन की पालना को देखा गया.

बीते साल हुए थे 26 सुसाइड : बीते साल कोटा की कोचिंग संस्थानों में पढ़ने वाले 26 विद्यार्थियों के सुसाइड के मामले सामने आए थे. यह आंकड़ा सालवार सुसाइड के आंकड़ों में सबसे ज्यादा रहा है. प्रतियोगी परीक्षाओं में कंपटीशन, सिलेबस व टेस्ट पेपर कठिन होने से मानसिक दबाव व निराशा, योग्यता, रूचि व कैपेबिलिटी से भी अलग पढ़ाई, पेरेंट्स की हाई एक्सपेक्टशंस, काउंसलिंग व शिकायत का निवारण ठीक से नहीं होना, स्टूडेंट के एसेसमेंट टेस्ट का परिणाम सभी विद्यार्थियों को पता चलना, अफेयर सहित इसके कई कारण सामने आए थे.

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