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दिल्ली में ढाई लाख रुपए सालाना आमदनी वाले का ही EWS कोटे से एडमिनशन, हाईकोर्ट ने पलटा फैसला

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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Mar 5, 2024, 7:18 PM IST

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Income limit for EWS Quota: दिल्ली हाईकोर्ट ने सिंगल बेंच के फैसले को पलटते हुए EWS कोटे से एडमिनशन के लिए लिमिट को कम कर दिया है. कोर्ट ने न्यूनतम सालाना आय ढाई लाख रुपए तय किया है. इससे पहले सिंगल बेंच ने 5 लाख रुपए तय किया था.

नई दिल्लीः दिल्ली हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने आर्थिक रूप से कमजोर (ईडब्ल्यूएस) वर्ग के छात्रों के दाखिले के लिए न्यूनतम सालाना आय बढ़ाकर पांच लाख रुपये करने के सिंगल बेंच के आदेश में संशोधन करने का आदेश दिया है. मंगलवार को कार्यकारी चीफ जस्टिस मनमोहन की अध्यक्षता वाली बेंच ने सिंगल बेंच के आदेश में संशोधन करते हुए न्यूनतम सालाना आय ढाई लाख रुपये करने का आदेश दिया है.

डिवीजन बेंच में दिल्ली सरकार ने याचिका दायर किया था. दिल्ली सरकार की ओर से पेश वकील संतोष त्रिपाठी ने कहा था कि ईडब्ल्यूएस वर्ग के छात्रों के दाखिले के लिए न्यूनतम सालाना आय एक लाख रुपये से बढ़ाकर पांच लाख रुपये करने के आदेश से एक लाख रुपये आय वर्ग तक के छात्रों को ईडब्ल्यूएस कोटे में दाखिले की संभावना काफी कम हो जाती है. ऐसा कहना समानता के मौलिक अधिकार का उल्लंघन है. उन्होंने कहा कि सिंगल बेंच का आदेश शिक्षा के अधिकार को भी सीमित कर देता है.

दिसंबर में आया था आदेशः 5 दिसंबर 2023 को जस्टिस पुरुषेंद्र कौरव की सिंगल बेंच ने आदेश दिया था कि आर्थिक रूप से कमजोर (ईडब्ल्यूएस) वर्ग के छात्रों के दाखिले के लिए न्यूनतम सालाना आय एक लाख रुपये से बढ़ाकर पांच लाख रुपये किया जाए. सिंगल बेंच ने कहा था कि जब तक दिल्ली सरकार आरक्षण की योजना में संशोधन नहीं करती तब तक ईडब्ल्यूएस वर्ग के दाखिले के लिए न्यूनतम सालाना आय पांच लाख होगी. सिंगल बेंच के इसी आदेश को दिल्ली सरकार ने डिवीजन बेंच में चुनौती दी थी.

सिंगल बेंच ने क्या कहा थाः सिंगल बेंच ने कहा था कि ईडब्ल्यूएस की न्यूनतम आय कितनी होनी चाहिए इसके लिए राज्य सरकार लोगों की आर्थिक स्थिति और दूसरे पहलूओं का आकलन करे. ईडब्ल्यूएस वर्ग की पहचान के लिए मापदंड वैज्ञानिक होना चाहिए और उसका आधार वास्तविक आंकड़े होने चाहिए. दिल्ली और दूसरे राज्यों की तुलना करें तो दिल्ली में ईडब्ल्यूएस के लिए सबसे कम आय का मानदंड रखा गया है, जबकि कई राज्यों में ये आठ लाख रुपये है. ऐसी स्थिति होने पर लोग गलत तरीके से बच्चों का दाखिला कराते हैं.

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