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दिल्ली हाईकोर्ट ने PFI नेता अबू बकर को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से पेश करने के दिए निर्देश, अगली सुनवाई 21 फरवरी को

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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Feb 5, 2024, 3:22 PM IST

पीएफआई नेता अबूबकर की वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से पेशी के निर्देश
पीएफआई नेता अबूबकर की वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से पेशी के निर्देश

PFI leader Abubakar: दिल्ली हाईकोर्ट ने पीएफआई नेता अबू बकर के स्वास्थ्य की स्थिति को देखते हुए उसे अगली सुनवाई यानी 21 फरवरी को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से पेश करने के निर्देश दिए हैं.

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने जेल प्रशासन को निर्देश दिया कि वो पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) के पूर्व प्रमुख ई अबू बकर को सुनवाई की अगली तिथि को वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए पेश कराएं. जस्टिस सुरेश कैत और जस्टिस मनोज जैन की अध्यक्षता वाली बेंच ने ये आदेश उसकी जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया है. मामले की अगली सुनवाई 21 फरवरी को होगी.

कोर्ट ने जेल प्रशासन को निर्देश दिया कि वो अबू बकर की ताजा मेडिकल रिपोर्ट कोर्ट में दाखिल करें. कोर्ट ने जेल प्रशासन को ये भी बताने को कहा कि अबू बकर अस्पताल में कितनी बार और कितने देर तक भर्ती हुआ. दिल्ली हाईकोर्ट ने कोर्ट की रजिस्ट्री को निर्देश दिया कि वो सुनवाई की अगली तिथि के एक हफ्ते पहले गवाहों के बयान सीलबंद लिफाफे में दाखिल करे.

7 अगस्त 2023 को कोर्ट ने अबू बकर की स्वास्थ्य के आधार पर दायर जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए एनआईए को नोटिस जारी किया था. सुनवाई के दौरान एनआईए ने कहा था कि अबू बकर को कई बार एम्स में इलाज के लिए ले जाया गया. उसको बेहतर चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है.

इसके पहले अप्रैल 2023 में हाईकोर्ट ने अबू बकर को अपनी जमानत याचिका वापस लेने की अनुमति दे दी थी. फरवरी 2023 में हाईकोर्ट ने जेल प्रशासन को निर्देश दिया था कि वो अबू बकर को बेहतर चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराएं. पहले की सुनवाई के दौरान एनआईए ने कहा था कि अबू बकर जांच को बाधित करना चाहता है. एनआईए ने कहा था कि उसके खिलाफ जांच चल रही है और इसी दौरान ट्रायल कोर्ट और हाईकोर्ट में जमानत याचिका दायर कर जांच को बाधित करने की कोशिश की जा रही है.

एनआईए ने कहा था कि अबू केरल जाकर इलाज करने की अनुमति मांग रहा है. उसकी ये याचिका जांच को बाधित करने और गवाहों को प्रभावित करने की कोशिश है. सुनवाई के दौरान अबू बकर की ओर से वकील अदीत एस पुजारी ने कहा था कि संविधान की धारा 21 के तहत जीने के अधिकार का उल्लंघन किया जा रहा है. जीने के अधिकार में स्वास्थ्य का अधिकार और गरिमा के साथ जीने का अधिकार भी शामिल है.

पुजारी ने कहा था कि अबू कैंसर और पार्किंसन की बीमारी से ग्रस्त है और वो अपने शरीर की सफाई भी नहीं कर सकता है. वो दो बार टॉयलेट में गिर गया. जब वो एम्स में इलाज के लिए गया, तो उसके बेटे से मिलने की अनुमति नहीं दी गई. हाईकोर्ट ने 19 दिसंबर, 2022 को अबू बकर की उस याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया था, जिसमें उसने अपने घर में नजरबंदी की अनुमति मांगी थी. कोर्ट ने कहा था कि हम आपके घर क्यों भेजें, आप अस्पताल जाइए.

14 दिसंबर, 2022 को एनआईए ने कहा था कि पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया के पूर्व प्रमुख ई अबू बकर बिल्कुल ठीक हैं और उनका इलाज चल रहा है. एनआईए ने कहा था कि अबू बकर को जरूरत पड़ने पर अस्पताल ले जाया जाता है. दरअसल, 30 नवंबर 2022 को हाईकोर्ट ने अबू बकर की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए एम्स से मेडिकल रिपोर्ट तलब किया था.

सुनवाई के दौरान अबू बकर की ओर से वकील मोहम्मद मोबीन अख्तर ने कहा था कि अबू बकर की उम्र 70 साल है. उसको दुर्लभ कैंसर के साथ ही पार्किंसन और डायबिटीज और हाईपरटेंशन समेत कई बीमारियां हैं. सुनवाई के दौरान एनआईए की ओर से कहा गया था कि मामले पर कोर्ट को कोई फैसला लेने से पहले एम्स की रिपोर्ट का इंतजार करना चाहिए.

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अबू बकर को सितंबर 2022 में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) द्वारा पीएफआई पर एक राष्ट्रव्यापी कार्रवाई में गिरफ्तार किया गया था. पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) एक भारतीय मुस्लिम राजनीतिक संगठन था. जिस पर भारतीय गृह मंत्रालय द्वारा गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत 28 सितंबर, 2022 को पांच साल के लिए प्रतिबंधित कर दिया गया है. केंद्र सरकार ने अपने आदेश में पीएफआई पर 'गुप्त एजेंडा चलाकर एक वर्ग विशेष को कट्टर बनाने' और 'आतंकी संगठनों से जुड़े होने' की बात कही.

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