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World Cancer Day 2024: देश में 2023 में 3.4 लाख से अधिक लोगों को हुआ सर्वाइकल कैंसर, जान लें बचाव के उपाय

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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Feb 4, 2024, 12:38 PM IST

World Cancer Day: 4 फरवरी को विश्व कैंसर डे मनाया जाता है. कैंसर के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए हर साल ये दिन मनाया जाता है. इस मौके पर भारत में कैंसर की स्थिति और रोकथाम को लेकर स्वास्थ्य नीति विशेषज्ञ और वरिष्ठ कैंसर ओंकोलॉजिस्ट डॉ.अंशुमान कुमार से ईटीवी भारत ने विशेष बातचीत की.डॉ.अंशुमान कुमार ने दी कई अहम जानकारी.

विश्व कैंसर डे पर वरिष्ठ ओंकोलॉजिस्ट डा. अंशुमान कुमार
विश्व कैंसर डे पर वरिष्ठ ओंकोलॉजिस्ट डा. अंशुमान कुमार
विश्व कैंसर डे पर वरिष्ठ ओंकोलॉजिस्ट डा. अंशुमान कुमार

नई दिल्लीः भारत सहित पूरी दुनिया में कैंसर की बीमारी फैल रही है. भारत में कैंसर के प्रति जागरूकता कम होने के कारण बड़ी संख्या में कैंसर पीड़ित मरीजों की मौत हो जाती है. डॉक्टरों के अनुसार भारत में कम जागरूकता की वजह से अधिकतर कैंसर के मरीजों में कैंसर का पता तीसरे और चौथे चरण में चलता है. जिसके बाद उसका इलाज करना चुनौतीपूर्ण हो जाता है. इसलिए डॉक्टरों का कहना है कि देश में कैंसर के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए सभी को जिम्मेदारी लेनी होगी.

कैंसर के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए हर साल चार फरवरी को विश्व कैंसर दिवस मनाया जाता है. देश में साल 2023 में सर्वाइकल कैंसर के मामलों की संख्या 3.4 लाख से अधिक थी. उन्होने बताया कि भारत में 10 लाख कैंसर के मरीजों पर सिर्फ दो हजार ओंकोलॉजिस्ट, इलाज के लिए सुविधाओं की भारी कमी है.देश में कैंसर की मौजूदा स्थिति और उसके आगामी दुष्प्रभाव और इलाज को लेकर ईटीवी संवाददाता राहुल चौहान ने स्वास्थ्य नीति विशेषज्ञ और वरिष्ठ कैंसर ओंकोलॉजिस्ट डा. अंशुमान कुमार से बातचीत की. पेश हैं बातचीत के प्रमुख अंश.

वर्ल्ड कैंसर डे पर डॉक्टर का इंटरव्यू

सवाल
जवाब
  1. भारत में किस-किस तरह के कैंसर पाए जा रहे हैं और सबसे ज्यादा कौन सा कैंसर मिल रहा है?
भारत में कई प्रकार के कैंसर पाए जा रहे हैं. अगर 2025 नियंत्रण नहीं हुआ तो भारत कैंसर के मामले में पूरे विश्व की राजधानी हो जाएगा. अब 2025 तक नियंत्रण होना भी मुश्किल है क्योंकि 2024 चल रहा है. भारत में सबसे ज्यादा फेंफड़े का कैंसर उसके बाद मुंह, गले, बच्चेदानी का कैंसर, स्तन और प्रोस्टेट का कैंसर भी मिलने लगा है. पहले प्रोस्टेट का कैंसर भारत में बहुत कम पाया जाता था, अब यह भी मिलने लगा है.
2.भारत में कैंसर के तेजी से बढ़ने के क्या कारण हैं? भारत में कैंसर के तेजी से बढ़ने का प्रमुख कारण दुनिया में सबसे ज्यादा आबादी वाला देश होना है. आबादी ज्यादा होने की वजह से स्वास्थ्य सुविधाएं उस स्तर की नहीं हो पा रही हैं कि कैंसर का जल्दी पता चल सके. इसके अलावा लोगों ने पाश्चात्य जीवनशैली को भी अपनाना शुरू कर दिया है. शराब और तंबाकू का सेवन बढ़ना, प्रदूषण, खाद्य पदार्थों में मिलावट, सब्जियों में जहरीलापन, प्लास्टिक का अधिक इस्तेमाल भी कैंसर बढ़ने का कारण है.
3. दिल्ली में देशभर से कैंसर के इलाज के लिए मरीज आते हैं. मरीजों का ज्यादा लोड होने की वजह से समय पर इलाज नहीं मिल पाता. इस पर क्या कहेंगे?दिल्ली में तो फिर भी अस्पताल हैं. पूरे देश में कैंसर का जितना लोड है. उसके हिसाब से सभी को इलाज देने के लिए देश में उतने डॉक्टर, उतने बेड, उतने ओंकोलॉजिस्ट नहीं हैं. 10 लाख कैंसर के मरीजों पर सिर्फ दो हजार ओंकोलॉजिस्ट हैं. इसलिए कैंसर के सभी मरीजों को इलाज मिलना मुश्किल है. इसके समाधान का सबसे कारगर तरीका एक ही है जल्दी से जल्दी कैंसर की पहचान करना.
4.कैंसर की जल्दी से जल्दी पहचान हो इसके लिए क्या करने की जरूरत है? इसके लिए सरकार को कैंसर की रोकथाम के लिए नीति लानी होगी. इसमें वायु प्रदूषण से लेकर सारी चीजों पर काम करना होगा. वर्ल्ड कैंसर डे का थीम भी चल रहा है, क्लोज द केयर गैप. इसके लिए कम्युनिटी हेल्थ सेंटर और प्राइमरी हेल्थ सेंटर तक सुविधाएं उपलब्ध करानी पड़ेंगी और ये किया जा सकता है. एक एमबीबीएस और बीडीस का डॉक्टर भी ये कर सकता है.
5. कैंसर के इलाज की सुविधाओं को आसानी से अधिक लोगों तक पहुंचाने के लिए क्या करने की जरूरत है? इसके लिए कैंसर के इलाज की सुविधाओं का विकेंद्रीयकरण करने की जरूरत है. कोविड के समय आपने देखा होगा कि कैंसर के इलाज के लिए बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड सहित अन्य राज्यों से लोग दिल्ली नहीं आ पाए और उनका इलाज नहीं हो पाया. इसलिए हर जगह हर राज्य में कैंसर के इलाज की सुविधा बढ़ाने के लिए सरकार को नीति लानी होगी. जिससे हर कोई मरीज इलाज के लिए दिल्ली न भागे.
6.सर्वाइकल कैंसर की रोकथाम के लिए सरकार ने बजट में टीकाकरण के लिए घोषणा की है. इसे कैसे देखते हैं?अंतरिम बजट में सरकार ने सर्वाइकल कैंसर की रोकथाम के लिए नौ से 14 वर्ष की बच्चियों के टीकाकरण की घोषणा की है. यह अच्छी पहल है इसी तरह की और पहल करने की जरूरत है. अगर कैंसर पर आपने कंट्रोल कर लिया तो इलाज में आपका जितना पैसा खर्च हो रहा है वह नहीं होगा.
7.कुछ डॉक्टर कहते हैं कि कैंसर कभी ठीक नहीं होता सिर्फ कंट्रोल होता है. उसके दोबारा उभरने की संभावना रहती ही है. इस पर क्या कहेंगे?यह बिल्कुल गलत बात है. प्राथमिक स्तर (अर्ली स्टेज) का कैंसर हमेशा ठीक हो जाता है. जो डॉक्टर ये बात कहते हैं वे कैंसर के डॉक्टर नहीं होंगे. हां, अगर कैंसर चौथे चरण का है. शरीर में हर तरफ फैल चुका है तो वह ठीक नहीं होता है. ऐसी स्थिति में यह कोशिश रहती है कि कैंसर को कंट्रोल करें और मरीज के जीवन की गुणवत्ता को बढ़ाएं. मरीज का ये चौथे चरण के बाद का जो समय है वह कष्ट में ना बीते.
8.कौन-कौन से कैंसर को कंट्रोल करने के लिए वैक्सीन उलब्ध है? सबसे उपयुक्त और महत्वपूर्ण वैक्सीन सर्वाइकल कैंसर का है. सर्वाइकल कैंसर ह्यूमन पेपिलोमा वायरस के कारण होता है. इसकी वैक्सीन उपलब्ध है. दूसरा हिपेटाइटिस बी एक लिवर का इन्फेक्शन है. जिसके कारण पीलिया होता है. अगर उसका टीका लगा लिया जाए तो हिपेटाइटिस नहीं होगा. हिपेटाइटिस हो जाने वाले कुछ लोगों में लिवर कैंसर का चांस होता है. इस तरह कह सकते हैं कि लिवर कैंसर से बचने के लिए हिपेटाइटिस का टीका लगवा सकते हैं. लेकिन, सीधे तौर पर अभी सर्वाइकल कैंसर का टीका उपलब्ध है.

ये भी पढ़ें : शरीर में इन बदलावों को न करें अनदेखा, विश्व कैंसर दिवस पर जानिए कैसे बचें इस घातक बीमारी से

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विश्व कैंसर डे पर वरिष्ठ ओंकोलॉजिस्ट डा. अंशुमान कुमार

नई दिल्लीः भारत सहित पूरी दुनिया में कैंसर की बीमारी फैल रही है. भारत में कैंसर के प्रति जागरूकता कम होने के कारण बड़ी संख्या में कैंसर पीड़ित मरीजों की मौत हो जाती है. डॉक्टरों के अनुसार भारत में कम जागरूकता की वजह से अधिकतर कैंसर के मरीजों में कैंसर का पता तीसरे और चौथे चरण में चलता है. जिसके बाद उसका इलाज करना चुनौतीपूर्ण हो जाता है. इसलिए डॉक्टरों का कहना है कि देश में कैंसर के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए सभी को जिम्मेदारी लेनी होगी.

कैंसर के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए हर साल चार फरवरी को विश्व कैंसर दिवस मनाया जाता है. देश में साल 2023 में सर्वाइकल कैंसर के मामलों की संख्या 3.4 लाख से अधिक थी. उन्होने बताया कि भारत में 10 लाख कैंसर के मरीजों पर सिर्फ दो हजार ओंकोलॉजिस्ट, इलाज के लिए सुविधाओं की भारी कमी है.देश में कैंसर की मौजूदा स्थिति और उसके आगामी दुष्प्रभाव और इलाज को लेकर ईटीवी संवाददाता राहुल चौहान ने स्वास्थ्य नीति विशेषज्ञ और वरिष्ठ कैंसर ओंकोलॉजिस्ट डा. अंशुमान कुमार से बातचीत की. पेश हैं बातचीत के प्रमुख अंश.

वर्ल्ड कैंसर डे पर डॉक्टर का इंटरव्यू

सवाल
जवाब
  1. भारत में किस-किस तरह के कैंसर पाए जा रहे हैं और सबसे ज्यादा कौन सा कैंसर मिल रहा है?
भारत में कई प्रकार के कैंसर पाए जा रहे हैं. अगर 2025 नियंत्रण नहीं हुआ तो भारत कैंसर के मामले में पूरे विश्व की राजधानी हो जाएगा. अब 2025 तक नियंत्रण होना भी मुश्किल है क्योंकि 2024 चल रहा है. भारत में सबसे ज्यादा फेंफड़े का कैंसर उसके बाद मुंह, गले, बच्चेदानी का कैंसर, स्तन और प्रोस्टेट का कैंसर भी मिलने लगा है. पहले प्रोस्टेट का कैंसर भारत में बहुत कम पाया जाता था, अब यह भी मिलने लगा है.
2.भारत में कैंसर के तेजी से बढ़ने के क्या कारण हैं? भारत में कैंसर के तेजी से बढ़ने का प्रमुख कारण दुनिया में सबसे ज्यादा आबादी वाला देश होना है. आबादी ज्यादा होने की वजह से स्वास्थ्य सुविधाएं उस स्तर की नहीं हो पा रही हैं कि कैंसर का जल्दी पता चल सके. इसके अलावा लोगों ने पाश्चात्य जीवनशैली को भी अपनाना शुरू कर दिया है. शराब और तंबाकू का सेवन बढ़ना, प्रदूषण, खाद्य पदार्थों में मिलावट, सब्जियों में जहरीलापन, प्लास्टिक का अधिक इस्तेमाल भी कैंसर बढ़ने का कारण है.
3. दिल्ली में देशभर से कैंसर के इलाज के लिए मरीज आते हैं. मरीजों का ज्यादा लोड होने की वजह से समय पर इलाज नहीं मिल पाता. इस पर क्या कहेंगे?दिल्ली में तो फिर भी अस्पताल हैं. पूरे देश में कैंसर का जितना लोड है. उसके हिसाब से सभी को इलाज देने के लिए देश में उतने डॉक्टर, उतने बेड, उतने ओंकोलॉजिस्ट नहीं हैं. 10 लाख कैंसर के मरीजों पर सिर्फ दो हजार ओंकोलॉजिस्ट हैं. इसलिए कैंसर के सभी मरीजों को इलाज मिलना मुश्किल है. इसके समाधान का सबसे कारगर तरीका एक ही है जल्दी से जल्दी कैंसर की पहचान करना.
4.कैंसर की जल्दी से जल्दी पहचान हो इसके लिए क्या करने की जरूरत है? इसके लिए सरकार को कैंसर की रोकथाम के लिए नीति लानी होगी. इसमें वायु प्रदूषण से लेकर सारी चीजों पर काम करना होगा. वर्ल्ड कैंसर डे का थीम भी चल रहा है, क्लोज द केयर गैप. इसके लिए कम्युनिटी हेल्थ सेंटर और प्राइमरी हेल्थ सेंटर तक सुविधाएं उपलब्ध करानी पड़ेंगी और ये किया जा सकता है. एक एमबीबीएस और बीडीस का डॉक्टर भी ये कर सकता है.
5. कैंसर के इलाज की सुविधाओं को आसानी से अधिक लोगों तक पहुंचाने के लिए क्या करने की जरूरत है? इसके लिए कैंसर के इलाज की सुविधाओं का विकेंद्रीयकरण करने की जरूरत है. कोविड के समय आपने देखा होगा कि कैंसर के इलाज के लिए बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड सहित अन्य राज्यों से लोग दिल्ली नहीं आ पाए और उनका इलाज नहीं हो पाया. इसलिए हर जगह हर राज्य में कैंसर के इलाज की सुविधा बढ़ाने के लिए सरकार को नीति लानी होगी. जिससे हर कोई मरीज इलाज के लिए दिल्ली न भागे.
6.सर्वाइकल कैंसर की रोकथाम के लिए सरकार ने बजट में टीकाकरण के लिए घोषणा की है. इसे कैसे देखते हैं?अंतरिम बजट में सरकार ने सर्वाइकल कैंसर की रोकथाम के लिए नौ से 14 वर्ष की बच्चियों के टीकाकरण की घोषणा की है. यह अच्छी पहल है इसी तरह की और पहल करने की जरूरत है. अगर कैंसर पर आपने कंट्रोल कर लिया तो इलाज में आपका जितना पैसा खर्च हो रहा है वह नहीं होगा.
7.कुछ डॉक्टर कहते हैं कि कैंसर कभी ठीक नहीं होता सिर्फ कंट्रोल होता है. उसके दोबारा उभरने की संभावना रहती ही है. इस पर क्या कहेंगे?यह बिल्कुल गलत बात है. प्राथमिक स्तर (अर्ली स्टेज) का कैंसर हमेशा ठीक हो जाता है. जो डॉक्टर ये बात कहते हैं वे कैंसर के डॉक्टर नहीं होंगे. हां, अगर कैंसर चौथे चरण का है. शरीर में हर तरफ फैल चुका है तो वह ठीक नहीं होता है. ऐसी स्थिति में यह कोशिश रहती है कि कैंसर को कंट्रोल करें और मरीज के जीवन की गुणवत्ता को बढ़ाएं. मरीज का ये चौथे चरण के बाद का जो समय है वह कष्ट में ना बीते.
8.कौन-कौन से कैंसर को कंट्रोल करने के लिए वैक्सीन उलब्ध है? सबसे उपयुक्त और महत्वपूर्ण वैक्सीन सर्वाइकल कैंसर का है. सर्वाइकल कैंसर ह्यूमन पेपिलोमा वायरस के कारण होता है. इसकी वैक्सीन उपलब्ध है. दूसरा हिपेटाइटिस बी एक लिवर का इन्फेक्शन है. जिसके कारण पीलिया होता है. अगर उसका टीका लगा लिया जाए तो हिपेटाइटिस नहीं होगा. हिपेटाइटिस हो जाने वाले कुछ लोगों में लिवर कैंसर का चांस होता है. इस तरह कह सकते हैं कि लिवर कैंसर से बचने के लिए हिपेटाइटिस का टीका लगवा सकते हैं. लेकिन, सीधे तौर पर अभी सर्वाइकल कैंसर का टीका उपलब्ध है.

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