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यूपी में सीटों पर अभी अंतिम फैसला नहीं, कांग्रेस की कमेटी कर रही सपा से बात : अजय राय

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jan 27, 2024, 7:55 PM IST

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लोकसभा चुनाव 2024 का बिगुल बजने ही वाला है. ऐसे में सभी राजनीतिक दल अपने-अपने दांव पेंच आजमाने शुरू कर दिए हैं. कांग्रेस ने इंडिया गठबंधन के साथ यूपी में चुनावी पृष्ठभूमि तैयार की है. सपा के साथ सीट शेयरिंग के फार्मूले पर लगातार मंथन चल रहा है. देखिए यूपी ब्यूरो चीफ आलोक त्रिपाठी की विशेष रिपोर्ट.

यूपी कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय से यूपी ब्यूरो चीफ आलोक त्रिपाठी की खास बातचीत.



लखनऊ : एक ओर जहां देश में भाजपा के खिलाफ मजबूत गठबंधन खड़ा करने के लिए कांग्रेस हर संभव प्रयास कर रही है तो वहीं बिहार, पश्चिम बंगाल और पंजाब से उसके लिए बुरी खबरें आ रही हैं. वहां के सत्ताधारी दल कांग्रेस के गठबंधन से दूसरी बनाने की बात सार्वजनिक तौर पर कह रहे हैं. वहीं उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने प्रदेश में कांग्रेस के लिए 11 सीटों की पेशकश कर यह बता दिया है कि प्रदेश में गठबंधन मजबूती के साथ आगे की ओर बढ़ रहा है. वहीं कांग्रेस पार्टी प्रदेश में अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रही है. पार्टी पिछले चुनाव में एकमात्र संसदीय सीट जीतने में कामयाब हुई थी. राहुल गांधी भी अपनी परंपरागत अमेठी सीट बचा पाने में नाकाम रहे थे. ऐसे में आगामी लोकसभा चुनावों को लेकर कांग्रेस पार्टी की तैयारी कैसी है, यह जानने के लिए ईटीवी भारत ने बात की प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय से. देखिए पूरी खबर...


प्रश्न : आज समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने प्रदेश में कांग्रेस के लिए 11 सीटों की पेशकश की है. क्या आप इससे संतुष्ट हैं?

उत्तर : देखिए है ऐसा है, इस पर हमारा राष्ट्रीय नेतृत्व जिसकी एक कमेटी बनी है, जिसमें राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, पूर्व विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद और मोहन प्रकाश शामिल हैं और सीटों को लेकर यह लोग वार्ता कर रहे हैं. प्रदेश कांग्रेस के प्रभारी अविनाश पांडेय भी वार्ता कर रहे हैं. बहुत ही सौहार्दपूर्ण वातावरण में बातें चल रही हैं और जल्दी ही इसका परिणाम सामने आ जाएगा.


प्रश्न : आपको क्या लगता है कि कितनी सीटें कांग्रेस को मिलनी चाहिए? आपकी कोई मांग तो होगी?

उत्तर : देखिए ऐसा है, इस विषय पर कमेटी बात कर रही है. आने वाले समय में बहुत ही मजबूत स्थिति आपको देखने को मिलेगी. एक अच्छी संख्या आपके सामने आएगी.


प्रश्न : आपकी दावेदारी कितनी सीटों पर है?

उत्तर : जब हम प्रदेश में काम कर रहे हैं तो हमारी दावेदारी स्वाभाविक है. वर्ष 2009 में हम 23 सीटें जीतकर आए थे. लगातार हम मजबूती से काम कर रहे हैं. राजनीति में उतार-चढ़ाव तो लगे ही रहते हैं. हमारा गठबंधन मजबूती से काम कर रहा है.


प्रश्न : क्या राहुल गांधी अमेठी से इस बार चुनाव लड़ेंगे?

उत्तर : अमेठी-रायबरेली घर है उनका. इसमें पूछने वाली बात ही नहीं है. क्षेत्र की जनता की परिवार की तरह सेवा की गई है. राजीव गांधी हों या सोनिया या फिर राहुल गांधी, सभी ने क्षेत्र में परिवार की तरह से काम किया है. लोगों का प्यार है राहुल गांधी से.



प्रश्न : लेकिन प्यार के साथ कहीं न कहीं लोगों की नाराजगी भी रही. क्योंकि राहुल गांधी ने अमेठी के साथ वायनाड से भी चुनाव लड़ा था. शायद इसी कारण अमेठी की जनता ने उन्हें नकार दिया. यदि इस बार भी राहुल गांधी दो सीटों से लड़ते हैं तो लोगों की नाराजगी उन्हें फिर झेलनी पड़ सकती है?

उत्तर : जहां पर अपनापन होता है, वहीं नाराजगी भी होती है. वर्तमान सांसद स्मृति ईरानी के वोट बटोरा, पर वादे पूरे नहीं किए. उन्होंने कहा था कि कमल के फूल वाला बटन दबाओ और 13 रुपये किलो में चीनी ले लो. उन्होंने यह बात जनसभा में कही थी. आप जनता को बेवकूफ बनाकर वोट ले रहे हैं. अभी संजय गांधी अस्पताल को शिकायत करके बंद करा दिया. कोर्ट के आदेश पर बाद में बहाल हुआ.


प्रश्न : स्मृति ईरानी तो कहती हैं कि वह विकास के मुद्दे पर वोट मांगेंगी? वह तो विकास की लंबी फेहरिस्त गिनाती हैं.

उत्तर : वह एक काम बताएं जो कराया है. बंद कराने का मैं बता सकता हूं. राहुल गांधी मेगा फूड मार्ट लेकर आए थे, उसे बंद करा दिया. कैंप लगाकर सीआरपीएफ की जो भर्तियां होती थीं, वह भी बंद करा दी गईं. एक अस्पताल बता दें स्मृति ईरानी जो बनवाया हो. राहुल जी के समय की योजनाओं पर वह वाहवाही लूट रही हैं. कोई ऐसा काम बता दें जिससे वहां के हजारों लोगों को नौकरी मिल गई हो. बेरोजगारों को रोजगार मिल गया हो.



प्रश्न : रायबरेली से इस बार सोनिया जी चुनाव लड़ेंगी या प्रियंका गांधी वाड्रा?

उत्तर : देखिए ऐसा है कि रायबरेली और अमेठी परिवार की सीट है. वहां की जनता का हमरा पीढ़ियों का रिश्ता है. अभी यह तय करना है कि वहां से कौन लड़ेगा. हालांकि यह पक्का है कि यह सीट परिवार की है और परिवार के लोग ही इस सीट को जानते हैं.



प्रश्न : कहा जा रहा है कि सोनिया गांधी इस बार चुनाव नहीं लड़ेंगी और उनके स्थान पर प्रियंका गांघी को चुनाव मैदान में उतारा जाएगा?

उत्तर : वहां का कांग्रेस के साथ रिश्ता पीढ़ियों पुराना है. इस सीट से परिवार का ही कोई सदस्य चुनाव लड़ेगा. इस बात में कोई संशय नहीं है. इस बारे में अधिक जानकारी नहीं है.


प्रश्न : राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में कांग्रेस पार्टी के भीतर बड़ा विरोधाभास देखने को मिला. ऐसा क्यों है?

उत्तर : कोई विरोधाभास नहीं है. कहां विरोधाभास दिख जाता है लोगों को. मकर संक्रांति का पर्व दान-पुण्य का पर्व होता है. हमने सरयू में स्नान करके हनुमानगढ़ी और रामलला के दर्शन किए. सबसे बड़ी बात वहां के सबसे बड़े पुराजी महंत सत्येंद्र दास ने वहां खिचड़ी भोज भी कराया. हम लोगों को आशीर्वाद भी दिया. साथ ही बंदरों को हमारे हाथों से खाना भी खिलवाया था. मैं प्रदेश अध्यक्ष हूं और इसी नाते मकर संक्रांति को सरयू में स्नान कर दान पुण्य किया.



प्रश्न : ...लेकिन कहीं न कहीं उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य पर कांग्रेस शीर्ष नेतृत्व का फोकस कम है, यह बात तो आप मानेंगे?

उत्तर : ऐसा नहीं है. पार्टी पूरी मजबूती के साथ अपना काम कर रही है. हम लोग यदि प्रदेश नेतृत्व के तौर पर यहां काम कर रहे हैं तो केंद्रीय नेतृत्व के ही इशारों पर कर रहे हैं. शीर्ष नेतृत्व का पूरा स्नेह और साथ है.




प्रश्न : फिर विधानसभा चुनावों के बाद एक साल प्रदेश अध्यक्ष की घोषणा करने में क्यों लग जाता है? प्रियंका जी यहां की प्रभारी थीं, तब भी वह साल-साल भी प्रदेश के दौरे पर नहीं आईं. लगता है उत्तर प्रदेश उनके एजेंडे में है ही नहीं?

उत्तर : मैं अपनी बात कह सकता हूं. प्रियंका जी ने इस्तीफा दे दिया था. इसीलिए वह नहीं आईें. वह पूरे देश में दौरे कर रही थीं. राज्यों के चुनावों में वह खूब दौड़ी हैं. मैं जब से प्रदेश अध्यक्ष हूं, सब चीजें क्लियर हैं. कहीं पर कोई व्यवधान आ रहा हो तो बताइए. हम लोग तो तत्काल निर्णय लेकर उनका क्रियान्वयन भी करा रहे हैं.


प्रश्न : मैं उसी पर आता हूं. आपने यात्रा निकाली. अच्छी भीड़ भी जुटाई, लेकिन केंद्रीय संगठन का बहुत समर्थन नहीं दिखाई दिया. राहुल-प्रियंका क्यों नहीं आए?

उत्तर : शुरुआत में देखेंगे पार्टी की प्रवक्ता और सोशल मीडिया इंचार्ज सुप्रिया श्रीनेत, राज्यसभा सदस्य प्रमोद तिवारी, इमरान प्रतापगढ़ी, जितने भी बड़े नेता हैं, यात्रा में पहुंचे. यात्रा में सबका सहयोग भी. अविनाश पांडेय और सलमान खुर्शीद समापन पर शामिल हुए थे.


प्रश्न : जब से आप अध्यक्ष बने हैं, प्रदेश कांग्रेस में एक नई जान फूंकने की कोशिश की है. आपकी मेहनत दिखाई देती है. आप जिले-जिले का दौरा करते हैं. कितनी उम्मीद है कि प्रदेश में कांग्रेस दोबारा खड़ी हो पाएगी?

उत्तर : बहुत-बहुत धन्यवाद. आपकी शुभकामनाओं से ही हम आगे बढ़ रहे हैं. हम प्रयास कर रहे हैं जो समय बचा है, उसमें अच्छा से अच्छा काम करें.


प्रश्न : अखिलेश यादव से जो आपके गिले-शिकवे थे, वह दूर हो गए हैं? आपके बयान को लेकर अखिलेश यादव ने बड़ी नाराजगी जताई थी.

उत्तर : मेरे कोई व्यक्तिगत गिले-शिकवे नहीं थे. मैंने कभी उनको लेकर कोई आपत्तिजनक बयान भी नहीं दिया. मैंने कभी अमर्यादित भाषा का इस्तेमाल नहीं किया. यह मेरे संस्कार में ही नहीं है.


प्रश्न : कांग्रेस राष्ट्रीय स्तर पर दो गठबंधन बना रही है, वह बिहार, पश्चिम बंगाल और पंजाब में दरकता दिखाई दे रहा है. वहीं प्रदेश में गठबंधन को लेकर अच्छे संकेत आ रहे हैं. क्या बसपा को जोड़ने की अब भी कोई संभावना है?

उत्तर : देखिए कोशिश नहीं, बल्कि हम लोगों का एक सुझाव था. बसपा के वोटर और सपोर्टर इस सरकार से बहुत परेशान हैं. इन बातों को देखते हुए हम लोगों ने एक आग्रह किया था. हम सब लोगों का यही काम है कि सबको जोड़कर चलना.


प्रश्न : कांग्रेस की बूथ स्तर की तैयारी नहीं दिखती, हालांकि आप काम कर रहे हैं. निर्णयों में देरी के कारण चीजें बिगड़ जाती हैं, क्या यह आप मानते हैं?

उत्तर : मुझे पांच महीने आए हुआ है. हमने तत्काल प्रदेश की कमेटी बना दी. जिले की चीजों को भी हम देख रहे हैं. जहां भी कमियां पता चल रही हैं, वहां बदलाव किया जाएगा. तुरंत निर्णय हो रहे हैं. हम मजबूती से आगे बढ़ रहे हैं.


प्रश्न : आपका गठबंधन उत्तर प्रदेश में कितनी सीटें जीत लेगा?

उत्तर : देखिए मैं इतना आपको बता सकता हूं कि अभी बहुत मजबूती के साथ चीजें सामने आ रही हैं. पूरा परिणाम आने दीजिए. फिर मुझसे पूछिएगा.

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