शिमला: हिमाचल में राजस्व लोक अदालतों के माध्यम से अब तक इंतकाल के 89,091 मामले और तकसीम के 6,029 लंबित मामलों का निपटारा हुआ है. जो तीन माह की अवधि में एक रिकॉर्ड है. प्रदेश में अक्टूबर 2023 से राजस्व लोक अदालतों का आयोजन किया जा रहा है. हिमाचल में आयोजित होने वाली राजस्व लोक अदालतों का जनता ने भरपूर फायदा उठाया है.
सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू की सरकार में पहली बार आयोजित की जा रही. राजस्व लोक अदालतों के माध्यम से 3 महीनों में इंतकाल के 89,091 मामले और तकसीम के 6,029 रिकॉर्ड लंबित मामलों का निपटारा हुआ है. सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा जनवरी माह में ही विभिन्न राजस्व लोक अदालतों के माध्यम से इंतकाल के कुल 23,159 मामले और तकसीम के 1,958 मामलों का निपटारा किया गया.
जिसमें जिला कांगड़ा अग्रणी रहा. यहां 6,121 इंतकाल के मामलों का निपटारा हुआ हैं. वहीं, जिला मंडी में इंतकाल के 3,212 मामले और जिला ऊना में 2,289 इंतकाल मामलों का निपटारा किया गया. इसके अतिरिक्त जिला ऊना में तकसीम के रिकॉर्ड 543 मामले निपटाए गए. जिला कांगड़ा में तकसीम के 464 और जिला मंडी में 303 मामले निपटाए गए.
सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा प्रदेश में राजस्व से संबंधित लंबित मामलों का समय पर निपटारा किया जाएगा. ताकि आम लोगों को राहत प्रदान की जा सके. उन्होंने कहा अब हर माह के अंतिम दो दिवस में इन लोक अदालतों को आयोजित करने का निर्णय लिया गया है. इस पहल का उद्देश्य लंबित राजस्व मामलों का समय पर समाधान सुनिश्चित करना है. ताकि लोगों को बार-बार राजस्व कार्यालय के चक्कर न काटने पड़े.
उन्होंने कहा कि प्रदेश में अक्टूबर 2023 से राजस्व लोक अदालतें आयोजित की जा रही हैं, जिसमें तीन माह की अल्प अवधि के भीतर ही रिकॉर्ड संख्या में लंबित राजस्व मामलों का निपटारा हुआ है. राज्य में यह पहली बार है कि लंबित राजस्व मामलों के समाधान के लिए मिशन मोड पर अभियान चलाया गया. जिसके ठोस परिणाम भी देखने को मिल रहे हैं.
सीएम ने कहा प्रभावी एवं लोक सुलभ निर्णयों से ही बेहतर शासन और प्रशासन प्रदान किया जा सकता है. प्रदेश सरकार जन शिकायतों के जल्द समाधान के लिए प्रतिबद्ध है. आमजन से जुड़ने और जन समस्याओं का समाधान सुनिश्चित करने के लिए राज्य सरकार की ओर से शुरू किया गया. महत्वकांक्षी कार्यक्रम ‘सरकार गांव के द्वार’ इसी का परिणाम है.
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