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नीतीश के ये करीबी नेता लगाएंगे लोकसभा चुनाव में बेड़ा पार! एक्टिव मोड में जेडीयू

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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Mar 13, 2024, 9:35 AM IST

Loksabha Election 2024: नीतीश कुमार को बिहार की राजनीति का चाणक्य कहा जाता है. 18 साल से अपने तिगड़म से सूबे में सत्ता की गद्दी संभाल रहे हैं. राजनीतिक जानकारों का कहना है कि नीतीश राजनीति में कोई भी कदम उठाते हैं, तो उसमें उनके करीबी नेताओं की अहम भूमिका होती है. आइए जानते हैं कि आखिरकार उनके सिल्पसालार की सूची में कौन-कौन शामिल हैं.

नीतीश के सिपहसालार
नीतीश के सिपहसालार

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पटना: कहते हैं बिहार और उत्तर प्रदेश की राजनीति से ही पूरे देश की राजनीति निर्धारित होती है. बिहार में कब क्या खेला हो जाए, किसी को पता नहीं होता. सीएम नीतीश को बिहार में राजनीति का धुरंधर कहा जाता है. लेकिन राजनीतिक जानकारों का कहना है कि नीतीश कुमार कोई फैसले यूं ही नहीं लेते ब्लिक नीतीश के सिपहसालारों की बड़ी भूमिका रहती है.

एक्टिव मोड में जेडीयू: ऐसे तो जदयू में नीतीश कुमार ही सर्व मान्य नेता हैं और उन्हीं का फैसला सबके लिए मान्य है, लेकिन नीतीश कुमार के आधा दर्जन नजदीकियों का पार्टी में दबदबा साफ दिखता है. लोकसभा चुनाव में नीतीश कुमार के ये नजदीकी नेता ही सिपहसालार के रूप में काम कर रहे हैं. ये सभी 2024 का रण जीताने में नीतीश कुमार को सहयोग देते दिख रहे हैं.

नीतीश के सिपहसालार हैं ये नेता: नीतीश कुमार के खास लोगों में संजय झा, विजय कुमार चौधरी, श्रवण कुमार, बिजेंद्र यादव, अशोक चौधरी और वशिष्ठ नारायण सिंह हैं. नीतीश कुमार के एनडीए में वापसी में संजय झा और विजय कुमार चौधरी की बड़ी भूमिका रही है, अब लोकसभा चुनाव में भी नीतीश कुमार के सभी सलाहकार नीतीश कुमार का बेड़ा पार कराने में लगे हैं.

करीबी नेताओं की सूची में संजय झा: बता दें कि संजय झा बीजेपी से जदयू में नीतीश कुमार के कारण ही शामिल हुए हैं. जब से वह जदयू में आए हैं, नीतीश कुमार के खास लोगों में से एक हैं. इस बार लोकसभा चुनाव लड़ने की चर्चा हो रही थी, लेकिन एनडीए में वापसी के बाद दरभंगा सीट बीजेपी के पास जाना तय है और इसीलिए नीतीश कुमार ने संजय झा को राज्यसभा सीट गिफ्ट में दिया है.

एनडीए में वापसी में संजय झा की भूमिका अहम: संजय झा लंबे समय तक बिहार सरकार के महत्वपूर्ण विभाग के मंत्री रहे हैं और नीतीश कुमार के बड़े फैसलों में हमेशा साथ देते रहे हैं. यहां तक कि एनडीए में फिर से नीतीश कुमार की वापसी में संजय झा ने बीजेपी से तालमेल में बड़ी भूमिका निभाई है. अब लोकसभा चुनाव में भी संजय झा चुनाव प्रचार से लेकर एनडीए के साथ बेहतर तालमेल में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे और नीतीश कुमार के बड़े मददगार बनने वाले हैं. पहले भी लोकसभा चुनाव में प्रचार की रणनीति बनाने में संजय झांकी बड़ी भूमिका रही है.

यस मैन के रूप में विजय कुमार चौधरी: नीतीश कुमार के हमेशा साथ रहने वाले विजय कुमार चौधरी भी नीतीश कुमार के बड़े राजनीतिक सलाहकार में से एक हैं. विधानसभा अध्यक्ष की भूमिका हो या फिर बिहार सरकार के मंत्री की, हमेशा नीतीश कुमार के यश मैन के रूप में काम करते रहे हैं और अब लोकसभा चुनाव में एक बार फिर से विजय कुमार चौधरी की बड़ी भूमिका होगी.

समता पार्टी से ही साथ हैं श्रवण कुमार: नीतीश कुमार के नजदीकी लोगों में से श्रवण कुमार एक हैं. समता पार्टी काल से ही नीतीश कुमार के साथ हैं और सबसे बड़ी बात की नीतीश कुमार के गृह जिला से आते हैं. नीतीश कुमार के सभी फैसलों में आंख मूंद कर समर्थन करते रहे हैं. बिहार सरकार में लगातार महत्वपूर्ण विभाग में मंत्री भी रहे हैं. नीतीश कुमार अपने सभी बड़े फैसलों में बड़ी जिम्मेदारी देते रहे हैं, वहीं जदयू विधायकों के कस्टोडियन भी हैं. अब लोकसभा चुनाव में भी श्रवण कुमार बड़ी भूमिका निभाने वाले हैं.

महागठबंधन में जाने के फैसले में बिजेंद्र यादव की भूमिका: बता दें कि बिजेंद्र यादव भी नीतीश कुमार के साथ लंबे समय से हैं. ऐसे नीतीश कुमार के फिर से एनडीए में जाने के फैसले का बिजेंद्र यादव ने विरोध किया था, लेकिन सार्वजनिक रूप से कभी भी नीतीश कुमार के खिलाफ नहीं गए हैं और पार्टी में हमेशा बड़ी भूमिका निभाते रहे हैं. नीतीश कुमार जब महागठबंधन में गए थे तो उस समय बिजेंद्र यादव ने बड़ी भूमिका निभाई थी. नीतीश कुमार अपने बड़े फैसलों में हमेशा बिजेंद्र यादव से सलाह मशवरा करते हैं.

कम एक्टिव होकर भी बड़ी भूमिका में वशिष्ठ नारायण सिंह: जदयू में वशिष्ठ नारायण सिंह दादा के नाम से जाने जाते हैं और नीतीश कुमार के सबसे नजदीकियों में से एक माने जाते हैं. पार्टी में जब भी कोई बड़ा फैसला लेना होता है, तो नीतीश कुमार वशिष्ठ नारायण सिंह से जरूर एक बार चर्चा करते हैं. वह पार्टी में भले ही बहुत एक्टिव नहीं हैं, लेकिन कई स्तर पर नीतीश कुमार को अपनी सलाह देते रहे हैं.

नीतीश के टास्क को पूरा करते हैं अशोक चौधरी: अशोक चौधरी नीतीश कुमार के साथ हमेशा दिखते हैं और उनके सभी टास्क को पूरा करते रहे हैं. ऐसे तो अशोक चौधरी कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष भी रहे हैं, लेकिन जदयू में आने के बाद नीतीश कुमार के नजदीकी नेताओं में से जाने जाते हैं. जब भी कोई बड़ा अभियान चलाना होता है, तो नीतीश कुमार अशोक चौधरी को भी जिम्मेदारी देते रहे हैं. अब लोकसभा चुनाव में चुनाव प्रचार से लेकर पार्टी के कई गतिविधियों में बड़ी भूमिका निभाने वाले हैं.

देवेश चंद्र ठाकुर और ललन सिंह भी हैं करीबी: पार्टी में इनके अलावा विधान परिषद के सभापति देवेश चंद्र ठाकुर भी हैं. बिहार से बाहर महाराष्ट्र में जब भी कोई अभियान चलाना हो देवेश चंद्र ठाकुर मददगार होते हैं इसके अलावा पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह भी हैं हालांकि इन दिनों ललन सिंह को साइड लाइन कर दिया गया है.

क्या कहते हैं राजनीतिक जानकार अरूण पांडे?: राजनीतिक विशेषज्ञ अरुण पांडे का कहना है कि जदयू में तो सिर्फ नीतीश कुमार का ही चलता है. सभी लोग यस मैन होते हैं और नीतीश कुमार के इशारे का इंतजार करते हैं. कभी आरसीपी सिंह भी नीतीश कुमार के लिए बड़ी भूमिका निभाते थे, लेकिन उनका क्या हाल हुआ सब कोई जानता है. ललन सिंह भी कभी बड़े सलाहकार हुआ करते थे, लेकिन आज ललन सिंह की भी क्या स्थिति है, सब देख रहे हैं और जो लोग अभी नीतीश कुमार के नजदीकी हैं एक तरह से नीतीश कुमार के इच्छा के अनुसार ही काम करते हैं और उनके हर फैसले में खडे़ रहते हैं.

"बिजेंद्र यादव को विरोधी तेवर वाला माना जाता है लेकिन बिजेंद्र यादव भी हस्तिनापुर के साथ ही रहते हैं और जरूरत के अनुसार सलाह देते हैं. इस बार नीतीश कुमार के जो आसपास रहने वाले लोग हैं, चाहे संजय झा हो, विजय चौधरी हो, अशोक चौधरी हो, श्रवण कुमार हो, सभी चुनाव प्रचार करेंगे. नेता अगर मुस्कुराएंगे तो बाकि भी मुस्कुराएंगे"- अरुण पांडे, राजनीतिक विशेषज्ञ

सभी मिलकर नीतीश को जिताएंगे: नीतीश कुमार के नजदीकी संजय गांधी भी हैं. हालांकि संजय गांधी की भूमिका पार्टी के अंदर मैसेज पहुंचने तक की ही है. नीतीश कुमार के सलाहकारों को लेकर संजय गांधी का कहना है कि 'नीतीश कुमार के नेतृत्व में सभी अपनी भूमिका पूरी तरह से निभाएंगे और जीत दिलाने का काम करेंगे'.

इन नेताओं के बिना नीतीश अधूरे: बिहार में एनडीए में सीट बंटवारा अब अंतिम दौर में है. साथ ही मंत्रिमंडल का विस्तार भी इसी सप्ताह होने की चर्चा हो रही है. एनडीए के साथ बेहतर तालमेल और लोकसभा चुनाव में पार्टी को सभी सीटों पर जीत मिले, साथ ही सहयोगी दलों को भी जीत हासिल हो, पार्टी उसके लिए कई स्तर पर काम कर रही है. एक तरह से कह सकते हैं कि नीतीश के ये सलाहकार आज उनकी बड़ी ताकत है और इनके बिना नीतीश अपना कोई भी अभियान पूरा नहीं कर सकते हैं.

सभी 40 सीटों पर जीत का दावा: लोकसभा चुनाव की उल्टी गिनती शुरू हो गई है. सभी दल अपनी रणनीति को अंतिम रूप देने में लगे हैं. बिहार में एनडीए में अभी सीट शेयरिंग का फार्मूला तय नहीं हुआ है, लेकिन लोकसभा चुनाव को लेकर जदयू एक्टिव मोड में दिखने लगी है. नीतीश कुमार फिर से NDA में वापस लौट आए हैं. जिसके बाद 2019 की तरह ही 40 की 40 सीटों पर जीत का दावा पार्टी की ओर से किया जा रहा है.

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