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Explainer: ED के समन को ठुकराते रहे मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, कितना सही, क्या है नियम?, जानें

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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Jan 23, 2024, 4:09 PM IST

Updated : Jan 23, 2024, 8:10 PM IST

यदि कोई प्रवर्तन निदेशालय के समन को ठुकराता रहे तो क्या होगा? ईडी को मनी लॉन्ड्रिंग केस की जांच को लेकर क्या अधिकार हैं और उसे किस कानून से ये अधिकार मिले हैं? जानिए

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नई दिल्ली: घोटालों और वित्तीय अनियमिताओं के आरोप झेल रहे कई राजनेता ईडी के रडार पर हैं. ईडी उनसे पूछताछ के लिए समन भेज रही है, लेकिन वह इसे नजरअंदाज कर रहे हैं. ईडी दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से भी शराब घोटाले के संबंध में पूछताछ के लिए समन भेज चुकी है. लेकिन वह सभी समन को नजरअंदाज कर चुके हैं. उनका कहना है कि ईडी का समन भेजना गैर जिम्मेदाराना है. ईडी गैरकानूनी तरीके से काम कर रही है.

उधर, झारखंड में जमीन घोटाले के मामले में ईडी की टीम मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को एक के बाद एक कुल सात समन भेज चुकी थी. जब वह पूछताछ के लिए नहीं गए तब ईडी ने उनके आवास पर 20 जनवरी को दबिश दी. 7 घंटे तक ईडी की टीम सोरेन के घर पर रही. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, हेमंत सोरेन से पूछताछ पूरी नहीं हुई तो अब ईडी ने दोबारा झारखंड के सीएम से पूछताछ करने के लिए मुख्यालय बुलाया है. इसके लिए उन्हें 27 से 31 जनवरी के बीच किसी एक दिन को चुनने की बात कही है. ऐसे में क्या आने वाले दिनों में ईडी की टीम दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के साथ भी ऐसा ही करेगी? अरविंद केजरीवाल जिस तरह की दलीलें और पत्र भेज रहे हैं, क्या वह ईडी की पूछताछ से हमेशा के लिए बच सकते हैं? ईडी के क्या कानूनी अधिकार हैं जानिए.

क्या ईडी के समन को नजर अंदाज किया जा सकता है?: केंद्रीय जांच एजेंसी प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी अगर किसी वित्तीय अनियमितता के मामले में किसी को एक बार तलब करती है तो जांच एजेंसी के निर्देश का पालन करने, बयान दर्ज करने और संबंधित साक्ष्य एजेंसी के सामने प्रस्तुत करने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचता है. ईडी द्वारा भेजे गए नोटिस का जवाब नहीं देने, पूछताछ में सहयोग नहीं करने के प्रयासों को सच्चाई का सामना करने से बचने के प्रयास के रूप में एजेंसी देखी है. हालांकि इसके चलते गिरफ्तार नहीं किया जाता है. लेकिन यह आगे गिरफ्तारी का एक कारण जरूर बन जाता है. अगर ईडी किसी शख्स को व्यक्तिगत रूप से पेश होने का आदेश देती है तो उसे हर हाल में खुद पेश होना होता है ताकि वह अपने किसी प्रतिनिधि को भेज दें.

ईडी के पास क्या अधिकार है?: प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट 2022 का उद्देश्य किसी भी व्यक्ति द्वारा अपराधी गतिविधि के माध्यम से अर्जित संपत्ति की खोज करना और उसे जब्त करना है. ताकि इसे और अधिक मनी लॉन्ड्रिंग ना किया जा सके. ईडी के निदेशक या जांच अधिकारी को अधिकार है कि वह मनी लांड्रिंग के आरोपी को आरोपी को तलब कर सके. ईडी के अधिकारी उन लोगों को भी तलब कर सकता है जिनकी उपस्थिति किसी केस की जांच या कानूनी कार्रवाई के दौरान साथ प्रस्तुत करने के लिए जरूरी मानी जाती है.

मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल चूंकि सरकार में शीर्ष पद पर हैं. ऐसे में दिल्ली में शराब नीति को बनाने लागू करने और उसमें जो घोटाले की बात सामने आई है कोर्ट के आदेश के बाद ही जांच एजेंसी ईडी अपने अधिकार का प्रयोग करते हुए उन्हें समन भेज रही है. इस एक्ट में कहा गया है कि सभी तलब किए गए लोगों को व्यक्तिगत रूप या अधिकृत प्रतिनिधियों के माध्यम से हाजिर होना जरूरी है. उन्हें मांगे गए दस्तावेज मुहैया करना भी जरूरी होता है.

ईडी की शक्तियों को लेकर कोर्ट का क्या कहना है? सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता एल एन राव कहते हैं, "ईडी बिना किसी समन के भी किसी संदिग्ध को गिरफ्तार कर सकता है, लेकिन अदालत में ईडी को स्थापित करना होगा कि सबूत से छेड़छाड़ या प्रमुख दावों को डराने से रोकने के लिए गिरफ्तारी जरूरी है. दिल्ली शराब घोटाले में भी संजय सिंह जो आम आदमी पार्टी के सांसद हैं, उनकी गिरफ्तारी के बाद ईडी ने यही तर्क कोर्ट में दिया था. नतीजा है कि आज तक संजय सिंह को जमानत नहीं मिली है.

कोर्ट के फैसलों ने ईडी की कानूनी शक्तियों को स्पष्ट किया है, लेकिन इस बात पर भी जोर दिया है कि केवल समन का पालन नहीं करने से गिरफ्तारी नहीं हो सकती. गिरफ्तारी के अधिकार को अलग से निपटाया जाता है. इसके लिए ईडी के निदेशक को उनके पास मौजूद सबूत के आधार पर गिरफ्तारी के लिए लिखित औचित्य प्रदान करने की आवश्यकता होती है. कोर्ट के आदेशों में साफ कहा गया है कि अगर दस्तावेज सौंपने और शपथ के तहत बयान दर्ज करवाने की खास दरकार हो तो ईडी के समन को ठुकराया नहीं जा सकता है.

जानिए क्या है शराब घोटाला? दिल्ली में राजस्व की बढ़ोतरी के लिए दिल्ली सरकार ने मई 2021-22 में नई शराब नीति लेकर आई थी. इसे लाने के पीछे सरकार ने यह मकसद बताया था कि शराब की बिक्री में जो माफिया राज है वह खत्म हो जाएगा और सरकार का राजस्व बढ़ेगा. दिल्ली में नई शराब नीति लागू हुई तो नतीजे इसके विपरीत निकले. 31 जुलाई 2022 को कैबिनेट नोट में दिल्ली सरकार ने माना कि शराब की अधिक बिक्री होने के बावजूद राजस्व में भारी नुकसान हुआ है. तब दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव ने इस मामले में उपराज्यपाल को अपनी रिपोर्ट भेज दी. इससे शराब नीति में गड़बड़ी के साथ मनीष सिसोदिया पर शराब कारोबारियों को अनुचित लाभ पहुंचाने का भी आरोप लगा.

इसके बाद उपराज्यपाल ने मुख्य सचिव नरेश कुमार की भेजी गई रिपोर्ट के आधार पर 22 जुलाई 2022 को इस पूरे मामले की सीबीआई जांच की सिफारिश कर दी. सीबीआई ने मामला दर्ज कर कई ठिकानों पर छापेमारी की. सीबीआई ने 17 अगस्त 2022 को सीबीआई ने मनीष सिसोदिया समेत 14 आरोपियों के खिलाफ नामजद मुकदमा दर्ज किया और उसके बाद मनीष सिसोदिया के यहां छापेमारी हुई. इसके बाद शराब घोटाले में ईडी की एंट्री हो गई. गत 26 फरवरी 2023 को सीबीआई ने मनीष सिसोदिया को गिरफ्तार कर लिया. अक्टूबर में आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह को ईडी ने इस मामले में ही गिरफ्तार किया था.

Last Updated : Jan 23, 2024, 8:10 PM IST
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