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छिंदवाड़ा जिले में धरती के नीचे पातालकोट में बना आदिवासी संस्कृति से सराबोर 'हरोवारो' बूथ - chhindwara seat Harovaro booth

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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Apr 18, 2024, 7:04 PM IST

chhindwara loksabha seat voting Harovaro booth
पातालकोट में बना आदिवासी संस्कृति से सराबोर हरोवारो'बूथ

मध्यप्रदेश की सबसे चर्चित लोकसभा सीट छिंदवाड़ा में 19 अप्रैल को मतदान होगा. वोटिंग की तैयारियां पूरी कर ली गई हैं. छिंदवाड़ा जिले में धरती के नीचे पातालकोट में आदिवासी संस्कृति से सराबोर 'हरोवारो' बूथ बनाया गया है.

छिंदवाड़ा। छिंदवाड़ा जिले में हरोवारो बूथ नाम से एक अनोखा मतदान केंद्र बनाया गया है. ये बूथ समुद्र तल से करीब 3 हजार फीट नीचे बनाया गया है. छिंदवाड़ा जिले के सुदूर गांव श्रीझोत के निवासियों और स्थानीय अधिकारियों ने इस मतदान केंद्र का नाम क्षेत्रीय बोली में रखा है- हरोवारो- यानी पूरी तरह हरा-भरा बूथ. मतदान से एक दिन पहले इस बूथ की ब्रांडिंग की गई. मकसद यही है कि लोग मतदान के लिए उत्साहित हों. इसके साथ ही इस बूथ को विकसित करने के पीछे मकसद प्रकृति और आदिवासी संस्कृति की रक्षा का संदेश देना भी है.

chhindwara loksabha seat voting Harovaro booth
पातालकोट में बना आदिवासी संस्कृति से सराबोर बूथ
chhindwara loksabha seat voting Harovaro booth
पातालकोट में बना आदिवासी संस्कृति से सराबोर हरोवारो बूथ

समुद्र तल से करीब 3 हजार फीट नीचे बसा गांव

छिंदवाड़ा जिले से करीब 80 किलोमीटर दूर स्थित है श्रीझोत गांव. यह पातालकोट के 12 गांवों में से एक है, जो छिंदवाड़ा जिले में समुद्र तल से करीब 3 हजार फीट नीचे स्थित है. इस पंचायत में 629 मतदाता हैं. स्थानीय अधिकारियों का कहना है कि गांव के लोगों का सुझाव था कि इस बूथ को हरियाली, प्रकृति और आदिवासी कला और संस्कृति का संदेश देते हुए विकसित किया जाए, क्योंकि यह गांव घने जंगल के बीच स्थित है. गांव में सौ फीसदी आदिवासी मतदाता हैं, इनमें से ज्यादातर भारिया जनजाति के हैं.

chhindwara loksabha seat voting Harovaro booth
पातालकोट में बना आदिवासी संस्कृति से सराबोर हरोवारो बूथ
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पातालकोट में बना आदिवासी संस्कृति से सराबोर हरोवारो बूथ

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आदिवासी चित्रकला के साथ ही शैल चित्रों को लगाया

स्थानीय लोगों ने आदिवासी चित्रकला, खासतौर से पातालकोट और उसके आस-पास के इलाकों की गुफाओं में पाए जाने वाले शैल-चित्रों को चित्रित किया है. आदिवासी खेती के चित्र भी चित्रित किए हैं, जो पारंपरिक खेती, खासकर बाजरा पर ध्यान केंद्रित करने का संदेश देते हैं. बूथ के गेट को छिंद (भारतीय खजूर) के पौधे की पत्तियों से सजाया गया है. उल्लेखनीय है कि छिंदवाड़ा का नाम इसी पौधे के नाम पर रखा गया है. एसडीएम कामिनी ठाकुर ने बताया "आदिवासी कला और संस्कृति से बहुत समृद्ध हैं. इस बूथ को आदिवासी-संस्कृति और उनकी परंपरा की थीम पर सजाया गया है. लोकतंत्र के त्योहार में स्थानीय लोगों की भागीदारी को प्रोत्साहित करने के लिए गांव में कई आदिवासी सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किए गए."

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