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चैत्र नवरात्रि 2024, भगवती देवी की पूजा करते समय किन वास्तु और नियमों का रखें ध्यान, जानिए - Chaitra Navratri 2024

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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Apr 9, 2024, 5:30 AM IST

Updated : Apr 9, 2024, 6:22 AM IST

HINDU NAV VARSH
चैत्र नवरात्रि 2024

हर साल चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रथम तिथि से ही हिंदू नववर्ष प्रारंभ होता है. इसी दिन से चैत्र नवरात्रि की भी शुरुआत होती है. इस दिनघट स्थापना और मां दुर्गा की स्थापना की जाती है. लेकिन माता की पूजा करते समय वास्तु शास्त्र के नियमों, घट स्थापना के नियमों, सही दिशाओं का विशेष ध्यान रखा जाना चाहिए. इसलिए ईटीवी भारत ने इस संबंध में अधिक जानकारी के लिए ज्योतिष एवं वास्तुविद पंडित विनीत शर्मा से बात की है.

देवी पूजा करते समय वास्तु और नियमों को जानें

रायपुर: साल 2024 चैत्र नवरात्रि की शुरुआत 9 अप्रैल से हो रही है. आज के शुभ दिन घट स्थापना, घट पूजन और मां भगवती की स्थापना वेद मंत्रों और रीति रिवाजों के साथ की जाती है. भगवती माता की पूजा पूर्ण श्रद्धा और आस्था से की जाती है. वास्तु शास्त्र में बताया गया है कि घट स्थापना हो या माता दुर्गा की स्थापना, इसमें दिशा का ध्यान रखना चाहिए. ज्योतिष एवं वास्तुविद पंडित विनीत शर्मा से इस बारे विस्तार से बताया है.

घट स्थापना का क्या है नियम? : वास्तु शास्त्र के नियम के अनुसार, भगवती देवी माता का पूजन पूरी श्रद्धा और आस्था से किया जाना चाहिए. माता दुर्गा की स्थापना पूर्व दिशा की ओर की जाती है. माता की पूजा करते समय यजमान का मुख पूर्व, उत्तर या ईशान दिशा की ओर होना चाहिए. आचार्य के माध्यम से पूजा की जाती है, तो आचार्य का मुख उत्तर दिशा की ओर होना चाहिए.

घट स्थापना में दिशा का महत्व: इस बात का विशेष ध्यान रखें कि दक्षिण पूर्व दिशा में अर्थात आग्नेय कोण में ही धूपदीप, अगरबत्ती, ज्योति, दीपक आदि की स्थापना होनी चाहिए. ईशान की दिशा बहुत पवित्र मानी जाती है. ईशान कोण में ही घट स्थापना, जवारे की स्थापना करना शुभ माना गया है. ईशान कोण में ही जल अथवा वरुण देवता को या कलश भगवान को विधि सम्मत ढंग से स्थापित करना चाहिए.

शुद्धिकरण का रखें विशेष ध्यान: भगवती की स्थापना करने के पहले चारों तरफ स्वच्छता, निर्मलता और सफाई का शुद्ध वातावरण होना चाहिए. गंगाजल या शुद्ध जल, गोदावरी, कृष्णा और कावेरी नदियों के जल के माध्यम से सभी पूजा क्षेत्र को वास्तु के अनुसार शुद्ध करना चाहिए. जिस स्थान में भगवती की स्थापना की जाती है, वहां शुद्ध माला, केले के पत्ते, आम के पत्ते का उपयोग करें. प्रतिदिन सुबह और शाम दोनों समय अनुशासन के साथ स्थापना क्षेत्र का वैदिक मंत्रो के साथ शुद्धिकरण करना चाहिए. नवरात्रि में जल का उपयोग अत्यंत सावधानी और शुद्धता के साथ करना चाहिए. प्रतिदिन जल को बदलना चाहिए और जल में शुद्ध गंगाजल, नर्मदा का जल या किसी न किसी तीर्थ स्थान के जल का मिश्रण किया जाना चाहिए.

नोट: यहां प्रस्तुत सारी बातें पंडित जी की तरफ से बताई गई बातें हैं. इसकी पुष्टि ईटीवी भारत नहीं करता है.

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Last Updated :Apr 9, 2024, 6:22 AM IST
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