अबू सलेम का फर्जी पासपोर्ट बनाने वाले परवेज को राहत नहीं- सीबीआई कोर्ट ने अपील खारिज की, सजा बरकरार - CBI Court Order

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Apr 16, 2024, 10:06 PM IST

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लखनऊ में अबू सलेम का फर्जी पासपोर्ट बनाने वाले परवेज को सीबीआई कोर्ट से राहत नहीं मिली. मंगलवार को अदालत ने उसकी अपील खारिज कर दी.

लखनऊ: माफिया डॉन अबू सलेम एवं उसकी पत्नी समीरा जुमानी के लिए फर्जी पासपोर्ट बनवाने के आरोपी मोहम्मद परवेज आलम की अपील को खारिज करते हुए सीबीआई के विशेष न्यायाधीश विजेश कुमार ने उसे हिरासत में लेकर सजा भुगतने के लिए जेल भेज दिया है. सीबीआई के विशेष अधिवक्ता दीप श्रीवास्तव ने अदालत को बताया कि फर्जी पासपोर्ट मामले में अबू सलेम अब्दुल कयूम अंसारी एवं उसके साथी मोहम्मद परवेज आलम को 27 सितंबर 2022 को सीबीआई की विशेष मजिस्ट्रेट द्वारा तीन साल के कठोर कारावास एवं 25 हजार रुपए के जुर्माने की सजा सुनाई गई थी.

इसके खिलाफ परवेश आलम ने सत्र अदालत में अपील दायर की थी. अदालत को बताया गया कि वर्ष 1993 में मुंबई बम ब्लास्ट के बाद यह बात सामने आई थी कि अबू सलेम ने अपनी पत्नी समीरा जुमानी एवं परवेज आलम तथा अन्य साथियों के साथ मिलकर एक साजिश रची है. बताया गया है कि इस साजिश के तहत कपटपूर्ण तरीके से धोखाधड़ी करके अबू सलेम अब्दुल कयूम अंसारी एवं समीरा जुमानी के सही तथ्य एवं पहचान को छिपा कर फर्जी तरीके से पासपोर्ट हासिल करके कानून से बचकर देश के बाहर भागने की नीयत से धोखाधड़ी की गई थी.

इस काम के लिए अकील आज़मी एवं सबीना के नाम से परवेज ने पासपोर्ट आवेदन भर कर पासपोर्ट कार्यालय में दाखिल किया. आवेदन फार्म पर माता-पिता का फर्जी नाम दिया गया तथा पिता का नाम अली अहमद आज़मी अब्दुल कयूम एवं माता का नाम शकीरा जन्नातुनिसा अंकित किया गया. सीबीआई कोर्ट से अदालत को यह भी बताया गया की समीरा जुमानी का गलत नाम समीरा आजमी एवं पति का नाम अकील अहमद अंसारी अंकित किया गया, जिसमें उसकी फर्जी जन्मतिथि लिखी गई तथा जन्म स्थान मुंबई के स्थान पर सरायमीर आजमगढ़ लिखा गया.

अदालत को यह भी बताया गया कि दोनों आवेदन आरोपी मोहम्मद परवेज आलम के द्वारा भरकर पासपोर्ट कार्यालय में जमा किए गए जबकि वह अबू सलेम को अच्छी तरह से जानता था. अदालत को यह भी बताया गया की 15 जून 1993 को दोनों पासपोर्ट फॉर्म को लखनऊ के कार्यालय में जमा किया गया जिस पर फार्म के अपूर्ण होते हुए भी लखनऊ पासपोर्ट कार्यालय ने आगे की कार्रवाई के लिए बढ़ा दिया. आरोपियों ने धोखाधड़ी करते हुए 29 जून 1993 की तिथि में एसएसपी के फर्जी हस्ताक्षर बनाकर सत्यापन रिपोर्ट लखनऊ पासपोर्ट कार्यालय की फाइल में लगा दिया.

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