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बिहार में हर दिन 568 लोगों को काट रहा कुत्ता, आर्थिक सर्वेक्षण में खुलासा- 200 गुना से अधिक हुई वृद्धि

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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Feb 26, 2024, 9:46 PM IST

Dog Bite In Bihar : बिहार में आए दिन कुत्ते के आतंक की खबर सामने आती रहती है. आर्थिक सर्वेक्षण में भी चौंकाने वाला खुलासा हुआ है. हर दिन प्रदेश में 568 लोगों को कुत्ता अपना शिकार बना रहा है. पढ़ें पूरी खबर.

Dog Bite In Bihar Etv Bharat
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पटना : बिहार के नए आर्थिक सर्वेक्षण 2023-24 की रिपोर्ट में चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं. यह कुत्तों के काटने और रैबीज से संबंधित तथ्य हैं. इसमें देखने को मिला है कि बिहार में पिछले वर्ष 2022-23 की तुलना में 2023-24 में कुत्ता के काटने के मामलों में 200 गुना से अधिक बढ़ोतरी हुई है. बिहार सरकार ने बिहार आर्थिक सर्वेक्षण (2023-24) में कुत्ते के काटने को राज्य में सबसे प्रचलित बीमारी के रूप में पहचाना है. रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2022-23 में कुल 2,07,181 लोग कुत्ते के काटने के शिकार हुए, जबकि साल 2021-22 में कुल संख्या सिर्फ 9,809 थी.

बिहार में कुत्ते काटने की घटना में बढ़ोतरी : इन आंकड़ों को गौर करें तो पता चलता है कि बिहार में हर दिन औसतन 568 लोगों को कुत्ते काट रहे हैं. इस रिपोर्ट के अनुसार राजधानी पटना में वर्ष 2022-23 में कुत्तों के काटने की कुल 22,599 घटनाएं दर्ज की गईं, जो बिहार में सबसे अधिक हैं. इसके बाद नालंदा 17,074, गोपालगंज 15,253, वैशाली 13,110, पश्चिमी चंपारण 11,291, पूर्वी चंपारण 9,975, मधुबनी 8,401, अररिया 6,710, नवादा 6,234, सीतामढी 6,198, जमुई 5,851, जहानाबाद 5,683, भोजपुर 5,323, मधेपुरा 5,169, दरभंगा 5,023 जिले शामिल हैं.

PMC नसबंदी पर दे रहा जोर : जिन जिलों में 2022-23 में 2,000 से कम कुत्ते काटने की घटनाएं हुईं उनमें कैमूर 33, औरंगाबाद 435, बक्सर 686, मुजफ्फरपुर 1,258 और खगड़िया 1,916 शामिल हैं. राजधानी पटना में कुत्तों के काटने की सबसे अधिक घटनाएं सामने आने पर पटना के नगर आयुक्त अनिमेष कुमार पाराशर ने बताया कि, ''हम इस तथ्य से अवगत हैं. जल्द ही इस तरह के खतरे को रोकने के लिए अपना अभियान तेज करेंगे. मौजूदा मानदंडों के अनुसार पीएमसी इस उद्देश्य के लिए गैर-सरकारी संगठनों को भी शामिल करने जा रही है. फिलहाल कुत्तों की संख्या शहर में कम हो इसको लेकर निगम के तरफ से लगातार नसबंदी कार्यक्रम चल रहा है.''

'पर्याप्त संख्या में रेबीज का वैक्सीन' : वहीं पटना जिला सिविल सर्जन डॉक्टर श्रवण कुमार ने बताया कि जिले के सभी अनुमंडल अस्पताल, जिला अस्पताल, सभी प्रकार के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में रेबीज का दवा उपलब्ध है. जिला वैक्सीन भंडार में पर्याप्त संख्या में रेबीज का वैक्सीन है. हर 3 महीने पर वह मॉनिटरिंग करते हैं और रेबीज वैक्सीन की कहां कितनी संख्या है इसकी जानकारी प्राप्त करते हैं.

''गर्दनीबाग अस्पताल, गुरु गोविंद सिंह अस्पताल, गार्डिनर रोड हॉस्पिटल, जिले की मेडिकल कॉलेज अस्पतालों में (24x7) रेबीज वैक्सीन की व्यवस्था है. रेबीज वैक्सीन लेने के लिए किसी पैरवी की आवश्यकता नहीं पड़ती है. मरीज आता है तो पता किया जाता है कितने देर पहले कुत्ते ने काटा है और उसके जख्म को देखकर टीके का निर्धारित डोज दिया जाता है.''- डॉक्टर श्रवण कुमार, सिविल सर्जन, पटना

डॉक्टर की क्या है सलाह : राज्य में आवारा कुत्तों के खतरे पर चिंता व्यक्त करते हुए पटना के वरिष्ठ चिकित्सक डॉक्टर दिवाकर तेजस्वी ने कहा कि, ''सर्वेक्षण रिपोर्ट में आमतौर पर कुत्ते सहित किसी संक्रमित जानवर के काटने से फैलने वाले रेबीज के मामलों की संख्या का उल्लेख किया जाना चाहिए था. कुत्ते के काटने की घटनाओं को बीमारी कैसे कहा जा सकता है? रेबीज एक बीमारी है. यह एक खतरनाक वायरस है जो मस्तिष्क में सूजन का कारण बनता है. जानवर काटने और खरोंच के माध्यम से मनुष्यों में रेबीज फैला सकते हैं. लेकिन यदि समय पर इसका टीका पड़ जाए तो रेबीज का खतरा खत्म हो जाता है.''

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