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झारखंड लोकसभा के नतीजों पर टिकी दो राष्ट्रीय पार्टियों के प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी! जानिए, कैसे - Lok Sabha election 2024

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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : May 26, 2024, 5:55 PM IST

BJP and Congress state president credibility. लोकसभा चुनाव 2024 अब अंतिम चरण में है. झारखंड में मात्र तीन सीटों पर मतदान होना बाकी है. लेकिन झारखंड में चुनावी नतीजों का असर दो राष्ट्रीय अध्यक्षों की कुर्सी और साख दांव पर लगी हुई है.

BJP and Congress state president credibility at stake on results of Lok Sabha election 2024
ग्राफिक्स इमेज (Etv Bharat)

रांची: लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजे न सिर्फ केंद्र में अगली सरकार किसकी होगी. यह तय करेगी बल्कि कई राज्यों के बड़े नेताओं का राजनीतिक भविष्य भी अपने अपने राज्यों के लोकसभा सीट के नतीजों पर टिका है. झारखंड में भी लोकसभा की 14 सीटें हैं. तीन चरणों में 11 सीटों पर मतदान का कार्य पूरा हो गया है. वहीं अंतिम चरण में गोड्डा, दुमका और राजमहल सीट पर अंतिम चरण में 01 जून को मतदान होना है.

जेएमएम, कांग्रेस और भाजपा नेताओं का बयान (ETV Bharat)

इस लोकसभा चुनाव में जितने भी दल ने अपने-अपने प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतारे हैं. उन सभी दलों के प्रदेश अध्यक्ष-प्रदेश सचिव की साख दांव पर लगी है. लेकिन अग्निपरीक्षा तो भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी और कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर की हो रही है. अगर लोकसभा चुनाव के नतीजा खराब हुए तो हार का सारा ठीकरा भाजपा और कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष पर ही फूटेगा यह तय है.

झामुमो के केंद्रीय प्रवक्ता मनोज पांडेय इससे स्वीकार करते है कि खेल में जीत-हार की जिम्मेदारी कप्तान की होती है. ऐसे में झामुमो के खराब प्रदर्शन पर किसके ऊपर जवाबदेही ठोकी जाएगी. इसका जवाब दिए बगैर वे कहते हैं कि अगर बाबूलाल मरांडी ने 2019 लोकसभा चुनाव वाला परफॉरमेंस कायम नहीं रखा तो फिर उनको पद छोड़ना पड़ सकता है. वहीं भाजपा के वरिष्ठ नेता बाबूलाल मरांडी के नेतृत्व में राज्य में सर्वोत्तम रिजल्ट देने का दावा किया और कहा कि कांग्रेस वाले बताएं कि उनके अध्यक्ष की चुनाव बाद क्या दुर्गति होने वाली है.

क्यों, बाबूलाल मरांडी के लिए लोकसभा चुनाव में बेहतरीन प्रदर्शन करना है जरूरी?

झारखंड की राजनीति को बेहद करीब से देखने वाले वरिष्ठ पत्रकार सतेंद्र सिंह कहते हैं कि बाबूलाल मरांडी, राजेश ठाकुर या सीएम चंपाई सोरेन हों, सब पर लोकसभा चुनाव के नतीजे बेहतर करने का दवाब जरूर है. लेकिन बाबूलाल मरांडी पर यह दवाब ज्यादा है क्योंकि उन्हें खुद को भी साबित करना है. वे कहते हैं कि करीब 14 साल तक JVM (P) के अध्यक्ष के रूप में भाजपा के विरोध की राजनीति करने के बाद वह भाजपा में आए और पार्टी ने उन पर भरोसा कर प्रदेश भाजपा की कमान सौंप दी.

बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी पर दूसरा दवाब यह भी है कि 2019 में 14 में से 12 सीटें एनडीए ने जीती थी यानी सर्वोत्तम प्रदर्शन पहले ही पार्टी कर चुकी हैं अब परफेक्ट 14 का लक्ष्य पाना आसान नहीं है. ऐसे में अगर भाजपा या एनडीए की झारखंड से सीट घटी तो इसका सारा ठीकरा बाबूलाल मरांडी के सिर ही फूटेगा. कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर और सीएम चंपाई सोरेन के लिए राहत की बात सिर्फ इतना है कि 2019 लोकसभा चुनाव में कांग्रेस-झामुमो को सिर्फ एक-एक सीट ही मिली थी. ऐसे में इन पर दवाब थोड़ा कम है.

जिस दिन बाबूलाल ने आदिवासियों के सवाल पर चुप्पी साध ली उसी दिन वह राजनीतिक रूप से समाप्त हो गए- राकेश सिन्हा

झारखंड कांग्रेस के प्रदेश महासचिव राकेश सिन्हा ने कहा कि बाबूलाल मरांडी समाप्त हो चुके हैं. जब वह मणिपुर, सरना धर्म कोड, वनाधिकार कानून में बदलाव पर चुपी साध ली वही दिन वह समाप्त हो गए. वहीं कांग्रेस प्रवक्ता रिंकू तिवारी ने कहा कि हमारा रिजल्ट अच्छा हो रहा है. हमने जनता के मुद्दे पर काम किया है और प्रदेश अध्यक्ष के नेतृत्व में बेहतर प्रदर्शन करेंगे.

हेमंत सोरेन की सुनामी में बाबूलाल को छोड़ना होगा प्रदेश अध्यक्ष का पद- झामुमो

वहीं झामुमो के केंद्रीय प्रवक्ता मनोज पांडेय ने कहा कि हेमंत सोरेन के सुनामी में बाबूलाल मरांडी को पद छोड़ना पड़ सकता है. उन्होंने कटाक्ष करते हुए कहा कि लोकसभा चुनाव के बाद अगर बाबूलाल मरांडी झामुमो में आना चाहें तो वह बात करेंगे.

हम सब मिलकर चुनाव लड़ते हैं- भाजपा

लोकसभा चुनाव 2024 में बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी पर खास दवाब की बात पार्टी के वरिष्ठ नेता ने नकार दिया. आगे वरिष्ठ नेता प्रदीप सिन्हा कहते हैं कि सभी कार्यकर्ताओं ने प्रण ले लिया है कि वह बाबूलाल मरांडी की नाक नहीं कटने देंगे.

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