ETV Bharat / state

पिछड़ा वर्ग को साधने के चक्कर सामान्य वर्ग को भूली पार्टियां, बिलासपुर में दांव कहीं उल्टा न पड़ जाए - Bilaspur Lok Sabha Election 2024

author img

By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Apr 25, 2024, 9:39 AM IST

BILASPUR LOK SABHA ELECTION
बिलासपुर लोकसभा क्षेत्र में मतदान

लोकसभा चुनाव के तीसरे चरण के तहत 7 मई को बिलासपुर लोकसभा क्षेत्र में मतदान होना है. बिलासपुर में ओबीसी वर्ग की बहुलता है, जिसे ध्यान में रखकर कांग्रेस ने देवेंद्र यादव और बीजेपी ने टोखन साहू को चुनावी मैदान में उतारा है. दोनों ही पार्टियों में ओबीसी वोटबैंक को साधने की होड़ मची है. लेकिन एससी-एसटी और सामान्य वर्ग की नाराजगी बढ़ी तो बिलासपुर में बड़ा उलटफेर भी हो सकता है.

बिलासपुर: लोकसभा चुनाव को लेकर बिलासपुर लोकसभा क्षेत्र में जातिगत चुनावी महौल बन रहा है. दोनों ही पार्टी पिछड़ा वर्ग के मतदाताओं को साधने और चुनाव अपने पक्ष में करने की कोशिश में लगे हैं. पार्टियों यह जानती हैं कि बिलासपुर में पिछड़ा वर्ग की आबादी अधिक है. इसे ध्यान में रखते हुए इसी वर्ग के उम्मीदवार का दोनों पार्टियों ने उतारा है. ताकि उनके प्रत्याशी की जीत पक्की हो जाए. लेकिन पिछड़ा वर्ग के चक्कर में कहीं ऐसा न हो कि अन्य समाज की उपेक्षा दोनों पार्टियों को भारी भी पड़ जाए.

राजनीतिक पार्टियों ने जुटाया है यह आंकड़ा: बिलासपुर लोकसभा सीट में 20 लाख मतदाता है. राजनीतिक दलों ने अपने स्तर पर जातिगत आंकड़े तैयार किए हैं. जिसके अनुसार, लगभग 10 लाख 94 हजार मतदाताओं में 2 लाख 65 हजार आदिवासी, 2 लाख 25 हजार साहू समाज, 1 लाख 50 हजार यादव समाज, 1 लाख 35097 कर्मीचारी, 92 हजार मरार और पटेल, 75 हजार ब्राह्मण समाज, 15 हजार सूर्यवंशी और सतनामी, 5000 अन्य मतदाता है. इसके अलावा मुस्लिम समाज के मतदाता भी बड़ी संख्या में है. 2019 के चुनाव में 12 लाख मतदाताओं ने अपने मताधिकार का उपयोग किया था, जबकि बाकी मतदाता वोट डालने मतदान केंद्र तक पहुंचे ही नहीं थे.

ओबीसी वर्ग को साधने में जुटी कांग्रेस और बीजेपी: कांग्रेस और बीजेपी यह जानती है कि सबसे ज्यादा संख्या में इन्हीं दो समाज के मतदाता हैं. बिलासपुर लोकसभा में सबसे ज्यादा संख्या वाली साहू समाज और दूसरे नंबर पर यादव समाज आता है. दोनों पार्टियां ओबीसी वर्ग को साधने के चक्कर में सामान्य और एससी-एसटी वर्ग को भूल गई है. देखा जाए तो 20 लाख की जनसंख्या में 10 लाख से भी ज्यादा की संख्या सामान्य और एसटी-एससी वर्ग की है. कहीं उनकी अनदेखी दोनों पार्टियों के लिए गेम खराब न कर दे.

दोनों पार्टी ने चला आरक्षण का दांव: राजनीतिक जानकार अखिल वर्मा ने कहा, "दोनों ही पार्टियां अन्य पिछड़ा वर्ग को 27 प्रतिशत और 52 प्रतिशत आरक्षण देने की बात सदन में रखती रही हैं. लेकिन जब उनके प्रतिनिधित्व की बात आती है, तो चुप हो जाते हैं. ऐसे में दोनों ही पार्टी पिछड़ा वर्ग का फायदा उठाने की कोशिश में हैं. दोनों प्रमुख पार्टियों ने बिलासपुर लोकसभा क्षेत्र में पिछड़ा वर्ग के उम्मीदवार को प्रत्याशी बनाया है."

"बिलासपुर के सामान्य और एससी-एसटी वर्ग के मतदाताओं की अनदेखी करना पार्टियों को नुकसान न पहुंचा दे. यदि पार्टियां पिछड़ा वर्ग के अलावा इन तीनों वर्ग को साधने में कामयाब हो जाए, तो निश्चित ही पार्टी की जीत होगी. लेकिन दोनों ही पार्टी इस समय पिछड़ा वर्ग के मतदाताओं को लुभाने में लगी हुई है." - अखिल वर्मा, राजनीतिक जानकार

बिलासपुर सीट का जातिगत समीकरण: बिलासपुर लोकसभा क्षेत्र में कांग्रेस और बीजेपी ने पिछड़ा वर्ग का उम्मीदवार उतारा है. इसके पीछे पिछड़ा वर्ग के मतदाताओं को साधना दोनों दलों का टारगेट है. बिलासपुर जिले में 20 लाख मतदाताओं में लगभग 10 लाख 94 हजार मतदाता पिछड़ा वर्ग से आते हैं. बाकी के 10 लाख में सामान्य, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के मतदाता है. ऐसे में दोनों ही पार्टी ओबीसी उम्मीदवार उतार कर चुनाव जीतने जुगत लगा रही है. यहां साहू समाज के 2 लाख 25 हजार मतदाता हैं. वहीं यादव समाज के 1 लाख 70 हजार मतदाता हैं. इस दोनों वर्ग को जो भी पार्टी साध लेती है, उसकी सफलता के चांस ज्यादा बन सकती है. बिलासपुर का चुनाव जातिगत होने से यहां सभी की नजर बनी हुई है.

बिलासपुर लोकसभा चुनाव में निर्दलीय कर सकते हैं खेला, क्या कहते हैं राजनीतिक पंडित ? - Bilaspur Loksabha election
बिलासपुर की बाजी में बीजेपी और कांग्रेस की सीधी टक्कर, चुनावी आंकड़ों से समझिए किसका पलड़ा भारी ? - chhattisgarh lok sabha chunav
बिलासपुर लोकसभा सीट के बैटल में वोटिंग का क्या है पैटर्न, चुनावी आंकड़ों से समझिए - Bilaspur Lok Sabha
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.