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अब सस्ती होगी सर्वाइकल कैंसर की जांच, भोपाल एम्स में 200 रुपये में करा सकते हैं टेस्ट - BHOPAL AIIMS CERVICAL cancer test

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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Apr 26, 2024, 8:39 PM IST

BHOPAL AIIMS CERVICAL CANCER TEST
सर्वाइकल कैंसर मरीजों के लिए बड़ी खबर

देश व प्रदेश में सर्वाइकल कैंसर के मामलों में हर वर्ष लगभग 1-2 फीसदी की बढ़ोत्तरी देखने को मिल रही है. इस जानलेवा बीमारी की जांच प्राइवेट अस्पतालों में बुहत मंहगी होती थी, लेकिन अब एम्स भोपाल में सर्वाइकल कैंसर की जांच सिर्फ 200 रुपए में होगी.

भोपाल। एम्स भोपाल में सर्वाइकल कैंसर की जांच के लिए लिक्विड बेस्ड साइटोलाजी पैप टेस्ट का शुभारंभ किया गया है. इससे महिलाओं में होने वाले सर्वाइकल कैंसर का पता शुरुआती दौर में ही लग जाएगा और समय पर उपचार किया जा सकेगा. इसमें मरीज को केवल 200 रुपये खर्च करने होंगे. हालांकि, इसके लिए निजी अस्पतालों में मरीजों को छह से आठ हजार रुपये खर्च करने पड़ते हैं.

एलबीसी तकनीकी से जांच शुरु करने वाला पहला संस्थान

एम्स भोपाल के कार्यपालक निदेशक प्रोफेसर डॉ. अजय सिंह ने बताया कि "एलबीसी तकनीक के द्वारा सर्वाइकल कैंसर की जांच में कम समय लगता है. साथ ही इसकी सटीकता भी बहुत अधिक होती है. इस सुविधा से 25 से 65 आयु वर्ग की महिलाओं को विशेष लाभ मिलेगा. एम्स भोपाल पूरे मध्य प्रदेश में पहला सरकारी संस्थान है, जहां इस तरह की सुविधा उपलब्ध होगी. अभी तक सर्वाइकल कैंसर की जांच पारम्परिक पैप टेस्ट के द्वारा की जा रही थी."

तेजी से बढ़ रहे सर्वाइकल कैंसर के मामले

महिलाओं में होने वाले कुल कैंसर के मामलों में 12 फीसदी केस सर्वाइकल कैंसर के होते हैं. हर साल के साथ इसमें एक से दो फीसदी की बढ़ोतरी देखी जा रही है. इस जानलेवा बीमारी की जल्द पहचान से मरीज की जान बचाई जा सकती है. इसके लिए एम्स में 35 लाख रुपए की लिक्विड बेस्ड साइटोलॉजी तकनीक बेस्ड मशीन लगाई गई है. प्रबंधन का दावा है कि इस सुविधा वाला एम्स प्रदेश का पहला सरकारी अस्पताल है. विशेषज्ञों के अनुसार यह विश्व की सबसे आधुनिक और सटीक जानकारी मुहैया कराने वाली मशीन है.

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अभी पैप स्मीयर मशीन से होती थी जांच

शहर के ज्यादातर अस्पतालों में सर्वाइकल कैंसर की जांच के लिए पैप स्मीयर मशीन का उपयोग किया जा रहा है. इससे सर्वाइकल कैंसर और पूर्व-कैंसर घावों का पता लगाया जाता है. यह तकनीक ह्यूमन पैलीपोमा वायरस संक्रमण को शुरुआत में नहीं पकड़ पाती है.

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