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भिंड सीट में 37 सालों से BJP का कब्जा, क्या फूल सिंह बरैया रोक पाएंगे संध्या राय की जीत का सिलसिला

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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Mar 20, 2024, 7:59 PM IST

Bhind Lok Sabha Seat Profile: इन दिनों देश में चुनावी माहौल देखने को मिल रहा है, लोकसभा चुनाव हैं. तीसरी बार लगातार बीजेपी मोदी की दम पर सत्ता में आने को आतुर नजर आ रही है. इस बार भाजपा का चुनावी स्लोगन 'मोदी का परिवार है' तो वहीं कांग्रेस 'हाथ बदलेगा हालात' का नारा दे रही है. इस सब के बीच भिंड लोकसभा सीट पर इस बार क्या सियासी समीकरण बन रहे हैं. आइये जानते हैं ETV भारत के साथ.

Bhind Lok Sabha Seat Profile
भिंड सीट में 37 सालों से कांग्रेस को पनपने नहीं दे रही BJP, जानिए इस लोकसभा क्षेत्र का सियासी समीकरण

भिंड। वैसे तो चंबल का नाम सुनकर अच्छे अच्छों को पसीना आ जाता है, लेकिन यह क्षेत्र कृषि, देश सेवा के लिए भी जाना जाता है. लोकसभा के चुनाव घोषित हो चुके हैं ऐसे आज बात करेंगे भिंड लोकसभा सीट की. यह लोकसभा क्षेत्र साल 2009 के परिसीमन के बाद से अनुसूचित जाति के लिये आरक्षित सीट है. भिंड लोकसभा क्षेत्र में दो जिले भिंड और दतिया शामिल हैं, लेकिन इस क्षेत्र के चुने हुए जनसेवकों की अनदेखी की वजह से यह लोकसभा क्षेत्र आज भी पिछड़े इलाकों में गिना जाता है. हालांकि अगर ठीक से इस क्षेत्र की समस्याओं पर ध्यान दिया जाये, तो यहां की तस्वीर बदल सकती है. यही वादा इस बार भी चुनाव लड़ रहे उम्मीदवार मतदाताओं से करते दिखाई देंगे.

लोकसभा क्षेत्र की विशेषताएं

भिंड लोकसभा क्षेत्र धार्मिक दृष्टिकोण से अपना अलग महत्व रखता है. क्योंकि पृथ्वीराज चौहान द्वारा निर्मित ऐतिहासिक वनखण्डेश्वर महादेव मंदिर भिंड जिला मुख्यालय पर स्थित है. इसके साथ ही यहां का गौरीसरोवर तालाब भी धार्मिक महत्व रखता है. इस तालाब के चारों और एक सैकड़ा से अधिक मंदिर बने हुए हैं. विश्व प्रसिद्ध डॉ हनुमान का मंदिर भी इसी क्षेत्र के दंदरौआ धाम में स्थित है. उनके दर्शन के लिए पूरे भारत से लोग पहुंचते हैं. इस धाम की मान्यता है कि हनुमानजी की कृपा से यहा कैंसर के मरीज भी ठीक हो जाते हैं. इसी लिए उन्हें डॉ हनुमान कहा जाता है.

वहीं दतिया जिले में पीताम्बरा शक्तिपीठ है, जहां दर्शन और विशेष पूजा के लिए राष्ट्रीय स्तर के नेता मंत्री और कई सेलिब्रिटी आते रहते हैं. इसी जिले के सेवडा विधानसभा में स्थित सनकुआ धाम को सभी तीर्थ का भांजा माना गया है. इसके अलावा इस क्षेत्र में तमाम ऐतिहासिक और पर्यटन धरोहर है. भिंड का गोहद और अटेर किला बहुत विख्यात है. इसके साथ-साथ मालनपुर औद्योगिक क्षेत्र इस क्षेत्र रोजगार का बड़ा साधन है.

लोकसभा सीट के वोटर

अनुसूचित जाति वर्ग के लिये आरक्षित भिंड लोकसभा सीट के अंतर्गत 8 विधानसभा क्षेत्र आते हैं. जिनमें 5 (मेहगांव, भिंड, अटेर, लहार और गोहद) भिंड जिले में और अन्य 3 (दतिया, सेंवड़ा और भांडेर) दतिया जिले में हैं. बात अगर भिंड लोकसभा सीट के मतदाताओं की करें तो इस बार भिण्ड-दतिया लोकसभा सीट पर कुल 18 लाख 93 हजार 631 कुल मतदाता वोट करेंगे. जिसमें 10 लाख 19 हजार 722 पुरुष और 8 लाख 73 हजार 872 महिला वोटर हैं. साथ ही 37 ट्रांसजेण्डर मतदाता भी हैं. वहीं इस लोकसभा सीट पर सर्विस वोटर की संख्या 12 हजार 687 और पीडब्ल्यूडी (दिव्यांग) 15 हजार 18 मतदाता हैं.

लोकसभा सीट के समीकरण

भिंड-दतिया लोकसभा सीट के समीकरणों की अगर बात करें तो इस क्षेत्र में पिछले 37 सालों से बीजेपी का कब्जा है. कांग्रेस हर बार पूरा दम लगाती है, लेकिन सफलता हाथ नहीं आती है. इस सीट से 1971 में ग्वालियर राजवंश की राजमाता विजयाराजे सिंधिया भी चुनाव लड़कर जीत चुकी हैं. अब तक इस सीट पर 15 चुनाव हुए हैं. जिनमें ज्यादातर पैराशूट प्रत्याशी ही जीते हैं. इस बार भी बीजेपी ने अपनी सिटिंग सांसद संध्या राय को टिकट दिया है. मूलतः मुरैना जिले की रहने वाली और दिमनी विधानसभा क्षेत्र से विधायक रह चुकी संध्या राय 2019 में भी इसी सीट पर बीजेपी का चेहरा थी. जो जीत कर सांसद चुनी गई थी. हालांकि पांच सालों में इस क्षेत्र की जानता और कार्यकर्ताओं से उनका तालमेल ज्यादा बैठ नहीं सका.

वहीं कांग्रेस ने वरिष्ठ नेता फूल सिंह बरैया को अपनी जीत का मोहरा बनाया है. वे भिंड-दतिया लोकसभा सीट पर कांग्रेस के प्रत्याशी हैं. हालांकि फूल सिंह बरैया मध्य प्रदेश की राजनीति में बड़ा चेहरा हैं. वे हमेशा अपने बयानों को लेकर सुर्खियों में रहते हैं. 2023 के विधानसभा चुनाव में भी फूल सिंह को कांग्रेस ने भांडेर से टिकट दिया था, जहां उन्होंने चुनाव में जीत भी हासिल की थी, लेकिन अपने दावे के अनुसार कि प्रदेश में कांग्रेस की सरकार न बनने पर मुंह काला करेंगे, बाद में सांकेतिक रूप से ऐसा किया भी था. फूल सिंह बरैया को लोकसभा में जीतने के लिए मशक़्क़त करनी पड़ सकती है. वहीं सीट का समीकरण देखे तो भिंड लोकसभा सीट के अंर्तगत आने वाली 8 विधानसभाओं में वर्तमान में 4 सीट बीजेपी और 4 कांग्रेस के खाते में हैं. जिसका मतलब है जीत की संभावना दोनों ही पार्टियों के लिए बराबर है.

लोकसभा चुनाव 2009 के नतीजे

भिंड लोकसभा सीट पर जब साल 2009 में इलेक्शन हुए तब इस सीट पर कुल 13,64,411 मतदाता थे. जिनमें पुरुषों की संख्या 7,52,205 और महिलाओं की संख्या 6,12,206 थी. बावजूद इसके यहां मतदान प्रतिशत 38.39 फीसदी ही रहा. इस साल चुनाव के लिए 13 उम्मीदवार चुनाव मैदान में थे. साल 2009 में बीजेपी से अशोक अर्गल को 2,27,376 वोट मिले थे, वहीं कांग्रेस की ओर से मैदान में रहे डॉ. भागीरथ प्रसाद को 2,08,479 वोट से संतुष्टि करनी पड़ी थी. ऐसे में चुनाव में भाजपा प्रत्याशी ने करीब 18,897 वोटों से जीत दर्ज की थी.

लोकसभा चुनाव 2014 के नतीजे

साल 2014 में जब मोदी लहर आयी तब इस सीट पर कुल 15,98,169 वोटर्स थे. 2014 में जब यहां मतदान हुआ वोटिंग परसेंटेज 46.03 प्रतिशत रहा था. वहीं चुनाव में 9 उम्मीदवारों ने अपना भाग्य आजमाया था. 2014 में बीजेपी ने भिंड लोकसभा सीट पर डॉ. भागीरथ प्रसाद को टिकट दिया था. जिन्हें मोदी लहर में 4,04,474 वोट मिले, जबकि कांग्रेस की इमरती देवी को 2,44,513 वोट मिले और 1,59,961 मतों से हार का सामना करना पड़ा था. वहीं बसपा के प्रत्याशी मनीष कतरौलिया 33,803 वोट के साथ तीसरे स्थान पर रहे थे.

Bhind Lok Sabha Seat Profile
भिंड लोकसभा सीट के 2019 के परिणाम

लोकसभा चुनाव 2019 के नतीजे

2019 में बीजेपी ने एक बार फिर मैदान में बाहरी प्रत्याशी के रूप में मुरैना के दिमनी से विधायक रहीं संध्या राय को भिंड लोकसभा सीट पर उतारा. वहीं कांग्रेस ने युवा उम्मीदवार देवाशीष जरारिया को टिकट दिया था. इस चुनाव के समय लोकसभा क्षेत्र में कुल 17 लाख 33 हजार 411 वोटर थे, जिनमें पुरुष वोटर 9 लाख 50 हजार 711 और महिला मतदाताओं की संख्या 7 लाख 82 हजार 657 थी. वहीं 43 थर्ड जेंडर मतदाता भी थे. इस चुनाव में वोटिंग परसेंट 54.53% था. बीजेपी की संध्या राय को इनमें से 5 लाख 27 हजार 694 वोट मिले थे. जबकि कांग्रेस के देवाशीष जरारिया को 3 लाख 27 हजार 809 वोट मिले थे. यहां बीजेपी को 1 लाख 99 हजार 885 मतों से जीत मिली थी.

लोकसभा के जातीय समीकरण

जातीय समीकरणों की बात करें तो इस लोकसभा सीट पर 75.3 फीसदी आबादी ग्रामीण क्षेत्र और 24.7 फीसदी आबादी शहरी क्षेत्र में है. वहीं जातीय समीकरण के आधार पर पिछड़ा वर्ग मतदाता की संख्या करीब 8 लाख, अनुसूचित जाति मतदाता- करीब 4 लाख, जैन- करीब 45 हजार, मुस्लिम- करीब 80 हजार, सामान्य वर्ग- करीब 5.5 लाख और अन्य समाज के मतदाता हैं, लेकिन यहां ओबीसी वोटर चुनाव में निर्णनायक भूमिका में नजर आता है.

लोकसभा क्षेत्र के स्थानीय मुद्दे

हर एक क्षेत्र की तरह भिंड लोकसभा क्षेत्र में भी बेरोजगारी एक बड़ा मुद्दा है. यही वजह है कि रोजगार के उचित अवसर ना होने से इस क्षेत्र के युवा गुजरात, दिल्ली, मुंबई समेत अन्य राज्यों में रोजगार की आस में पलायन कर जाते है. भिंड के मालनपुर में स्थित औद्योगिक क्षेत्र भी इस क्षेत्र में स्थानीय मुद्दे में शामिल हैं, क्योंकि इस क्षेत्र में लगी हुई फैक्टरियां धीरे-धीरे बंद होती जा रही है. वर्षों इस क्षेत्र में नये उद्योगों को स्थापित करने के लिए सालों से कोई प्रयास नहीं किए गए. वहीं दशकों से बंद पड़ी केनरा नहर परियोजना हर चुनाव में मुद्दा होती है, लेकिन किसानों के लिए जीवन दायनी इस नहर परियोजना को ठंडे बस्ते में डाल कर छोड़ दिया गया है. चुनाव के समय इसे उठाया जाता है और फिर प्रतिनिधि इसे भूल जाते हैं. वहीं खनिज संपदा से संपन्न भिंड दतिया जिला रेत माफियाओं का गढ़ बन चुका है. जो शासन को लगातार राजस्व का चूना लगा रहे हैं.

Bhind Lok Sabha Seat Profile
भिंड लोकसभा सीट रोचक मुद्दे और जानकारी

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बीजेपी-कांग्रेस ने घोषित कर दिये हैं प्रत्याशी

बहरहाल भिंड लोकसभा सीट पर चुनाव के लिए मतदान 7 मई को होगा. इससे पहले ही बीजेपी ने एक बार फिर सांसद संध्या राय को ही मौका दिया है तो वहीं उनके खिलाफ कांग्रेस ने अपने तेज तर्रार नेता फूल सिंह बरैया को मैदान में उतारा है. जिनका मुकाबला अब इस लोकसभा सीट पर कब्जे के लिये होगा और इनके भाग्य का फैसला इस लोकसभा क्षेत्र की जनता करेगी.

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