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UP ब्यूरोक्रेसी में अनोखा मामला: कई IAS का बदला गया बैच, अब जल्द मिलेगी तरक्की

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Mar 13, 2024, 9:37 PM IST

उत्तर प्रदेश की ब्यूरोकेसी (Bureaucracy of Uttar Pradesh) के इतिहास में एक अनोखा मामला सामने आया है. एक साथ कई सीनियर आईएएस अधिकारियों के बैच बदल दिए गए. जिससे बाद अब उनको जल्द तरक्की मिलने का रास्ता खुल गया है.

Unique case of UP bureaucracy
UP की ब्यूरोक्रेसी का अनोखा मामला

लखनऊ: उत्तर प्रदेश की ब्यूरोकेसी के 2015 बैच के कई अफसरों का बैच बदलकर केंद्र सरकार के DOPT विभाग ने 2014 कर दिया है. जिससे उनकी सीनियनिटी में एक साल की बढ़ोतरी हो जाएगी. संबंधित IAS अफसरों के पक्ष में फैसला आने के बाद DOPT ने यह आदेश किया है.

2014 की जगह 2015 बैच मिला था: नियम के मुताबिक इन अधिकारियों को 2014 का बैच मिलना चाहिए था. लेकिन प्रमोशन के बाद DOPT ने उन्हें 2015 बैच अलॉट कर दिया था. इसके खिलाफ प्रभावित अधिकारियों ने संबंधित ट्रिब्यूनल का दरवाजा खटखटाया था. जहां इन अफसरों को जीत मिली है. इस फैसले का असर यह होगा कि, इन अफसरों के प्रोमोशन में एक साल का अंतर आ जाएगा. जिससे उनको जल्द तरक्की मिल जाएगी. एक साल पहले प्रमोशन का लाभ इन लोगों को मिलेगा. यह फैसला अपने आप में ब्यूरोक्रेसी से जुड़ा यह अनूठा मामला है.

इन IAS अफसरों का बैच बदला
-IAS हरिकेश चौरसिया, 2014, विशेष सचिव आयुष UP
-IAS बृजेश कुमार, 2014 एडिशनल कमिश्नर मुरादाबाद UP
-IAS महेंद्र सिंह, 2014, विशेष सचिव गृह विभाग UP
-IAS रविंद्र पाल सिंह, 2014,विशेष सचिव भाषा, निदेशक हिंदी संस्थान

-IAS श्याम बहादुर सिंह, 2015 बैच, VC मथुरा वृंदावन विकास प्राधिकरण मथुरा

इन सभी अधिकरियों का अलॉटमेंट DOPT ने बदलकर 2014 कर दिया है. यह फैसला CAT में IAS श्याम बहादुर सिंह (2015) के मुकदमा जीतने के बाद किया गया है.

Ex IPS ब्रजभूषण शर्मा बने UP मानवाधिकार आयोग के सदस्य

उत्तर प्रदेश राज्य मानवाधिकार आयोग के सदस्य के रूप में पूर्व आईपीएस अफसर ब्रजभूषण को नियुक्त किया है. ब्रजभूषण अपर पुलिस महानिदेशक लखनऊ जोन के पद से रिटायर हुए थे. गृह मंत्रालय के प्रमुख सचिव संजय प्रसाद ने मंगलवार को आदेश जारी किया है.


माफिया मुख्तार अंसारी के गैंग को ब्रजभूषण ने किया था खत्म: मथुरा निवासी ब्रजभूषण शर्मा वर्ष 1991 बैच के IPS अफसर थे. ब्रजभूषण दिसंबर 2021 को लखनऊ जोन के एडीजी बनाए गए थे. इससे पहले वो दो सालों तक वाराणसी जोन के एडीजी थे. इस दौरान उन्होंने माफिया मुख्तार अंसारी और उसके साम्राज्य को खत्म करने में अहम भूमिका निभाई. साल 2019 में बतौर एडीजी वाराणसी जॉइन करने के साथ उन्होंने मुख्तार के करीब 286 करोड़ का आर्थिक साम्राज्य को जड़ से उखाड़ कर खत्म कर दिया था. जिसमें 140 करोड़ रुपये की संपत्ति जमींदोज की गई. स्लॉटर हाउस और अन्य ठेकों से होने वाली 600 करोड़ रुपये की सालाना आय को बंद कर दिया गया. मुख्तार गैंग के 200 लोगों को जेल भेजा गया. इसके साथ ही 129 लोगों पर गैंगस्टर एक्ट के तहत कार्रवाई हुई. वहीं छह लोगों पर रासुका भी लगा था.

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