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बस्तर लोकसभा सीट में दिग्गजों की जंग, अनुभव के पहाड़ सामने खड़ा है मील का पत्थर, जानिए कैसे राजनीति के चाणक्यों ने बनाया चुनावी माहौल - Lok Sabha Election 2024

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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Apr 18, 2024, 7:29 PM IST

Updated : Apr 19, 2024, 8:12 AM IST

Lok Sabha Election 2024
बस्तर लोकसभा सीट में दिग्गजों की जंग

BASTAR ELECTION MAIN FIGHT, chhattisgarh Lok sabha chunav election 2024 बस्तर लोकसभा सीट के लिए 11 उम्मीदवार चुनावी मैदान में हैं.लेकिन असली मुकाबला बीजेपी और कांग्रेस के बीच ही है. विधानसभा नतीजों से उत्साहित बीजेपी के लिए जहां चुनाव थोड़ा आसान लग रहा था,वहीं कांग्रेस ने इस सीट पर कवासी लखमा को उतारकर मुकाबला बराबरी पर ला खड़ा किया है.बीजेपी के लिए जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत दिग्गजों ने बस्तर में रैली की है.वहीं दूसरी ओर राहुल गांधी समेत कांग्रेस के बड़े नेताओं ने कवासी लखमा के पक्ष में हवा बनाई है.Election Campaign In Bastar PM Modi In Bastar Rahul In Bastar

जगदलपुर : बस्तर लोकसभा सीट कांग्रेस और बीजेपी दोनों के ही लिए काफी महत्वपूर्ण है. बस्तर लोकसभा सीट अनुसूचित जनजाति यानी एसटी वर्ग के लिए आरक्षित है. आजादी के बाद 1952 में पहली बार बस्तर सीट अस्तित्व में आई. 2019 में कांग्रेस के दीपक बैज ने इस सीट से चुनाव जीतकर कांग्रेस का छत्तीसगढ़ में परचम लहराया था. बस्तर लोकसभा सीट पर 11 प्रत्याशी चुनावी मैदान में हैं. कुल 12 उम्मीदवारों ने अपना नामांकन जमा किया था.लेकिन एक उम्मीदवार का नामांकन रद्द हो गया.इसके बाद बस्तर के चुनावी रण में 11 उम्मीदवारों के बीच कड़ा मुकाबला होगा. भारतीय साक्षर पार्टी राजा राम नाग का नामांकन स्क्रूटनी के वक्त रिजेक्ट कर दिया गया है.बताया जा रहा है कि राजा राम के नामांकन में प्रस्तावक के साथ कई जरुरी दस्तावेज नहीं थे.इस वजह से नामांकन रिजेक्ट हुआ.लिहाजा अब बस्तर लोकसभा में 11 उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं. आइए सबसे पहले जानते हैं किन उम्मीदवारों के बीच होगा बस्तर का मुकाबला.

  1. कवासी लखमा (कांग्रेस)
  2. महेशराम कश्यप (बीजेपी)
  3. नरेंद्र बुरका (हमरराज पार्टी)
  4. कवलसिंह बघेल (राष्ट्रीय जनसभा पार्टी)
  5. आयतूराम मंडावी (बहुजन समाज पार्टी)
  6. फूलसिंह कचलाम (सीपीआई)
  7. शिवराम नाग (सर्व आदि दल)
  8. टीकम नागवंशी (गोंडवाना गणतंत्र पार्टी)
  9. जगदीश प्रसाद नाग (आजाद जनता पार्टी)
  10. प्रकाश कुमार गोटा (स्वंतत्र दल)
  11. सुंदर बघेल (निर्दलीय)

किनके बीच है मुख्य मुकाबला ?: बस्तर लोकसभा सीट में इस बार कांग्रेस ने मौजूदा सांसद रहे दीपक बैज का टिकट काटा है. इस बार दीपक बैज की जगह कांग्रेस ने कांग्रेस के कद्दावर नेता कवासी लखमा को मौका दिया है.कवासी लखमा बस्तर का जाना माना चेहरा है.

कवासी लखमा : कवासी लखमा कोंटा विधानसभा से विधायक हैं. कांग्रेस की पिछली सरकार में कवासी आबकारी मंत्री का पद संभाल चुके हैं.कवासी लखमा बस्तर रीजन में कांग्रेस का बड़ा चेहरा है. सबसे पहले 1998 में कवासी लखमा ने चुनाव जीता था. उसके बाद कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. 2003, 2008, 2013, 2018 और फिर इस बार 2023 में कवासी लखमा चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे हैं.स्कूल का मुंह तक नहीं देखने वाले लखमा ने कांग्रेस सरकार में उद्योग और आबकारी मंत्री का पद संभाला है.छत्तीसगढ़ राज्य के कोंटा विधानसभा से पहली बार 2003 में विधायक चुने गए थे. 2013 में दरभा घाटी में नक्सली हमले के दौरान, 30 से अधिक लोग मारे गए थे,कांग्रेस के कई नेता शहीद हुए.लेकिन कवासी लखमा बच गए थे.

क्या है लखमा का प्लस प्वाइंट : कवासी लखमा की यदि बात करें तो उनका देसी अंदाज लोगों के बीच काफी पसंद किया जा रहा है.कवासी लखमा जहां भी जा रहे हैं वो दावा कर रहे हैं केंद्र की मोदी सरकार के कारण बस्तर का विकास नहीं हुआ.महंगाई और बेरोजगारी चरम पर है.लखमा अपने भाषणों में सरसो का तेल और दाल को जनता को दिखात हैं. गुड़ाखू के दाम से लेकर आटा चावल और दूसरी देहात में मिलने वाली चीजों का जिक्र करते हैं. लखमा का फोकस बस इस बात है कि केंद्र के कारण जो चीजें महंगी हुई वो बस्तरियावासियों से दूर हुई. लखमा ने अपने दौरों में वनों की कटाई से लेकर रेलवे सेवाओं और आरक्षण से लेकर चुनावी बांड तक हर एक मुद्दा उठाया है.साथ ही साथ लखमा ने कहा कि यदि कांग्रेस की सरकार सत्ता में आई तो गरीब महिलाओं को एक लाख रुपया महिना मिलेगा.जिससे वो जो चाहे खरीद सकती हैं.

लखमा की कहां है कमजोरी : कवासी लखमा कोंटा विधानसभा के विधायक रहे हैं. मौजूदा परिवेश की बात करें तो बस्तर की 12 में से 8 सीटें बीजेपी की झोली में हैं. पूर्व सांसद दीपक बैज खुद ही विधानसभा चुनाव हार चुके हैं.ऐसे में बीजेपी के संगठन और वापस सत्ता में आई बीजेपी के प्लानिंग को पीछे करना कवासी लखमा के लिए टेढ़ी खीर साबित हो सकती है. लखमा की बेबाक बयान भी कई बार उनके खिलाफ हवा बना देते हैं.भले ही लखमा कई बार के विधायक रहे हो,लेकिन केंद्र की राजनीति में उनका अनुभव कम हैं.

राहुल गांधी ने कवासी लखमा के लिए की कैंपेनिंग : वहीं दूसरी ओर पीएम मोदी के बाद बस्तर में राहुल गांधी की सभा हुई. जिसमें राहुल गांधी ने केंद्र की मोदी सरकार को घेरा. राहुल गांधी ने अपने भाषण में आदिवासियों को फोकस किया. राहुल गांधी ने बताया कि किस तरह से भारत के आदिवासी राष्ट्रपति को राम मंदिर का न्यौता नहीं दिया गया.बीजेपी के नेता ने आदिवासियों पर यूरीन किया.यहीं नहीं बीजेपी के शासन में जल जंगल और जमीन को बेचने की तैयारी है. राहुल गांधी ने कहा कि केंद्र की सरकार गरीबों के लिए नहीं बल्कि अरबपतियों के लिए है. यानी कुल मिलाकर राहुल गांधी ने बस्तर की जनता को मैसेज दिया कि देश की मौजूदा सरकार ने आदिवासियों के हक के लिए कुछ नहीं किया,उल्टा देश में महंगाई और बेरोजगारी को बढ़ाया है. इस दौरान राहुल गांधी ने कांग्रेस की पांच गारंटी समेत 25 संकल्पों को जनता के बीच रखा.साथ ही साथ बीजेपी के घोषणा पत्र को जुमला पत्र बताया.


महेश कश्यप : बीजेपी ने जमीन कार्यकर्ता से नेता बने महेश कश्यप को मैदान में उतारा है.महेश कश्यप की आदिवासियों के बीच अच्छी पैठ रही है. कार्यकर्ता से नेता बनने तक का सफर तय करने वाले महेश कश्यप एक जुझारु नेता के तौर पर जाने जाते हैं. महेश कश्यप 49 वर्षीय पूर्व सरपंच हैं.जिन्होंने विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल में अपना दबदबा बनाया है.धर्मांतरण विरोधी अभियान में उनके योगदान के कारण उन्हें उम्मीदवार के रूप में चुना गया है.

क्या है महेश कश्यप का प्लस प्वाइंट : महेश कश्यप की बात करें तो उनका सफर गांव से पंच से शुरु हुआ.जमीन से जुड़ा होने के कारण वो हर किसी के लिए हमेशा खड़े रहे हैं. महेश कश्यप अपने दौरों में कई बार कहा है कि कवासी लखमा को लगता है कि उनके अनर्गल बयान उन्हें जीत दिला देंगे. बीजेपी ने मेरे जैसे गरीब किसान के बेटे पर भरोसा किया है और मैं सभी जिलों का दौरा कर रहा हूं और मतदाताओं तक पहुंच रहा हूं. महेश कश्यप ने बस्तर में धर्मांतरण को लेकर भी एक बड़ी मुहिम चलाई थी.जिसके कारण आदिवासी समाज के बीच उनकी पकड़ काफी मजबूत है. आदिवासी सर्व समाज के वोटर्स ने विधानसभा चुनाव में बीजेपी का साथ दिया.यदि इस बार भी यही हुआ तो कवासी जैसा पहाड़ गिराने में महेश को देर ना लगेगी.

महेश कश्यप की कमजोरी : कवासी लखमा के मुकाबले महेश कश्यप का कद लोकसभा चुनाव में छोटा है. कवासी जहां लोगों के जुबान में चढ़ा हुआ नाम है,वहीं महेश कश्यप को बस्तर लोकसभा को नापने में लंबा वक्त लगा है. महेश कश्यप को जीत के लिए संगठन और कार्यकर्ताओं के भरोसे रहना होगा.उनकी खुद की पहचान बनाने के लिए शायद एक महीने का समय कम था.फिर भी यदि संगठन ने अपना काम किया तो महेश कश्यप की वैतरणी पार हो सकती है.

पीएम मोदी ने महेश कश्यप और भोजराज नाग के लिए मांगे वोट : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बस्तर के आमाबेला गांव में बीजेपी की विजय संकल्प रैली में शामिल हुए.इस दौरान पीएम मोदी ने विजय संकल्प रैली को संबोधित करते हुए कहा था कि जब तक गरीब की चिंता दूर नहीं होगी, मोदी चैन से नहीं बैठेगा. देश में 25 करोड़ से ज्यादा लोग गरीबी से बाहर निकले हैं.छत्तीसगढ़ ने मोदी की गारंटी पर मुहर लगाई.इसी तरह से मोदी ने बस्तर के दिग्गज नेता बलिराम कश्यप को याद किया.साथ ही साथ पीएम मोदी ने जनता को बताया कि गरीबों के लिए मुफ्त स्वास्थ्य योजना की शुरुआत भी उन्होंने बस्तर के गांव से की थी. पीएम मोदी ने जनता से अपील की इस बार फिर से बस्तर में कमल खिलाकर देश के विकास में भागीदार बने.

बस्तर लोकसभा सीट पर कितने वोटर्स? :बस्तर लोकसभा में वोटर्स की कुल संख्या 13 लाख 57 हजार 443 है. इनमें पुरुष मतदाताओं की संख्या 6 लाख 53 हजार 620 है. वहीं महिला मतदाताओं की संख्या 7 लाख 03 हजार 779 है. यानी महिला मतदाताओं की संख्या पुरुषों के मुकाबले 50 हजार से भी ज्यादा है.ये आंकड़ा देश के किसी भी दूसरी लोकसभा सीट पर नहीं है. बस्तर ही ऐसी लोकसभा है जहां पर महिलाओं की संख्या पुरूषों से ज्यादा है. 2019 लोकसभा चुनाव में 9 लाख 12 हजार 846 मतदाताओं ने मतदान किया था. मतलब यहां 70 फीसदी मतदान हुआ था.

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Last Updated :Apr 19, 2024, 8:12 AM IST
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