लखनऊ: भारत सरकार की स्वच्छ भारत मिशन योजना में सफाई के लिए खरीदे गए कूड़ेदान में लाखों रुपए का घोटाला करने की आरोपी कुसुमा सिंह की जमानत अर्जी को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के विशेष न्यायाधीश अजय कुमार श्रीवास्तव ने खारिज कर दिया है.
जमानत के विरोध में बताया गया कि स्वच्छ भारत मिशन के तहत खरीदे गए कूड़ेदान में लाखों रुपए का घोटाला सामने आने पर जिला पंचायत राज विभाग द्वारा विजिलेंस जांच के लिए एक प्रस्ताव सरकार के पास भेजा था. अदालत को बताया गया कि विजिलेंस जांच तत्कालीन जिला पंचायत राज अधिकारी हरदोई अनिल कुमार सिंह की विरुद्ध थी जिसमें भारत सरकार की फ्लैगशिप कार्यक्रम के अंतर्गत स्वच्छ भारत मिशन योजना में कूड़ेदान के क्रय में की गई अनियमितता के संबंध में था.
अदालत को बताया गया कि जांच के दौरान पता चला कि स्वच्छ भारत मिशन 2014 का प्रारंभ भारत सरकार द्वारा 20 अक्टूबर 2014 को किया गया था तथा इसके संबंध में 6 दिसंबर 2015 को मुख्य सचिव उत्तर प्रदेश शासन द्वारा निर्देश जारी किए गए थे जिसके अंतर्गत ग्रामीण क्षेत्रों में ठोस एवं तरल अवशेषों हेतु ग्राम पंचायत द्वारा सार्वजनिक भवन, स्कूल, स्वास्थ्य केंद्र, आंगनबाड़ी केंद्र, हाट बाजारों एवं धार्मिक स्थलों पर कूड़े करकट के लिए निर्धारित स्थल पर डस्टबिन की व्यवस्था करने को कहा गया था.
अदालत को बताया गया कि इस काम के लिए मेसर्स एसएससीओ मैनेजमेंट सर्विसेज विभूति खंड गोमती नगर लखनऊ को काम सौपा गया था जिसमें नीलकमल एवं सुप्रीम कंपनी के डस्टबिन खरीद गए थे. अदालत को यह भी बताया गया कि आरोपियों ने निर्धारित मानक से हटकर अधिक मूल्य पर कूड़ेदान खरीदा था. इस प्रकार भारत सरकार को लाखों रुपए की हानि हुई जिसमें अभियुक्ता कुसुमा सिंह की भी संलिप्तता पाई गई थी.