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फ्रांस में तीसरी शादी, एनकाउंटर में मारे जाने का फर्जी दावा, 40 से ज्यादा केस; ऐसी है माफिया धनंजय की अपराधकथा

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Mar 6, 2024, 12:49 PM IST

Updated : Mar 6, 2024, 5:14 PM IST

बाहुबली धनंजय सिंह को अपहरण और रंगदारी के मामले में दोषी करार दे चुकी कोर्ट आज फैसला सुनाएगी. चलिए जानते हैं बाहुबली पूर्व सांसद की क्राइम हिस्ट्री के बारे में.

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जौनपुरः जिले की एमपी में एमएलए कोर्ट के न्यायाधीश शरद त्रिपाठी ने मंगलवार को 10 मई 2020 को नमामि गंगे योजना के प्रोजेक्ट मैनेजर अभिनव सिंघल के अपरहण व रंगदारी मांगने के आरोप में बाहुबली पूर्व सांसद धनंजय सिंह को दोषी करार देते हुए जेल भेज दिया था. पूर्व सांसद को कोर्ट ने बुधवार को 7 साल की सजा भी सुना दी. पुलिस की लिखापढ़ी में बाहुबली धनंजय सिंह की क्राइम हिस्ट्री काफी लंबी चौड़ी रही है. धनंजय सिंह पर कुल 43 केस दर्ज थे जिनमें से 22 मुकदमों में उन्हें निर्दोष करार दिया गया. पहली बार उन्हें किसी मुकदमे में दोषी साबित किया गया है.

पहली पत्नी की मौत, दूसरी से तलाक और फ्रांस में तीसरी शादी: धनंजय सिंह ने जून, 2017 में तेलंगाना की रहने वाली श्रीकला रेड्डी से फ्रांस के पेरिस में शादी की. श्रीकला रेड्डी तेलंगाना की बड़ी बिजनेस फैमिली से ताल्लुक रखती हैं. वह उनकी तीसरी पत्नी हैं. इससे पहले 2013 में दिल्ली स्थित सांसद निवास में उनकी दूसरी पत्नी जागृति सिंह पर अपनी नौकरानी की बेरहमी से पिटाई का आरोप लगा था. इस मामले के बाद धनजंय सिंह का उनसे तलाक हो गया था. वहीं, उनकी पहली पत्नी की संदिग्ध हालात में मौत हो गई थी.

छात्र राजनीति से की शुरुआतः जौनपुर जिले के बनसफा में सामान्य परिवार में जन्मे धनंजय ने जौनपुर के टीडी कॉलेज से छात्र राजनीति की शुरुआत की थी. इसके बाद लखनऊ विश्विद्यालय में मंडल कमीशन का विरोध कर धनंजय ने अपनी छात्र राजनीति को धार दी थी. लखनऊ विश्विद्यालय में ही बाहुबली अभय सिंह के संपर्क में धनंजय आए और फिर हत्या, सरकारी ठेकों से वसूली, रंगदारी जैसे मुकदमों में नाम आने की वजह से धनंजय सुर्खियों में रहे. 1998 तक धनंजय का नाम लखनऊ से लेकर पूर्वांचल तक जरायम जगत में सुर्खियों में आ चुका था और उन पर पुलिस की ओर से 50 हजार का इनाम घोषित हो चुका था. अक्टूबर 1998 में पुलिस के मुताबिक 50 हजार का इनामी धनंजय सिंह तीन अन्य बदमाशों के साथ भदोही-मिर्जापुर रोड पर स्थित एक पेट्रोल पंप पर डकैती डालने आए थे. पुलिस ने दावा किया था कि मुठभेड़ में धनंजय सहित चारों बदमाश मारे गए थे. हालांकि बाद में पता चला कि धनंजय जिंदा थे और भूमिगत हो गए थे. 1999 में इस फर्जी मुठभेड़ का खुलासा हुआ तो मानवाधिकार आयोग ने जांच शुरू करा दी. इस मामले में 34 पुलिसकर्मियों पर मुकदमे दर्ज हुए थे.

जिगरी दोस्त बने जानी दुश्मनः 2002 आते-आते धनंजय सिंह और उनके बाहुबली जिगरी दोस्त अभय सिंह के संबंधो में खटास आने लगी. नतीजा यह निकला कि अक्टूबर 2002 में वाराणसी के नदेसर के टकसाल टाकीज से निकल रहे धनंजय सिंह के काफिले पर फायरिंग शुरू हो गई. स्थानीय लोगों के मुताबिक दोनों तरफ से जमकर गोलियां चली थीं. इस गोलीबारी में धनंजय के गनर सहित चार लोग घायल हुए थे. प्रकरण को लेकर धनंजय ने कैंट थाने में अभय सिंह के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था.

चार बार चुनाव भी हारेः बाहुबली धनंजय सिंह एक बार नही बल्कि चार विधानसभा चुनाव में मल्हनी सीट से चुनाव लड़ चुके हैं. हालांकि वह जीत नहीं पाए लेकिन भाजपा प्रत्याशी की जमानत जरूर जब्त करवा चुके हैं. इन चुनावों में उन्होने सपा प्रत्याशी को कड़ी टक्कर देकर दूसरे स्थान पर रहे. इतना ही नही 2004 लोकसभा चुनाव में धनंजय सिंह कांग्रेस-लोजपा गठबंधन से मैदान में उतरकर भाजपा प्रत्याशी तत्कालीन गृहराज्य मंत्री स्वामी चिन्मयानंद की हार का कारण बन चुके है.


धनंजय सिंह का राजनैतिक सफरनामाः जौनपुर के लोग बताते हैं की 2002 में विनोद नाटे नाम के एक बाहुबली नेता हुआ करते थे. विनोद को कुख्यात मुन्ना बजरंगी का भी गुरू माना जाता है. विनोद नाटे ने रारी विधानसभा से चुनाव जीतने के लिए खासी मेहनत की थी. इसी बीच सड़क दुर्घटना में विनोद की मौत हो गई थी. इसके बाद धनंजय ने विनोद की तस्वीर को अपनी राजनीति का सहारा बनाया और जगह-जगह उनका जिक्र कर लोगों की संवेदनाएं बटोरते हुए 2002 में वह रारी से निर्दलीय विधायक बन गए.


2007 में धनंजय सिंह ने जेडीयू के विधायक के तौर पर जीत दर्ज की. 2008 में धनंजय बीएसपी में शामिल हो गए और 2009 में बसपा के टिकट पर जौनपुर से सांसद चुने गए. 2011 में बसपा सुप्रीमो मायावती ने उन्हें पार्टी विरोधी गतिविधियों में संलिप्त होने के आरोप में बाहर का रास्ता दिखा दिया.

2012 के विधानसभा चुनाव में धनंजय ने अपनी पूर्व पत्नी डॉ. जागृति को निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर मल्हनी से उतारा लेकिन वह हार गईं. 2014 में जौनपुर से लोकसभा और 2017 में मल्हनी सीट से निषाद पार्टी से विधानसभा चुनाव में पारस नाथ यादव ने धनंजय को करारी शिकस्त दी थी. 2020 में उपचुनाव में लकी यादव के सामने लड़े और शिकस्त खाए. 2022 में विधानसभा चुनाव में जेडीयू से टिकट पर लड़े और फिर हार गए. वही जिला पंचायत अध्यक्ष के पद पर अपनी पत्नी श्रीकाल धनंजय सिंह को जीत हासिल कराई.


कब-कब गए जेल

  • 2011 में बेलाब हत्याकांड में जेल गए
  • 2013 में नौकरानी हत्याकांड में जेल जाना पड़ा
  • 5 मार्च 2017 को एक मामले में नैनी सेंट्रल जेल पहुंचे थे.
  • 10 मई 2020 को नमामि गंगे के प्रोजेक्ट मैनेजर अभिनव सिंगल के अपहरण के मामले में जेल जाना पड़ा.

इस मामले में मिली सजा
मुजफ्फरनगर के अभिनव सिंघल ने 10 मई 2020 को लाइन बाजार थाने में अपहरण, रंगदारी और अन्य धाराओं में पूर्व सांसद धनंजय सिंह व संतोष विक्रम सिंह और दो अज्ञात के खिलाफ रिपोर्ट लिखाई थी. आऱोप लगाया था कि इन लोगों ने असलहे के दम पर उनका अपहरण किया और धनजंय सिंह के घर ले गए. वहां धनजंय सिंह ने उन पर उनकी फर्म को कम गुणवत्ता वाली सामग्री की आपूर्ति करने के लिए दबाव डाला. इनकार करने पर रंगदारी मांगी. किसी तरह उसने जान बचाई. इस मामले में पुलिस ने धनजंय सिंह को पुलिस ने गिरफ्तार किया था. इलाहाबाद हाईकोर्ट से जमानत पर धनंजय जेल से बाहर आया था. इस मामले में कोर्ट ने मंगलवार को धनंजय सिंह को दोषी करार दिया था.

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Last Updated : Mar 6, 2024, 5:14 PM IST
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