नई दिल्ली: दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) में यूनिवर्सिटी कोर्ट के माध्यम से कार्यकारी परिषद 2024-27 के लिए हुए चुनाव में नेशनल डेमोक्रेटिक टीचर्स फ्रंट (एनडीटीएफ) उम्मीदवार एडवोकेट मोनिका अरोड़ा ने बड़े अंतर से ऐतिहासिक जीत हासिल की है. यह जीत उन्होंने पहले ही दौर में सबसे अधिक वोट 151 प्राप्त कर किया. यूनिवर्सिटी कोर्ट के चुनाव में इतनी वोट अभी तक किसी उम्मीदवार को नहीं मिली हैं. उन्हें प्रथम वरीयता के 150 वोट मिले, जबकि दूसरे स्थान पर रहे एएडीटीए उम्मीदवार राजपाल पवार (आप) को 64 वोट मिले.
मोनिका अरोड़ा प्रथम वरीयता वोटों के माध्यम से चुनाव जीतने के लिए निर्धारित न्यूनतम कोटा पार करने वाली एकमात्र उम्मीदवार हैं. इस चुनाव में, डीन, प्रोफेसर और प्रिंसिपल जैसे वरिष्ठ शिक्षाविद ईसी सदस्यों का चुनाव करने के लिए मतदान करते हैं. इसे संघ विचारधारा के प्रति डीयू के वरिष्ठ संकाय सदस्यों का जनमत संग्रह और आस्था माना जा रहा है. महत्वपूर्ण बात यह है कि वामपंथी उम्मीदवार एडवोकेट कीर्ति सिंह चुनाव हार गईं.
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मोनिका अरोड़ा के दूसरी वरीयता के वोटों के माध्यम से एक अन्य वकील एलएस चौधरी ने भी एक सीट जीती. राजपाल पवार और अमन कुमार अन्य दो उम्मीदवार हैं जिन्होंने दूसरी वरीयता के वोटों से जीत हासिल की. इस जीत पर डूटा के अध्यक्ष प्रोफेसर अजय कुमार भागी ने मोनिका अरोड़ा की जीत को विश्वविद्यालय में ऐतिहासिक बताया है और कहा है कि अभी तक विश्वविद्यालय कोर्ट चुनाव में किसी भी उम्मीदवार को आज तक इतने वोट नहीं मिले.
विद्वत परिषद के पूर्व सदस्य डॉ. हंसराज सुमन ने इसे महिलाओं के शशक्तिकरण का दौर बताया है और कहा है कि यह संघ की बढ़ती लोकप्रियता का ही परिणाम है कि उन्हें विश्वविद्यालय कोर्ट में सर्वाधिक वोट मिले हैं. बता दें कि दिल्ली विश्वविद्यालय सहित हर विश्वविद्यालय में कार्यकारी परिषद और अकादमिक परिषद विश्वविद्यालय में नए कोर्स शुरू करने, पुराने कोर्स को बंद करने या नए नियम और कानून को अधिसूचित करने के लिए दो मुख्य समितियां होती हैं, जिनकी बैठकों में ही हर तरह के निर्णय लिए जाते हैं.
दिल्ली विश्वविद्यालय में एनडीटीएफ भाजपा और संघ समर्थित शिक्षक संगठन है. जबकि डेमोक्रेटिक टीचर फ्रंट (डीटीएफ) वामपंथी शिक्षक संगठन और एएडीटीए आम आदमी पार्टी समर्थित शिक्षक संगठन है जो प्रमुख रूप से हर चुनाव में भागीदारी करते हैं.
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