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मणीचक सूर्य मंदिर धाम में प्रतिमाओं का अधिवास और संस्कार, श्री सूर्य नारायण व भगवान भास्कर की कल होगी प्राण प्रतिष्ठा

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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Feb 14, 2024, 5:13 PM IST

मणीचक सूर्य मंदिर धाम
मणीचक सूर्य मंदिर धाम

Manichak Surya Mandir Dham: पटना के मसौढ़ी स्थित मणीचक सूर्य मंदिर धाम में भगवान भास्कर और श्री सूर्य नारायण प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा कराई जाएगी. प्राण प्रतिष्ठा से पहले आज अधिवास और संस्कार कार्यक्रम किया गया, जिसमें सैकड़ों श्रद्धालु शामिल हुए. पढ़ें.

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पटना: राजधानी पटना के मसौढ़ी में ऐतिहासिक मंदिरों में से एक मणीचक सूर्य मंदिर धाम में भगवान भास्कर और श्री सूर्य नारायण प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी. 15 फरवरी को प्राण प्रतिष्ठा होने जा रही है, ऐसे में आज सभी प्रतिमाओं का अधिवास एवं संस्कार किया गया.

प्रतिमाओं का अधिवास और संस्कार कार्यक्रम: बता दें कि भगवान भास्कर और सूर्य नारायण समेत अन्य प्रतिमाओं के प्राण प्रतिष्ठा से पहले कई अधिवास आयोजित किए गए हैं. अधिवास वह प्रक्रिया है, जिसमें मूर्ति को विभिन्न सामग्रियों में डुबाया जाता है. इसके तहत एक रात के लिए मूर्ति को पानी में रखा गया है, जिसे जलाधिवास कहा जाता है. फिर इसे अनाज में डुबाया गया, जिसे धनधिवास कहा जाता है.

अधिवास कार्यक्रम की मान्यता: धर्माआचार्यों ने कहा कि ऐसी मान्यता है कि मूर्ति निर्माण के क्रम में जब किसी मूर्ति पर शिल्पकार के औजारों से चोटें आ जाती है, तो वह अधिवास के दौरान ठीक हो जाती है. मान्यता है कि यदि मूर्ति में कोई दोष है या पत्थर अच्छी गुणवत्ता का नहीं है, तो अधिवास के क्रम में इसका पता चल जाता है. इसके बाद मूर्ति को अनुष्ठानिक स्नान कराया जाता है.

विभिन्न सामग्रियों से कराया गया प्रतिमा को स्नान: इस दौरान अलग-अलग सामग्रियों से प्रतिमा का स्नान अभिषेक कराया गया. इस संस्कार में 108 प्रकार की सामग्रियां शामिल की गई, जिनमें पंचामृत सुगंधित फूल व पत्तियों के रस गाय के सींग पर डाला गया. फिर पानी और गन्ने का रस मिलाया गया. मूर्ति के निर्माण के तनाव से पर्याप्त रूप से उबर और अनुष्ठानिक स्नान करने के बाद प्राण प्रतिष्ठा से पहले प्रतिमा को जगाने का समय आता है.

प्रतिमा प्राण प्रतिष्ठा की विधि: इस दौरान कई मंत्रों का जाप किया गया, जिसमें विभिन्न देवताओं से आने और मूर्ति के विभिन्न हिस्सों को चेतन करने के लिए कहा जाता है. सूर्य देवता से आंखें, वायू देवता से कान, चंद्र देवता से मन आदि जागृत करने का आह्वान होता है. फिर अंतिम चरण आता है, मूर्ति की आंखों का खुलना जिसे पट खोलना भी कहते हैं. इस समारोह में देवता की आंखों के चारों ओर सोने की सुई के साथ काजल की तरह अंजन लगाया जाता है.

प्राण प्रतिष्ठा को लेकर तैयारी पूरी: यह प्रक्रिया मूर्ति के पीछे से की जाती है, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि उस वक्त कोई उनकी ओर देखता है तो उसे नुकसान हो जाता है. अंजन लगाने के बाद मूर्ति की आंखें खुल जाती है, इस तरह प्राण प्रतिष्ठा पूरी हो जाती है. बता दें कि मणीचक सूर्य मंदिर धाम में भगवान भास्कर, श्री हरि विष्णु, सूर्य नारायण, माता देवी दुर्गा, राम-लक्ष्मण-सीता, महादेव, गणेश, हनुमान के साथ अन्य देवी-देवताओं के प्रतिमाओं की प्राण प्रतिष्ठा होने जा रही है.

पढ़ें: श्रीविष्णु और भगवान सूर्य की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा के लिए निकाली गई शोभायात्रा, हजारों महिलाओं ने लिया हिस्सा

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