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रामपुर तिराहा कांड : चश्मदीद महिला ने कोर्ट में बयां की दास्तां, पुलिसवालों ने घेर ली बस, आग लगाने की दी थी धमकी - Rampur Tiraha incident

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : May 24, 2024, 10:35 PM IST

रामपुर तिराहा कांड में चश्मदीद 62 साल की महिला ने कोर्ट में करीब 30 साल पहले की घटना का आपबीती बयां की. कोर्ट में चश्मदीद ने बताया कि पुलिस वालों ने बस में आग लगाने की धमकी दी थी.

रामपुर तिराहा कांड में बयान.
रामपुर तिराहा कांड में बयान. (PHOTO CREDIT ETV BHARAT)

मुजफ्फरनगर : रामपुर तिराहा कांड में चश्मदीद 62 साल की महिला ने कोर्ट में करीब 30 साल पहले की घटना का आपबीती बयां की. कोर्ट में चश्मदीद ने बताया कि पुलिस वालों ने बस में आग लगाने की धमकी दी थी. शुक्रवार को अपर जिला जज विशेष पॉक्सो एक्ट कोर्ट संख्या-दो के पीठासीन अधिकारी अंजनी कुमार सिंह ने इस मामले में सुनवाई की.

डर कर बस की सीट के नीचे छिप गई थीं महिलाएं

उत्तराखंड संघर्ष समिति के अधिवक्ता अनुराग वर्मा और बचाव पक्ष के अधिवक्ता श्रवण कुमार ने बताया कि वर्तमान में कर्णप्रयाण के कनौठ में रहने वालीं 62 साल की चश्मदीद ने बताया कि वह साल 1994 में शिक्षक कर्मचारी संघ पोखरी की सदस्या थीं. अन्य कर्मचारियों के साथ वह बस में सवार होकर रात के करीब साढ़े 10 बजे रामपुर तिराहा पहुंचीं थी. पुलिस ने ट्रक आडे़ तिरछे खड़े कर आंदोलनकारियों की बसें रोक ली थीं. बताया कि पुलिस ने डंडा मारकर उनकी बस में सवार शिवराज सिंह पंवार का सिर फाड़ दिया था. महिलाओं को गालियां दी गईं. बचने के लिए हम सीटों के नीचे छिप गई थीं. बस में आग लगाने की धमकी दी गई थी. रात के समय पुलिसकर्मी एक जैसे ही दिख रहे थे, इस वजह से अंधेरे में पहचानना बहुत मुश्किल है.

चश्मदीद ने यह भी कहा कि फिर हमें एक पहाड़ का पुलिसवाला मिला. भरोसा दिया कि कुछ नहीं होने देंगे. इसके बाद हमें बस में बैठाकर वापस भेजा गया. तीन अक्तूबर 1994 को हम वापस अपने जिले में पहुंचे थे.

अलग राज्य की मांग को लेकर निकले थे आंदोलनकारी

एक अक्तूबर, 1994 की रात अलग राज्य की मांग के लिए देहरादून से बसों में सवार होकर आंदोलनकारी दिल्ली के लिए निकले थे. इनमें महिला आंदोलनकारी भी शामिल थीं. पुलिसकर्मियों ने रात करीब एक बजे रामपुर तिराहा पर बस रुकवा लीं. आरोप है कि महिला आंदोलनकारियों के साथ छेड़खानी और दुष्कर्म किया. उत्तराखंड संघर्ष समिति ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया. 25 जनवरी 1995 को सीबीआई ने पुलिसकर्मियों के खिलाफ मुकदमे दर्ज किए थे, जिसकी सुनवाई चल रही है.

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