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चुनावी घमासान में गायब है नशे का मुद्दा, हिमाचल में ड्रग की ओवरडोज से तीन साल में 58 युवाओं की मौत, चिट्टा बना मौत का सामान - Drugs Issue in Himachal

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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : May 17, 2024, 7:50 AM IST

Drug Addiction issues in Himachal: हिमाचल प्रदेश में नशे का कारोबार लगातार बढ़ रहा है, लेकिन प्रदेश में चुनावी बेला में प्रदेश के सबसे ज्वलंत नशे के मुद्दे पर कोई बात नहीं हो रही है. प्रदेश के दोनों राजनीतिक दल नशे के मुद्दे पर मुंह मोड़ कर बैठे हुए हैं. प्रदेश में नशे की ओवरडोज से युवाओं की मौत हो रही है. 3 साल में हिमाचल में नशे की ओवरडोज से 58 युवाओं की मौत हो चुकी है.

Drug Addiction issues in Himachal
हिमाचल प्रदेश में नशाखोरी की समस्या (File Photo)

शिमला: हिमाचल का सबसे बड़ा जिला कांगड़ा, यहां पंजाब से लगता इलाका नशे का गढ़ बन चुका है. बुधवार 15 मई को कांगड़ा के ठाकुरद्वारा में एक 27 साल के युवक की लाश मिलती है. लाश के पास नशे की सिरिंज पड़ी हुई थी. युवक के पिता गांव में दर्जी की छोटी सी दुकान करते हैं. युवक परिवार का इकलौता बेटा था. इस तरह एक गरीब परिवार की आस नशे की भेंट चढ़ गई. ये कोई अकेला मामला नहीं है. इसी नशे ने सिरमौर जिले में एक मां का लाल छीन लिया.

3 साल में नशे की ओवरडोज से 58 युवाओं की मौत

बिलासपुर से लेकर ऊना और शिमला से लेकर सोलन तक नशे की ओवरडोज से मरते युवाओं की खबरें आ रही हैं, लेकिन देश में मचे लोकसभा चुनाव के शोर में ये मौतें किसी प्रचार में दर्ज नहीं हैं. तीन साल में हिमाचल में 58 युवाओं की नशे की ओवरडोज से मौत हो चुकी है. इनमें से कुछ मामले पुलिस के समक्ष दर्ज हुए और कुछ मामलों में परिवार ने लोकलाज से चुप्पी साध ली. नशे के खिलाफ अभियान में सक्रिय रहे सामाजिक कार्यकर्ता जीयानंद शर्मा कहते हैं की स्थिति भयावह है. युवा चिट्टे के शिकार हो रहे हैं. घर से दूर रहकर पढ़ाई कर रहे युवा नशे के सौदागरों के निशाने पर हैं. जीयानंद कहते हैं कि नशे की ओवरडोज से मौत का आंकड़ा कहीं अधिक हो सकता है.

बद्दी में काम करता था कांगड़ा का युवा

सीमांत जिला कांगड़ा में स्थिति खराब है. यहां मार्च महीने में 23 साल के युवा सौरभ की मौत हो गई. सौरभ अपने साथियों के साथ एक पार्टी में गया था. उसके भाई ने पुलिस में शिकायत दी कि सौरभ की मौत नशे की ओवरडोज से हुई है. कांगड़ा के ही डमटाल इलाके की 5 मई 2021 की घटना है. एक युवा खेत में गेहूं काटने के लिए गया था. बाद में उसकी लाश मिली. हैरत की बात थी कि उसकी बाजू में नशे का इंजेक्शन फंसा हुआ पाया गया.

Drug Addiction issues in Himachal
हिमाचल में बढ़ी नशे की समस्या (File Photo)

चिट्टे की ओवरडोज से मौत

मई 2022 की एक और हृदय विदारक घटना है. मंडी जिला के सरकाघाट के एक 19 साल के किशोर को नशे की आदत ने जकड़ लिया. इस लड़के की मित्रता अन्य नशेड़ी लड़कों के साथ थी. नशे की ओवरडोज से किशोर की मौत हो गई तो साथियों ने डर के मारे उसकी लाश को बोरी में डालकर दफना दिया. पुलिस की जांच से ये चिंताजनक खुलासा हुआ था. इसी तरह एनआईटी हमीरपुर में एक छात्र सुजल की 2023 अक्टूबर में हॉस्टल में नशे की ओवरडोज से मौत हुई थी. बाद में खुलासा हुआ कि नशे के तस्करों की पहुंच हॉस्टल तक थी और बेरोकटोक नशा वहां पहुंचाया जा रहा था.

चुनावी शोर में नेताओं का ध्यान सियासत पर

देश और हिमाचल में लोकसभा चुनाव का शोर है. हिमाचल में विधानसभा की छह सीटों पर उपचुनाव भी हो रहा है. चुनावी घमासान में पक्ष-विपक्ष के नेता एक-दूसरे पर जोरदार हमला कर रहे हैं. निजी जीवन को लेकर आरोपों की बौछार हो रही है. दुख की बात है कि इस चुनावी युद्ध में हिमाचल के ज्वलंत मुद्दे नशे का कोई जिक्र नहीं हो रहा है. यहां हर रोज नशे की खेप पकड़ी जा रही है. सबसे बढ़कर चिंता की बात ये है कि ड्रग की ओवरडोज से युवाओं की मौत हो रही है, लेकिन सियासत सामाजिक ढांचे को ध्वस्त करती नशे की बुराई पर मौन है. हिमाचल हाईकोर्ट ने नशे के खिलाफ अभियान को लेकर एक दशक में सरकारों को अलग-अलग तरह से आदेश पारित किए हैं. यही नहीं, हाईकोर्ट ने एक मर्तबा तो केंद्र सरकार को नशा तस्करों को मौत की सजा का प्रावधान करने का कानून बनाने का आदेश भी दिया था. हाईकोर्ट ने सरकार को कई बार चेताया और कहा कि हिमाचल उड़ता पंजाब बनने की राह पर है. चुनाव लोकतंत्र में जनता की आवाज का अहम माध्यम है, लेकिन इसी चुनाव में हिमाचल की सबसे बड़ी चिंता संबोधित नहीं हो रही है.

इस साल की शुरुआत के दो माह में आए चौंकाने वाले आंकड़े

हिमाचल पुलिस वैसे तो नशे के खिलाफ व्यापक अभियान चला रही है, लेकिन नशे के सौदागर भी कम नहीं हैं. नशे की तस्करी के नए-नए तरीके अपनाए जा रहे हैं. आंकड़ों पर गौर करें तो इस साल के शुरुआती दो महीने में शिमला पुलिस ने राज्य भर में सबसे अधिक नशा तस्कर दबोचे हैं. जनवरी माह में एनडीपीएस के 29 और फरवरी माह में 54 मामले दर्ज किए गए. प्रदेशभर में एनडीपीएस के 431 मामलों में बीबीएन में 14, बिलासपुर में 45, चंबा में 20, हमीरपुर में 12, कांगड़ा में 40, किन्नौर में एक, कुल्लू में 58, लाहौल-स्पीति में 2, मंडी में 44, नूरपुर में 26, शिमला में 83, सिरमौर में 26, सोलन में 19 और ऊना में 40 मामले पाए गए.

NDPS के तहत जब्त नशा सामग्री

एनडीपीएस के मामलों में हिमाचल पुलिस ने 57 किलो चरस, छह किलो अफीम, दो किलो 885 ग्राम चिट्टे की खेप आरोपियों से पकड़ी है. इसके अलावा पुलिस ने आरोपियों से 8090 नशीली गोलियां और 3850 नशीले कैप्सूल, 300 प्रतिबंधित सिरप की शीशियां पकड़ी हैं. आरोपियों से 17 किलो से अधिक गांजा और 102 किलो 508 ग्राम भुक्की भी पकड़ी गई. एनडीपीएस के इन 431 मामलों में पुलिस ने जनवरी में प्रदेशभर में एनडीपीएस के 141 मामले और फरवरी में 290 मामले दर्ज हुए.

साल 2023 में NDPS के तहत सबसे ज्यादा मामले दर्ज

एनडीपीएस एक्ट के तहत नशे के मामलों का आंकड़ा देखें तो वर्ष 2014 में 644 के सामने आए थे. फिर 2015 में ये आंकड़ा थोड़ा कम हुआ. उस साल 622 मामले आए. उसके बाद वर्ष 2016 में इन मामलों में बढ़ोतरी देखी गई और पुलिस ने 929 मामले दर्ज किए. वर्ष 2017 में ये आंकड़ा 1010 हो गया और 2018 में 1342 मामलों तक पहुंच गया. वर्ष 2019 में ये आंकड़ा 1400 से अधिक हो गया था. वर्ष 2020 में ये मामले 1377 थे. फिर ये 2021 में बढ़कर 1392 हुए और 2022 में 1517 हो गए. वर्ष 2023 में एनडीपीएस के तहत मामलों का आंकड़ा रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गया. पिछले साल एनडीपीएस के तहत दर्ज मामलों की संख्या 2147 हो गई.

पूरी पीढ़ी हो रही गर्क, प्रभावी अभियान की जरूरत

सामाजिक सरोकारों में अग्रणी भूमिका निभाने वाले आईजीएमसी अस्पताल के एमएस रहे डॉ. रमेश चंद का कहना है कि नशे के कारण पूरी युवा पीढ़ी का भविष्य गर्क हो रहा है. युवाओं को सार्थक अभियानों से जोड़ना होगा. डॉ. रमेश का कहना है कि स्वास्थ्य सेक्टर में सेवा के दौरान उनका सामना ऐसे अनेक मामलों से हुआ है, जब माता-पिता रोते हुए आते थे कि उनका बेटा नशे का शिकार हो गया है.

शिमला के जंगल बने नशे के अड्डे

सामाजिक कार्यकर्ता जीयानंद शर्मा बताते हैं कि शिमला के आसपास के इलाकों के जंगल युवाओं के अड्डे बने हुए हैं. वहां युवा नशा करते हैं. जंगलों में नशे की सिरिंज देखी जा सकती है. तेज तर्रार पुलिस अफसर और शिमला के एएसपी रहे सुनील नेगी बताते हैं कि नशे का शिकार हुए युवाओं की काउंसलिंग के दौरान कई चौंकाने वाले खुलासे होते हैं. युवा घर से पैसे और सामान चोरी कर नशा खरीदते हैं. शिमला में कुछ मामलों में युवाओं ने अपनी मां के गहने तक बेच कर चिट्टा खरीदा. पुलिस सख्ती से नशे की बुराई को कुचलने का प्रयास कर रही है, लेकिन इसमें परिवार, शिक्षकों व समाज के प्रभावी वर्ग की सक्रिय भागीदारी की जरूरत है.

स्कूलों तक पहुंचे नशा तस्कर

सामाजिक कार्यकर्ता और जन आंदोलनों में सक्रिय सत्यवान पुंडीर का कहना है कि नशे के खिलाफ सियासी दल चुनावी दौर में कुछ नहीं कह रहे हैं. बेरोजगारी से जूझ रहा युवा वर्ग आसानी से नशे का शिकार बन जाता है. तस्करों की नजर अब किशोरों पर है. स्कूल के आसपास नशा बेचने वाले सक्रिय हैं. ये स्थिति डराने वाली है. लेखक और वरिष्ठ मीडिया कर्मी नवनीत शर्मा कहते हैं कि पहाड़ी प्रदेश के युवाओं की नसों में मेहनत का लहू होना चाहिए, लेकिन दुख की बात है कि युवाओं की ये नसें नशे की सिरिंज को आमंत्रित करती हैं. नशे की ओवरडोज से किसी युवक की मौत महज एक जीवन का जाना नहीं है, बल्कि ये एक परिवार का बिखरना भी है. युवाओं को सृजनात्मक गतिविधियों से जोड़ने की जरूरत है. इसके लिए सियासत और सरकारों का रोल तो अहम है ही, समाज के सभी वर्गों को भी आगे आना होगा.

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