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डब्ल्यूएफआई चुनाव के खिलाफ पहलवानों की याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट करेगा सुनवाई

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By IANS

Published : Mar 4, 2024, 12:47 PM IST

Delhi HC
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पहलवानों की लड़ाई भारतीय कुश्ती महासंघ और बृजभूषण शरण सिंह व संजय सिंह के साथ और लंबी चलने वाले है. अब उनकी याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट सुनवाई करने वाला है.

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट पहलवान बजरंग पुनिया, विनेश फोगाट, साक्षी मलिक और उनके पति सत्यव्रत की याचिका पर सोमवार को सुनवाई करेगा. पहलवानों ने कोर्ट में याचिका दाखिल कर भारतीय कुश्ती महासंघ के चुनाव को गैर-कानूनी घोषित किए जाने की मांग की है. पहलवानों ने अपनी याचिका में कहा कि इस चुनाव में खेल मंत्रालय द्वारा निर्धारित किए गए नियमों का उल्लंघन हुआ है.

सुनवाई के लिए याचिका न्यायाधीश सचिन दत्ता के समक्ष पहुंची है. याचिका में दलील दी गई है कि 21 दिसंबर को हुए चुनाव में खेल मंत्रालय के नियमों की अवहेलना की गई है. इसके साथ ही फेडरेशन से मांग की गई है कि जब तक मामले का निस्तारण नहीं हो जाता, तब तक सभी प्रकार की गतिविधियों पर विराम लगाया जाए. महासंघ के कार्यों का हवाला देते हुए याचिका में कहा गया है कि याचिकाकर्ताओं के अलावा कई एथलीटों को महासंघ के कारण नुकसान उठाना पड़ा है, खासकर पूर्व अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के प्रभाव की वजह से.

गत वर्ष जंतर-मंतर पर पहलवानों ने भारतीय कुश्ती महासंघ के पूर्व अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह की गिरफ्तारी की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन किया था. पहलानों ने आरोप लगाया था कि बृजभूषण ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए कई महिला पहलवानों का यौन शोषण किया है. याचिका में अब डब्ल्यूएफआई पर विरोध करने वाले एथलीटों को चुप कराने और उन्हें दरकिनार करने का प्रयास करने का आरोप लगाया गया है, जिससे उनकी अंतरराष्ट्रीय भागीदारी की संभावनाएं प्रभावित हो रही हैं.

पहलवानों ने खेल मंत्रालय और तदर्थ समिति के निर्देशों की लगातार अनदेखी करने के लिए डब्ल्यूएफआई को "आदतन अपराधी" करार दिया है. उनका दावा है कि इन कार्यों ने भारतीय पहलवानों के करियर के विकास में काफी बाधा डाली है. डब्ल्यूएफआई को अपने प्रबंधन कार्यों को बंद करने और ट्रायल या राष्ट्रीय कार्यक्रम आयोजित करने से परहेज करने के खेल मंत्रालय के निर्देश के बावजूद, महासंघ कथित तौर पर अनधिकृत परीक्षण और कार्यक्रम आयोजित करने में लगा रहा. याचिका में अदालत से 21 दिसंबर के चुनावों को मौलिक रूप से त्रुटिपूर्ण और खेल संहिता का घोर उल्लंघन करार देते हुए अमान्य करने की मांग की गई है.

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