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आर्थिक दलदल से कैसे बाहर आएगा भूटान, क्या होगी भारत की भूमिका, जानें

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Mar 1, 2024, 6:39 PM IST

Economic help to Bhutan : भूटान के प्रधानमंत्री शेरिंग टोबगे ने अपने देश को आर्थिक दलदल से बाहर निकालने के लिए भारत का सहयोग मांगा है. टोबगे चाहते हैं कि भूटान की बिगड़ती अर्थव्यवस्था सुधरे. उन्होंने इसके लिए एक व्यापक योजना तैयार की है. उनके अनुसार उस पर काम शुरू हो चुका है. क्या है यह योजना, और भारत उनकी किस कदर मदद करेगा, जानने के लिए पढ़ें पूरी खबर. वरिष्ठ पत्रकार अरुणिम भुइयां की एक रिपोर्ट.

shering tobge
भूटान के पीएम शेरिंग टोबगे

नई दिल्ली : भूटान को आर्थिक दलल से बाहर निकालने के लिए उनके प्रधानमंत्री शेरिंग टोबगे ने भारत से समर्थन से 15 बिलियन डॉलर के आर्थिक प्रोत्साहन योजना की घोषणा की है. टोबगे ने मीडिया को बताया कि व्यापक रणनीति और उसके कार्यान्वयन पर निगरानी रखने के लिए एक विशेष टास्क फोर्स का गठन किया गया है. उनके अनुसार टास्क फोर्स ने फंड जुटाने और उसके आवंटन को लेकर एक खाका भी तैयार कर लिया है.

उन्होंने यह कहा कि फंड किस तरह से आएगा, इसको लेकर भारत सरकार के साथ बातचीत के बाद अंतिम स्वरूप दिया जाएगा. टोबगे की भारत यात्रा के दौरान इस पर अंतिम मुहर लगेगी.

भूटान के प्रधानमंत्री शेरिंग टोबगे ने कहा, 'मुझे भारत के प्रधानमंत्री ने बातचीत के लिए आमंत्रित किया है. जिस तरह से दोनों देशों के बीच गहरे संबंध हैं, उसके मद्देनजर कहा जा सकता है कि सकारात्मक परिणाम जरूर मिलेंगे.'

इसी साल जनवरी महीने में टोगबे ने चुनाव में जीत हासिल की है. उसके बाद वह लगातार दूसरी बार भूटान के पीएम बने हैं. उन्होंने यह भी कहा कि भारतीय पीएम के साथ होने वाली बैठक के दौरान धन वितरण के तौर-तरीकों पर विचार-विमर्श किया जाएगा.

भारत भूटान की उस समय से मदद कर रहा है, जब उसने साठ के दशक में अपने देश में पंचवर्षीय योजना की शुरुआत की थी. तब से भारत उसका महत्वपूर्ण साझीदार बना हुआ है.

12वीं पंचवर्षीय योजना के अनुसार भूटान को जितने भी बाह्य अनुदान मिले हैं, उनका 73 फीसदी यानी 4500 करोड़ रु. का योगदान भारत ने किया है. भारत ने मुख्य रूप से कृषि और सिंचाई विकास, सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (आईसीटी), स्वास्थ्य, औद्योगिक विकास, सड़क परिवहन, ऊर्जा, नागरिक उड्डयन, शहरी विकास, मानव संसाधन विकास, क्षमता निर्माण, छात्रवृत्ति, शिक्षा और संस्कृति के लिए योगदान किया है.

वर्तमान में भूटान में 82 से अधिक बड़ी और मध्यवर्ती परियोजनाएं और 524 छोटी विकास परियोजनाएं और उच्च प्रभाव सामुदायिक विकास परियोजनाएं (एचआईसीडीपी) अलग-अलग चरणों में हैं. अभी जनवरी महीने में भारत के विदेश मंत्री विनय क्वात्रा भूटान गए थे. उनकी इस यात्रा के दौरान चौथी भारत-भूटान विकास सहयोग वार्ता संपन्न हुई.

भूटान में नेशनल असेंबली के चुनाव से पहले पीडीपी के टोबगे ने अपने मेनिफेस्टो में 'कॉन्ट्रैक्ट विथ भूटान' नाम से एक चैप्टर जोड़ा था. उनका कहना था कि वह भूटान को आर्थिक मंदी से बाहर निकालेंगे.

टोबगे ने घोषणा पत्र में कहा था, 'हमारी इकोनोमी पतन के कगार पर है. पिछले पांच सालों से ग्रोथ रेट महज 1.7 फीसदी रहा है. निजी क्षेत्र में ठहराव आ गया है. बहुत सारे बिजनेस बंद हो चुके हैं या फिर उनकी कैपेसिटी कम हो चुकी है. युवा बेरोजगारी 28.6 प्रतिशत की रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गई है.'

उन्होंने आगे यह भी कहा कि भूटान पर सार्वजनिक कर्ज सबसे ऊंची स्तर पर है. नॉन हाइड्रो डेट 108 अरब डॉलर का पहुंच चुका है. विदेशी मुद्रा भंडार उस स्तर तक कम हो गया है जिससे संवैधानिक आवश्यकता के उल्लंघन का खतरा है. राजकोषीय घाटा बढ़ गया है जबकि राष्ट्रीय राजस्व प्रवाह कम हो गया है.

भूटान के पीएम के अनुसार 2022 के आंकड़े बताते हैं कि 80614 भूटानी लोग गरीबी में रह रहे हैं. इसका मतलब है कि आठ में से एक भूटानी भोजन और अन्य बुनियादी आवश्यकताओं के लिए संघर्ष कर रहा है. ग्रामीण क्षेत्रों में विकास ठप हो गए हैं. पढ़े-लिखे और स्किल्ड भूटानी देश छोड़कर बेहतर जीविका के लिए बाहर जा रहे हैं, इससे स्थिति और भी खराब हो गई है.

उन्होंने कहा कि इन स्थितियों की वजह से पब्लिक सर्विस डेलीवरी खराब हुई है. स्कूल, कॉलेज, हॉस्पिटल और सार्वजनिक संस्थानों में कामकाज प्रभावित हुए हैं. ये अभूतपूर्व आर्थिक चुनौतियां और भूटानियों का सामूहिक पलायन ऐसे समय में हो रहा है जब भूटान प्रजनन दर में भारी गिरावट का सामना कर रहा है, जो 2.1 की प्रतिस्थापन दर से नीचे 1.8 प्रतिशत है.

उन्होंने कहा कि यदि हम इन प्रवृत्तियों को उलटने में असमर्थ रहे, तो हमारे राष्ट्र की व्यवहार्यता खतरे में पड़ जाएगी. टोबगे ने आगाह किया कि अगर हमने तुरंत कदम नहीं उठाए, तो हमारे प्यारे राष्ट्र का अस्तित्व और संप्रभुता खतरे में पड़ जाएगी.

पीएम के अनुसार अर्थव्यवस्था के पुनर्निर्माण और पुनर्जीवित करने और भूटान को एक विकसित राष्ट्र में बदलने के लिए, पीडीपी ने कुछ प्रमुख आर्थिक लक्ष्यों को प्राप्त करने का संकल्प लिया.

  • पहला, इसने सकल घरेलू उत्पाद को 2.5 अरब डॉलर से बढ़ाकर 5 अरब डॉलर (जिसमें अगले पांच वर्षों में जलविद्युत में निवेश शामिल है) करने का वादा किया.
  • अगले 10 वर्षों में प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद को 3,400 डॉलर से बढ़ाकर 12,000 डॉलर करने का भी वादा किया.
  • डिजिटल क्षेत्र में 2,000 नौकरियों सहित 10,000 नौकरियों के वार्षिक सृजन के साथ अगले पांच वर्षों में पूर्ण रोजगार (97.5 प्रतिशत) पैदा करने का भी वादा किया है.
  • पार्टी ने अगले पांच सालों में प्राइवेट सेक्टर इनवेस्टमेंट 40 फीसदी से बढ़ाकर 60 फीसदी करने का लक्ष्य निर्धारित किया.
  • अगले पांच वर्षों में सकल घरेलू उत्पाद में विनिर्माण क्षेत्र के योगदान को 6 प्रतिशत से बढ़ाकर 30 प्रतिशत करने का संकल्प लिया.
  • घोषणापत्र में पर्यटकों के आगमन की संख्या को सालाना औसतन 300,000 पर्यटकों तक बढ़ाने का वादा किया गया है, जिसमें 50 प्रतिशत तीसरे देशों से आएंगे, जिससे पर्यटन उद्योग को पुनर्जीवित किया जाएगा.
  • पार्टी ने अगले पांच वर्षों में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) को 43 बिलियन से बढ़ाकर 500 बिलियन तक करने का भी वादा किया है.

आर्थिक प्रोत्साहन योजना में सरकार का ध्यान बैंकों में तरलता लाने पर होगा, जिससे वे ऋण देने और विदेशी भंडार बनाए रखने में सक्षम हो सकें. डी-सुंग स्किलिंग प्रोग्राम जैसी विभिन्न पहलों और स्टार्टअप और कॉटेज और लघु उद्योगों के विकास और विस्तार को बढ़ावा देने के लिए भी फंड का उपयोग किया जाएगा.

रिपोर्ट में कहा गया है कि इस फंड से निर्यात-उन्मुख व्यवसायों, आयात-प्रतिस्थापन उद्यमों, महिला उद्यमियों, युवा उद्यमियों, किसानों के साथ-साथ फिल्म, मनोरंजन, निर्माण, आईटी और पर्यटन जैसे उद्योगों को समर्थन मिलने की उम्मीद है. प्रधान मंत्री टोबगे के अनुसार, वित्तीय सहायता के संदर्भ में, कुछ ऋण ब्याज मुक्त होंगे, जबकि अन्य में रियायती दरें होंगी.

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