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जिनपिंग की गलतियां देश-विदेश पर पड़ रही भारी, चाइना इंस्टीट्यूट ने राष्ट्रपति पर लगाए आरोप - XI Jinping Mistake

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By ANI

Published : Apr 23, 2024, 2:09 PM IST

शी जिनपिंग
XI Jinping

Chinese President XI Jinping: चाइना इंस्टीट्यूट के निदेशक प्रोफेसर स्टीव त्सांग ने राष्ट्रपति शी जिनपिंग पर आरोप लगाया है. उन्होंने कहा कि शी की रुचि केवल ऊपर से नीचे तक कंट्रोल हासिल करने में है.

बीजिंग: चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के शासन करने के स्टाइल ने देश और विदेश में भारी चिंताएं पैदा कर दी हैं. लगभग 14 साल पहले जब वह देश के सर्वोच्च सिंहासन पर बैठे थे तो उस समय उनके नेतृत्व में किसी तरह की कोई खामी नहीं थी. उनका दृष्टिकोण आर्थिक, कूटनीतिक और सैन्य रूप से समृद्ध था. हालांकि, अब ऐसा नहीं है.

इसको लेकर लंदन की SOAS यूनिवर्सिटी के एसओएएस चाइना इंस्टीट्यूट के निदेशक प्रोफेसर स्टीव त्सांग ने न्यूज एजेंसी एएनआई से बात की. इस दौरान उन्होंने वर्तमान में शी के सामने आने वाली कुछ चुनौतियों के बारे में बताया. उन्होंने कहा, "चीन के सामने सबसे बड़ी चुनौती यह है कि देश की सत्ता शी के हाथों में केंद्रित है. कोरोना काल के बाद शी ने और भी अधिक ताकत हासिल कर ली है."

चीन के सामने कई चुनौतियां
प्रोफेसर त्सांग ने कहा, " चीन के लिए कमजोर अर्थव्यवस्था, सरकार पर कर्ज और पश्चिमी देशों के साथ बिगड़ते रिश्ते जैसे मुद्दे चुनौतीपूर्ण हैं, लेकिन अगर सरकार एकजुट होकर काम करे तो इनसे आसानी से निपटा जा सकता है. हालांकि, यह सब शी के समझने और सही नीतियां बनाने पर निर्भर करता है."

उन्होंने बताया कि शी की रुचि केवल ऊपर से नीचे तक कंट्रोल हासिल करने में है, लेकिन यह दृष्टिकोण निजी क्षेत्र, डिमांड-संचालित आर्थिक विकास के साथ संघर्ष करता है. इतना ही नहीं चीन के नेता ने राष्ट्र के प्रति अपने दृष्टिकोण से समझौता करने से इंकार कर दिया है.

'चीन से गायब हो रहा आर्थिक डेटा'
'द पॉलिटिकल थॉट ऑफ शी जिनपिंग' के सह-लेखक प्रोफेसर त्सांग ने कहा कि चीन के सामने आने वाली अधिकांश प्रमुख चुनौतियां संरचनात्मक हैं. प्रोफेसर ने आरोप लगाया कि चीन से आर्थिक डेटा कई साल से धीरे-धीरे गायब हो रहा है और सरकार ने भी इस पर अपना नियंत्रण कड़ा कर दिया है. चाहे निर्यात हो, बेरोजगारी दर हो या सीमेंट उत्पादन, सभी आंकड़े सभी गायब हो गए हैं.

त्सांग ने कहा कि राष्ट्रपति शी जिनपिंग को लगता है कि लोगों को अंधेरे में रखने से सत्ता और सामाजिक स्थिरता बनाए रखने में मदद मिलेगी. पिछले महीने की नेशनल पीपुल्स कांग्रेस (एनपीसी) की वार्षिक रिपोर्ट में अभी भी 5 प्रतिशत जीडीपी वृद्धि का वादा किया गया था, लेकिन ऐसे आंकड़े यकीन करने लायक नहीं हैं.

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