करनाल: हरियाणा के युवाओं में विदेश जाने क्रेज इस कदर बढ़ गया है कि वो किसी भी कीमत पर बाहर जाना चाहते हैं, ताकि वो डॉलर में कमाई कर जल्द अमीर बन सकें, लेकिन शायद उनको इस बात का अहसास नहीं होता कि जितना आसान सोचना है. उससे कहीं ज्यादा मुश्किल उसे करना है. युवाओं के विदेश जाने की इसी चाहत का फायदा फर्जी एजेंट उठाते हैं. जो उनको डंकी रास्ते के जरिए एक देश से दूसरे देश ले जाते हैं. फिर उनके साथ मारपीट करते हैं, प्रताड़ित करते हैं और उनके घर से पैसों की डिमांड करते हैं.
डंकी एजेंट के चंगुल में फंसे दो भाई: विदेश भेजने के नाम पर ठगी मामला हरियाणा के करनाल जिले से सामने आया है. करनाल के मुनक गांव के दो चचेरे भाई सन्नी और मुकेश भी उन्हीं युवाओं में से हैं जो विदेश जाकर डॉलर में कमाई कर जल्द अमीर होना चाहते थे, लेकिन वो डंकी एजेंट का शिकार हो गए. फिलहाल दोनों अपने घर वापस लौट चुके हैं. घर लौटने के बाद परिजनों और दोनों भाईयों ने राहत की सांस ली है.
विदेश में जाकर लाखों रुपये कमाने का दिया था लालच: परिजनों ने बताया कि मुनक गांव निवासी राजकुमार युवाओं को विदेश भेजने का काम करता है. जुलाई 2023 में राजकुमार ने दोनों युवकों के पिता श्यामलाल को सपना दिखाया कि वो उनके दोनों बेटों को वर्क परमिट पर जर्मनी भेज देगा. जिसके बाद वो वहां 2.50 लाख रुपये प्रति महीना कमाएंगे. इस काम के लिए 14 लाख रुपये लगेंगे. दोनों बेटे और उनका पिता श्यामलाल एजेंट राजकुमार के झांसे में आ गए. श्यामलाल ने पहले बड़े बेटे को रूस और छोटे बेटे को जर्मनी भेजने का फैसला किया और 3 लाख रुपये एजेंट राजकुमार को दे दिए.
घर लौटकर मुकेश ने बताई आपबीती: मुकेश ने बताया "23 सितंबर 2023 की रात को मुझे रूस जाना था, लेकिन ख्वाजा टूर ट्रैवल के मालिक चरणजीत और अली ने बताया कि मॉस्को की फ्लाइट रद्द हो गई है, इसलिए फ्लाइट से रशिया जाना होगा. फिर रशिया की फ्लाइट रद्द होने की बात कहकर एजेंट ने मुझे थाईलैंड की टिकट दे दी. एजेंट ने कहा कि थाईलैंड से उसे मॉस्को की फ्लाइट से आगे भेजा जाएगा. जिसके बाद वर्क परमिट और वीजा दिला दिया जाएगा. 25 सितंबर को मैं थाईलैंड में पहुंच गया. यहां चरणजीत और अली ने उससे 8 लाख रुपये की डिमांड की. मुझे कहा गया कि जर्मन एंबेसी में टैक्स भरना पड़ेगा."
डंकी एजेंट के किया हवाले: मुकेश ने बताया " मुझसे ये भी कहा गया कि मैंने अगर रुपये नहीं दिए तो उसे वर्क परमिट और वीजा नहीं मिलेगा. जब पापा ने रुपये देने में असमर्थता दिखाई तो उन्होंने मुझे डंकी एजेंट के हवाले कर दिया. वो मुझे वहां से बाई फ्लाइट मास्को ले गए. इसके बाद मुझे बहुत टॉर्चर किया गया. जब उन्हें पैसे मिले तो वो मुझे पोलैंड के जंगलों से बेलारूस ले गए. बेलारूस बॉर्डर से रशियन आर्मी ने हमें हिरासत में ले लिया. उन्होंने बोला या तो रूस की आर्मी ज्वाइन कर लो या फिर दस साल जेल की सजा काटो. हमारे साथ कुछ और भी साथी थे, जिन्होंने आर्मी ज्वाइन कर ली, लेकिन हमने आर्मी ज्वाइन नहीं की. इसके बाद हमें जेल में डाल दिया गया. उसके बाद पिता ने वकील कर मेरी जमानत करवाई. उन्होंने हमें बहुत पीटा है. गर्म लकड़ी और लोहे की रॉड लगाई. आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए."
गर्म लकड़ी से जलाया, हफ्तों भूखा रखा: सन्नी ने बताया "हम विदेश जाना चाहते थे. जिसके चलते हमने एक एजेंट से संपर्क किया. एजेंट ने हमें विदेश में वर्क परमिट दिलाने का भरोसा दिलाया. उसकी बातों में आकर उन्होंने विदेश जाने की तैयारी की, लेकिन उसने हमें डंकी रूट पर छोड़ दिया. पहले मुझे थाईलैंड भेजा, फिर रूस भेजा फिर मास्को ले गए. वहां उन्होंने हमें किडनैप कर लिया. हमारे पासपोर्ट छीन लिए. उसके बाद उन्होंने हमें टॉर्चर किया. वो हमें टॉर्चर कर घर वालों से लगातार रुपयों की डिमांड करते रहे. मुकेश वहां पर बीमार हो गया. वो लोग उसे दवाई भी नहीं देते थे. बिना दवाई के मुकेश तड़पता रहता, दो-दो घंटे बेहोश रहता, उसके बाद भी उसे दवाई नहीं देते थे."
रूसी आर्मी ज्वाइन का दबाव: सन्नी ने बताया "वो हमारे साथ मारपीट करते, गर्दन पर चाकू रखकर घर वालों से पैसे की डिमांड करते. इसके अलावा वो हमें गर्म लकड़ी से भी दागते थे और पैसे वसूलते थे. जो हमारे वहां पर बाकी साथी पैसे नहीं दे पाते थे. उनकी लाश अगले दिन हमें पोलैंड के जंगलों में मिलती थी. हमारे अलावा वहां पर करीब 300 बच्चे फंसे हैं. हम 6 महीने के बाद घर वापस आए हैं. उन्होंने हमें ऑफर दिया था कि या तो रूस की आर्मी ज्वाइन कर लो या फिर दस साल जेल की सजा काटो. हमने आर्मी ज्वाइन करने से मना कर दिया. जिसके बाद उन्होंने हमें जेल में डाल दिया. दो महीने हमने जेल की सजा काटी. फिर परिजनों ने वकील किया हमारी जमानत करवाई. तब जाकर हम घर वापस आए हैं. हमने तो वापस आने की उम्मीद ही छोड़ दी थी. जेल में भी वो हमें खाने का कुछ नहीं देते थे. 15 दिन में एक बिस्कुट देते थे. हमारे कुछ साथी थे जिन्होंने रूस की आर्मी ज्वाइन की है. हम आरोपियों पर सख्त से सख्त कार्रवाई की मांग करते हैं."
माता-पिता ने घर तक गिरवी रखा: दोनों भाईयों ने बताया कि वहां पर 250 से 300 युवक फंसे हुए हैं. सभी मुसीबत में पड़े हैं. वहां पर डोंकर एजेंट उन्हें प्रताड़ित करते हैं. उनको पीटते हैं. उनसे पैसे मांगते हैं. उन्हें 15-15 दिन भूखा रखा जाता है. गले पर चाकू रखकर घर पर फोन कर पैसा मंगवाया जाता है. जो कोई पैसे नहीं मंगवा पाता उसकी लाश जंगलों में मिलती है. दोनों भाईयों ने अपने घर से करीब 60 लाख रुपये मंगवाए. परिवार की हालत काफी खराब थी. जिसके चलते घर वालों ने अपनी जमीन, पशु, गहने बेचकर घर तक को गिरवी रख दिया.
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