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तो ऐसे काम करेगा उत्तराखंड की धार्मिक यात्राओं में प्राधिकरण, क्या मंदिरों की व्यवस्था अपने हाथ में लेगी सरकार, जानें इसका जवाब - Religious Travel Authority

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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : May 24, 2024, 11:10 AM IST

Uttarakhand Religious Travel Authority working style उत्तराखंड चारधाम यात्रा 2024 इस बार नए रिकॉर्ड बना रही है. अब तक 8 लाख से अधिक श्रद्धालु चारधाम के दर्शन कर चुके हैं. लेकिन इस बार अधिक भीड़ होने से पैदा हुई अव्यवस्था से सरकार धार्मिक यात्रा प्राधिकरण बनाने की ओर बढ़ रही है. ऐसा माना जा रहा है कि धार्मिक यात्रा प्राधिकरण राज्य में होने वाले हर धार्मिक आयोजन जैसे- चारधाम यात्रा, कांवड़ यात्रा, कुंभ और नंदा देवी राजजात यात्रा के साथ ही पर्व त्यौहारों पर होने वाले स्नान को व्यवस्थित ढंग से संचालित करेगा. इसके लिए हर उस विभाग जो इन यात्राओं से जुड़ा होता है, उसके कर्मचारियों को इसकी ट्रेनिंग दी जाएगी.

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यात्रा प्राधिकरण (Photo- ETV Bharat)

देहरादून: उत्तराखंड के पर्यटक स्थलों और धार्मिक स्थलों पर लगातार साल दर साल बढ़ रही भीड़ सरकार के लिए भले ही अब तक चुनौती न हो, लेकिन इस बार चारधाम यात्रा की व्यवस्था और धामों में उमड़ रही भीड़ को देखकर न केवल राज्य सरकार बेहद चिंतित है, बल्कि पूरा शासन प्रशासन परेशान दिखाई दे रहा है.

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चारधाम यात्रा समेत धार्मिक यात्राओं के लिए बनेगा प्राधिकरण (Photo- ETV Bharat)

उत्तराखंड में बनेगा धार्मिक यात्रा प्राधिकरण: यही कारण है कि श्रद्धालुओं की लगातार मौत, सड़कों पर लगता जाम और रोजाना लाखों की तादात में उत्तराखंड आ रहे श्रद्धालुओं की व्यवस्थाओं को लेकर अब राज्य सरकार उत्तराखंड की तमाम धार्मिक यात्राओं के लिए एक नया प्राधिकरण बनाने जा रही है. हालांकि इसकी जरूरत त्रिवेंद्र सरकार के दौरान भी पड़ी थी. तब पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने देवस्थानम बोर्ड बनाकर तीर्थ पुरोहितों का गुस्सा मोल ले लिया था. अब कुछ-कुछ इस दिशा में धामी सरकार भी आगे बढ़ती दिखाई दे रही है. उत्तराखंड में लगने वाले मेले और यात्रा जिसमें प्रमुख चारधाम यात्रा, हरिद्वार में लगने वाला कावड़ मेला, अर्ध कुंभ मेला कुंभ मेला, नंदा देवी राजजात यात्रा और कैंची धाम में सालाना जुटने वाली लाखों श्रद्धालुओं की भीड़ कैसे बिना समस्या के दर्शन और यात्रा कर सके, इसको लेकर एक नया प्राधिकरण बनाने की प्लानिंग शुरू हो गई है. आखिरकार कैसे काम करेगा यह प्राधिकरण और क्या कुछ होगा इसमें, चलिए हम आपको बताते हैं.

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बदरीनाथ धाम में श्रद्धालुओं के ठहरने की अच्छी व्यवस्था है (Photo- ETV Bharat)

क्यों जरूरत पड़ी प्राधिकरण की? आखिरकार उत्तराखंड सरकार को प्राधिकरण बनाने की जरूरत क्यों पड़ रही है. इस सवाल का जवाब इस बार की यात्रा के शुरुआती दिनों में ही सरकार और पूरे सिस्टम को मिल गया था. गंगोत्री और यमुनोत्री के कपाट खुलने के बाद से ही राज्य की चारधाम यात्रा देश में चर्चा का विषय बन गई थी. विपक्ष लगातार यह आरोप लगा रहा था कि पूरी की पूरी सरकार चुनावी कार्यक्रम में व्यस्त है. लाखों श्रद्धालु उत्तराखंड में परेशान हो रहे हैं. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने चुनावी कार्यक्रम को बीच में रोककर उत्तराखंड में आकर तमाम व्यवस्थाओं का जायजा लिया. लेकिन व्यवस्था इतनी बिगड़ गई थी कि सरकार को रजिस्ट्रेशन पर रोक 31 मई तक लगानी पड़ी.

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केदारनाथ यात्रा को लेकर ज्यादा क्रेज है (Photo- ETV Bharat)

सीएम धामी की लगी मुहर: लिहाजा सीएम ने इसकी लंबी योजना बनाने के लिए अधिकारियों से बातचीत की. जिसके बाद शासन ने उत्तराखंड सरकार को एक प्रस्ताव दिया. इस प्रस्ताव में कहा गया कि अगर राज्य में तमाम धार्मिक यात्राओं का मैनेजमेंट करने के लिए एक प्राधिकरण बनाया जाता है, तो ऐसी स्थिति से निपटने के लिए काफी हद तक राज्य के पास संसाधन रहेंगे. इसके बाद राज्य के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस पूरे मसौदे पर अपनी मुहर लगाकर इस पर अधिकारियों को आगे काम करने का दिशा निर्देश दिया है.

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गंगोत्री धाम में बहुत श्रद्धालु पहुंच रहे हैं (Photo- ETV Bharat)

अधिकारी बोले सिर्फ चारधाम ही नहीं, सभी यात्राओं को होगा फायदा: गढ़वाल कमिश्नर विनय शंकर पांडे की मानें तो उत्तराखंड में बन रहा प्राधिकरण सिर्फ चारधाम यात्रा के लिए नहीं होगा. उत्तराखंड में साल भर अलग-अलग धर्मों, अलग-अलग मंदिरों, गंगा किनारों पर धार्मिक आयोजन होते रहते हैं. ऐसे में हम यह चाहते हैं कि एक पूरा का पूरा अलग सिस्टम इन यात्राओं का बनाया जाए, ताकि आगे से ऐसी समस्या फिर दोबारा से पैदा ना हो. इस प्राधिकरण के तहत बहुत से ऐसे काम किए जाएंगे, जो अब तक राज्य में नहीं हुए हैं. हां इतना जरूर है कि यह प्राधिकरण ना तो देवस्थानम बोर्ड की तरह होगा और ना ही इसमें किसी भी मंदिर का संचालन वहां के तीर्थ पुरोहितों से जुड़े फैसले यह प्राधिकरण ले पाएगा.

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यमुनोत्री धाम उत्तरकाशी जिले में है. (Photo- ETV Bharat)

ऐसे काम कर सकता है प्राधिकरण: दरअसल प्राधिकरण के अंदर जो मूलभूत बातें उत्तराखंड की यात्राओं से जुड़ी जोड़ी जा रही हैं, उनमें सबसे पहला काम यह होगा कि यह प्राधिकरण किसी भी मंदिर के संचालन या उससे जुड़ी व्यवस्था में हस्तक्षेप नहीं करेगा. इसके साथ ही ट्रैफिक मैनेजमेंट के लिए पुलिस और ट्रैफिक पुलिस विभाग ये तय करेगा कि किन जवानों को ट्रैफिक मैनेजमेंट के लिए लगाया जाए. ऐसा नहीं होगा कि अगर एक कर्मचारी की ड्यूटी 2 महीने यात्रा के दौरान चमोली में लगी है तो 2 महीने उस कर्मचारी की ड्यूटी गंगोत्री धाम में लगा दी जाएगी. यानी पुलिस के जवानों को इस तरह की ट्रेनिंग दी जाएगी कि वह साल भर कहीं भी ड्यूटी करें, लेकिन ट्रेनिंग के दौरान उनको सिखाई गई बारीकियां के बाद यह तय हो जाएगा कि यही कर्मचारी ट्रैफिक व्यवस्था में लगेगा. उसके अलावा किसी भी कर्मचारी की ड्यूटी या नए पुलिसकर्मी की ड्यूटी ट्रैफिक के लिए नहीं लगाई जाएगी. इसके लिए बाकायदा उनको ट्रेनिंग दी जाएगी. यात्रा खत्म होने के बाद अगर वह कर्मचारी किसी थाने चौकी या अन्य जगहों पर ड्यूटी देता भी है, तो यात्रा के दौरान उस जगह से तत्काल रिलीव करके उस कर्मचारी को यात्रा में लगाया जाएगा.

इसी तरह से यात्रा के दौरान आपदा प्रबंधन विभाग में भी कुछ बदलाव किए जाएंगे. यह बदलाव ऐसे होंगे कि अगर एसडीआरएफ के वह जवान जो चमोली या उत्तरकाशी की भौगोलिक स्थिति से वाकिफ हैं, तो उन्हें उन्हें क्षेत्र में रेस्क्यू इत्यादि के लिए भेजा जाएगा.

इसी तरह से पीडब्ल्यूडी सिंचाई विभाग स्वास्थ्य विभाग और अन्य विभागों में भी उन कर्मचारियों को ट्रेनिंग दी जाएगी जो कर्मचारी मौजूदा समय में अपने विभागों में कार्य कर रहे हैं. इन्हीं कर्मचारियों में से कुछ कर्मचारियों को इस प्राधिकरण की ड्यूटी के तहत ट्रेनिंग दी जाएगी. यही कर्मचारी हमेशा यात्रा के दौरान ड्यूटी पर तैनात किए जाएंगे. डाक्टर भी वही तैनात रहेंगे जिनको यात्रा में ड्यूटी करने का अनुभव होगा.

मतलब सरकार प्राधिकरण बनाकर यह सुनिश्चित करना चाहती है कि अगर राज्य में चुनाव जैसे पर्व हो त्यौहार हों, या अन्य कोई भी इस तरह का मूवमेंट हो तो एक पूरे सिस्टम के तहत जिन कर्मचारियों, अधिकारियों की लिस्ट बनाई गई है, वह अधिकारी कर्मचारी सब काम छोड़कर यात्रा भीड़ मैनेजमेंट, ट्रैफिक मैनेजमेंट की जिम्मेदारी ही संभालेंगे. इससे एक पूरा का पूरा एक सिस्टम बन कर तैयार हो जाएगा और सरकार को सालाना यह तैयारी नहीं करनी पड़ेगी कि किसी कर्मचारी या अधिकारी की ड्यूटी कहां पर लगाई जाए.

गणेश गोदियाल ने दी ये सलाह: मंदिर समिति के पूर्व अध्यक्ष गणेश गोदियाल ने कहा है कि सरकार अगर ऐसा कुछ करने पर विचार कर रही है, तो उसे सभी लोगों से बात करनी चाहिए. मंदिर समिति, तीर्थ पुरोहित और अन्य सभी संगठनों से बात की जाए ताकि फिर से किसी तरह का कोई विरोध ना हो और सरकार की मंशा साफ होनी चाहिए. गोदियाल ने कहा कि व्यवस्था बनाने के लिए सरकार को अब तक और भी कुछ कदम उठाने चाहिए थे, क्योंकि इस बार की यात्रा बेहद चरमरा गई है.
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