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EVM पर सुनवाई में SC ने कहा, 'बैलेट पेपर में दिक्कत, मानवीय हस्तक्षेप से पैदा होती है समस्या' - SC on EVM

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By Sumit Saxena

Published : Apr 16, 2024, 5:20 PM IST

We know what happened with ballot papers human intervention leads to a problem says SC.
EVM पर सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने कहा, 'हम जानते हैं कि बैलेट पेपर से मतदान में क्याक्या गलतियां हुईं, मानवीय हस्तक्षेप से समस्या पैदा होती है'.

SC on EVM-VVPAT: जस्टिस संजीव खन्ना और दीपांकर दत्ता की सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स और अन्य द्वारा दायर याचिकाओं पर सुनवाई की. इसमें वीवीपैट पर्चियों के साथ ईवीएम वोटों के 100% सत्यापन की मांग की गई है.

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को ईवीएम वोटों के 100% वीवीपैट सत्यापन का सुझाव देने वाली याचिका पर सुनवाई की. शीर्ष अदालत ने सोमवार को गुप्त मतदान पद्धति के मुद्दों की ओर इशारा करते हुए कहा कि मानवीय हस्तक्षेप से समस्याएं पैदा होती हैं.

न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की पीठ ने एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स का प्रतिनिधित्व कर रहे वकील प्रशांत भूषण से कहा, 'हम 60 साल के हैं. हम सभी जानते हैं कि जब बैलेट पेपर थे तो क्या हुआ था. आप भी जानते होंगे, लेकिन हम नहीं भूले हैं'.

भूषण ने कहा कि कोर्ट बूथ कैप्चरिंग की घटनाओं का जिक्र कर रहा है. यह बड़े मुद्दे की ओर इशारा कर रहा है. अदालत को पता है कि जब बैलेट पेपर के माध्यम से मतदान हुआ तो क्या गलतियां हुईं. भूषण ने इस बात पर जोर दिया कि जर्मनी बैलेट पेपर की ओर लौट आया है. देश को बैलेट पेपर प्रणाली की ओर वापस जाना चाहिए, क्योंकि ईवीएम हैकिंग के प्रति संवेदनशील हैं.

भूषण ने सुझाव दिया कि प्रत्येक वीवीपैट पर्ची मतदाताओं को हाथ में दी जानी चाहिए, फिर वे इसे मतपेटी में जमा कर सकते हैं. वीवीपैट का डिजाइन बदल दिया गया था. इसे पारदर्शी ग्लास होना चाहिए था, लेकिन डिजाइन को अपारदर्शी दर्पण ग्लास में बदल दिया गया था. जहां यह केवल तभी दिखाई देता है, जब प्रकाश केवल 7 सेकंड के लिए चालू होता है.

भूषण द्वारा उद्धृत जर्मनी के उदाहरण पर न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता ने उनसे पूछा कि जर्मनी की जनसंख्या कितनी है? भूषण ने जवाब दिया कि यह लगभग 6 करोड़ है, जबकि भारत में 50 करोड़ से अधिक मतदाता हैं. एक पूर्व चुनाव आयुक्त ने कहा था कि सभी वीवीपैट पर्चियों की गिनती में कुछ घंटों से ज्यादा समय नहीं लगेगा.

भूषण ने कहा कि अधिकांश मतदाता ईवीएम पर भरोसा नहीं करते हैं. ईवीएम में हेरफेर की आशंका रहती है. उनका कहना है कि वे ईवीएमए में लगाए गए इन चिप्स का सोर्स कोड नहीं दिखा रहे हैं. इससे ईवीएम पर अधिक संदेह पैदा हो रहा है.

पीठ ने कहा, 'हर कोई जानता है कि बैलेट पेपर से मतदान में क्या समस्याएं थीं. यह भी पता है कि बैलेट पेपर के इस्तेमाल से क्या गलतियां हुईं. शीर्ष अदालत ने कहा, 'मानवीय हस्तक्षेप से समस्या पैदा होती है. बिना किसी मानवीय हस्तक्षेप के मशीनें ठीक से काम करेंगी और सटीक परिणाम देंगी. समस्या तब पैदा होती है जब मानवीय हस्तक्षेप होता है'.

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