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सूरजकुंड मेले में छाई खरगोश के बालों वाली शॉल, कीमत जानकर रह जाएंगे हैरान

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By ETV Bharat Haryana Team

Published : Feb 13, 2024, 11:13 PM IST

Surajkund Handicraft Fair: फरीदाबाद में इन दिनों सूरजकुंड अंतरराष्ट्रीय हस्तशिल्प मेले में देश भर के हस्तशिल्प कलाकार आए हैं. इन शिल्पकारों में राजस्थान के माउंट आबू से जितेंद्र भी शामिल हैं. जितेंद्र ने यहां पर गर्म कपड़ों की स्टॉल लगाई है जो बेहद खास है. क्योंकि ये कपड़े भेड़ या याक के बालों से नहीं बल्कि खरगोश के बालों से बनाए जाते हैं. रिपोर्ट में जानिए खासियत

Surajkund Handicraft Fair
Surajkund Handicraft Fair

खरगोश के बालों से तैयार किए कपड़ों की स्टॉल

फरीदाबाद: हरियाणा के फरीदाबाद में सूरजकुंड मेले में हर दिन कुछ न कुछ नया देखने को मिलता है. जहां विश्वभर से हस्तशिल्प कलाकार पहुंचे हैं और मेले में लगी तमाम स्टॉल्स के पास काफी भीड़ भी नजर आती है. ऐसा इसलिए क्योंकि एक्सपेंसिव चीजें भी स्टॉल्स पर कम दाम में मिल जाती है. हस्तशिल्प कलाकारों द्वारा लगाई गई स्टॉल्स पर खास चीजें मिल रही हैं. अक्सर आपने भेड़ और याक के बालों से बने शॉल और दुपट्टे तथा गर्म वस्त्रों के बारे में सुना होगा. लेकिन सूरजकुंड मेले में अलग जर्मन खरगोश के बालों से भी वस्त्र तैयार किये जाते हैं.

खरगोश के बालों से तैयार हुए वस्त्र: इंटरनेशनल सूरजकुंड हस्तशिल्प मेले में माउंट आबू राजस्थान से आए जितेंद्र ने सूरजकुंड मेले में स्टॉल लगा रखा है. इस स्टॉल की खास बात ये है कि यहां खरगोश के बालों से तैयार किए कई तरह के वस्त्र मिल रहे हैं. ईटीवी भारत से बातचीत में जितेंद्र ने बताया कि वह एक सफल इंजीनियर थे, लेकिन उन्हें कुछ अलग करना था और यही वजह है कि उन्होंने अलग ही नहीं बल्कि खास करने के लिए एक रिसर्च की और साल 2007 में अपना काम शुरू किया.

खरगोश का रखा जाता है खास ख्याल: जितेंद्र 2007 से ही जर्मन खरगोश के बालों से गर्म कपड़े तैयार करने में लग गए. इसके लिए उन्होंने एक यूनिट लगाया और एक्सपोर्ट की निगरानी में जर्मन खरगोश के बालों से वस्त्र तैयार करने लगे. जितेंद्र बताते हैं 'कि उनके पास अभी 80 जर्मन खरगोश हैं. जिन्हें वह टेंपरेचर के मुताबिक रखते हैं. उन्होंने बताया कि एक्सपर्ट के सामने दो महीने में एक बार खरगोश का हेयर कट किया जाता है. जिसके बाद बालों को अच्छी तरह से धोया जाता है और पशु चिकित्सक की निगरानी में प्लाज्मा ट्रीटमेंट होता है. जिसमें पता लगाया जाता है कि खरगोश को कोई संक्रमण तो नहीं है'.

एक खरगोश के बालों से बन जाती है एक शॉल: जितेंद्र बताते हैं कि 'ये सारा प्रोसेस करने के बाद खरगोश के बालों का धागा तैयार किया जाता है. जिससे शॉल, जैकेट, स्वेटर समेत कई तरह के गर्म कपड़े तैयार किये जाते हैं. खास बात ये है कि इन कपड़ों का वजह भी काफी कम होता है. उन्होंने बताया कि एक शॉल का वजन 180 ग्राम होता है. जबकि जैकेट का 300 ग्राम होता है. वहीं, दुपट्टे का वजन केवल 250 ग्राम होता है. इन्हें केवल खरगोश के बालों के साथ ही तैयार किया जाता है. किसी तरह की मिलावट इन धागों में नहीं की जाती'.

एक्सपेंसिव है कपड़ों का दाम: जितेंद्र ने बताया कि '250 ग्राम के दुपट्टे की कीमत 2500 से शुरू होकर 25 हजार तक होती है. यानी कहा जाए तो डिजाइन के हिसाब से रेट फिक्स किए जाते हैं. जैसे सिंपल शॉल का रेट 3500 से शुरू होता है और डिजाइन वाली शॉल का रेट 40 हजार रुपये के आस-पास तक पहुंच जाता है. आपको बता दें कि एक खरगोश से 250 ग्राम वजन के बाल निकलते हैं. जिसमें उनकी एक शॉल आराम से बन जाती है. यानी एक खरगोश के बालों से एक शॉल बन जाती है और उसमे भी बाल बच जाते हैं'.

सालाना लाखों की करते हैं कमाई: जितेंद्र बताते हैं कि 'इस बिजनेस उनकी अच्छी खासी आमदनी होती है और साल भर में वह 70-80 लाख का कारोबार करते हैं. इस कारोबार में 50 से ज्यादा लोगों को रोजगार भी दिया है'. उन्होंने बताया कि '2010 में वो सूरजकुंड हस्तशिल्प मेले में आए थे, उस दौरान मेले में करीब 6 लाख की कमाई की थी. जबकि इस बार उन्होंने ज्यादा मुनाफा होने की उम्मीद जताई है'.

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