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CJI से इच्छा मृत्यु मांगने वाली महिला जज को जान से मारने की धमकी, रजिस्टर्ड डाक से भेजा गया पत्र - Threat to woman judge

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Apr 1, 2024, 5:02 PM IST

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सीजेआई को पत्र इच्छा मृत्यु मांगने वाली बांदा की महिला जज को रजिस्टर्ड डाक से धमकी भरा पत्र मिला है. महिला जज की तहरीर पर कोतवाली पुलिस ने अज्ञात व्यक्ति के विरुद्ध मामला दर्ज किया है.

बांदा : सीजेआई को पत्र इच्छा मृत्यु मांगने वाली महिला जज को रजिस्टर्ड डाक से धमकी भरा पत्र मिला है. महिला जज की तहरीर पर कोतवाली पुलिस ने अज्ञात व्यक्ति के विरुद्ध मामला दर्ज किया है. महिला जज ने पूरे मामले में 3 लोगों पर षडयंत्र रचकर धमकी भरा पत्र भेजने का आरोप लगाया है.

महिला जज ने कहा- खंगाला जाए सीसीटीवी फुटेज

तहरीर में महिला जज ने बताया कि उनके द्वारा पूर्व में दिए गए प्रार्थना पत्र पर उच्च न्यायालय द्वारा यौन उत्पीड़न संबंधी जांच की जा रही है, जो लंबित है. 28 मार्च को रजिस्टर्ड डाक से एक धमकी भरा पत्र मिला है, जिसमें उन्हें जान से मारने की धमकी दी गई है. महिला जज ने बताया कि लिफाफे में एक व्यक्ति का नाम व उसका मोबाइल नंबर भी लिखा है. महिला जज ने 3 लोगों पर आरोप लगाया है कि यह पत्र उक्त लोगों ने ही षडयंत्र के तहत भेजा है. महिला जज ने पुलिस से मांग की है कि यह डाक जहां से भेजी गई है, उस जगह का सीसीटीवी फुटेज खंगाला जाए, जिससे पता चल सके कि आखिर धमकी भरा पत्र भेजने के पीछे कौन है. पुलिस ने तहरीर के आधार पर अज्ञात व्यक्ति के खिलाफ मामला दर्ज किया है.

CJI से महिला जज ने की थी इच्छामृत्यु की मांग

महिला सिविल जज ने कुछ महीनों पहले सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस से इच्छा मृत्यु की मांग की थी. महिला सिविल ने सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस को लेटर लिखा, जिसमें कहा कि जब यह बाराबंकी में 2022 में तैनात थीं, तब वहां के जिला जज ने उनका शारीरिक और मानसिक शोषण किया था. जज ने उन्हें रात में मिलने को लेकर दबाव भी बनाया था. जिसको लेकर हाईकोर्ट इलाहाबाद में भी उन्होंने गुहार लगाई, लेकिन जज होने के बाद भी उन्हें न्याय नहीं मिला. इसके बाद वह ये लेटर लिखकर इच्छा मृत्यु की मांग कर रही हैं. पत्र में पीड़ित महिला जज ने यह भी लिखा है कि एक जज होने के बावजूद जब मुझे न्याय नहीं मिल रहा है तो आम जनता का क्या होगा?

पीड़ित महिला जज ने कहा था कि मेरे साथ जो कुछ हुआ है, उसको लेकर ओपन पत्र जारी किया. जिसमें मैंने सारी बातें लिखीं. इस पूरे मामले को लेकर मैंने याचिका भी दाखिल की थी. लेकिन, उसे खारिज कर दिया गया. मामले को लेकर जब शिकायत की तो उसे स्वीकार करने में ही लगभग छह महीने लग गए. जबकि, इस प्रक्रिया में तीन महीने लगते हैं.

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