वाराणसी : अयोध्या में रामलला का श्यामल स्वरूप भव्य राम मंदिर में स्थापित किया गया है. अब इसी श्यामल स्वरूप में रामलला नीदरलैंड में भी भक्तों को आशीर्वाद देंगे. जी हां! काशी में लगभग 6 फीट की ब्लैक ग्रेनाइट की भगवान श्रीराम की श्यामल प्रतिमा तैयार की गई है. यह अयोध्या में स्थापित प्रभु श्रीराम की रेप्लिका है. भगवान की यह मूर्ति वाराणसी से अयोध्या जाएगी. वहां विशेष पूजा के बाद इसे नीदरलैंड भेजा जाएगा. वहां इसको हनुमान मंदिर में स्थापित की जाएगी. ऐसी ही कई मूर्तियां तैयार करने का प्लान है. इनको यूरोप के कई देशों में स्थापित कर सनातन धर्म को लोगों तक पहुंचाने का काम किया जा रहा है.
लगभग 500 साल के इंतजार के बाद राम मंदिर का निर्माण और वहां पर रामलला की प्राण प्रतिष्ठा ने पूरी दुनिया को आकर्षित किया है. राम मंदिर का बनना न सिर्फ भारत में रहने वाले लोगों के लिए आनंद का विषय है, बल्कि विदेशों में रहने वाले भारतीयों और सनातन में आस्था रखने वाले लोगों के लिए भी खुशी की बात रही है. अब इंटरनल ब्लिस फाउंडेशन अन्य फाउंडेशन की मदद से यूरोप के सभी देशों में रामलला की मूर्ति स्थापित करने की योजना बना रहा है. इसकी शुरुआत नीदरलैंड से की जा रही है. वहां पर हनुमान जी के मंदिर में रामलला की मूर्ति लगाई जाएगी.
कई देशों में मूर्ति स्थापना की चल रही बात : इस संस्था के संस्थापक स्वामी अखंड सम्राट आनंद महाराज बताते हैं कि, अयोध्या में रामलला 22 जनवरी को आए. इसके बाद नीदरलैंड में जा रहे हैं. पूरे यूरोप को लेकर हम लोगों की ये योजना है कि सनातन को, रामलला को हम लोग वहां तक लेकर जाएं. जगह-जगह पर मंदिर बनाएं. जर्मनी, बेल्जियम, रोम, फ्रांस के साथ ही पेरिस में भी हम लोगों की बातचीत चल रही है. आने वाले समय में आप देखेंगे कि यूरोप कई देशों में रामलला को लेकर हम लोग जाएंगे और वहां पर मंदिर की स्थापना करवाएंगे. इससे वहां पर रह रहे लोगों को भी रामलला के दर्शन करने का सौभाग्य मिलेगा और सनातन आस्था का विश्वास बढ़ेगा.
- वाराणसी में तैयार की गई अयोध्या के रामलला जैसी मूर्ति. |
- काशी के मूर्तिकार कन्हैयालाल ने बनाई है रामलला की प्रतिमा. |
- रामलला की प्रतिमा काशी से अयोध्या जाएगी और वहां विधिवत पूजा होगी. |
- अयोध्या से ही इस प्रतिमा को नीदरलैंड भेजा जाएगा. |
- काशी में तैयार हुई रामलला की प्रतिमा की लंबाई 5 फिट 7 इंच है. |
मेडिटेशन और यज्ञ सेंटर की होगी स्थापना : स्वामी अखंड सम्राट आनंद महाराज ने कहा कि रामलला हर जगह मौजूद हैं. जो भारतीय बाहर विदेश में रहते हैं, जो बार-बार यहां आ नहीं पाते हैं. वहां पर वे लोग रामलला के दर्शन कर सकेंगे. इन देशों में मेडिटेशन सेंटर भी बनाया जाएगा. साथ ही यज्ञ सेंटर भी बनेगा. इससे हम लोगों को लाभ मिलेगा. हमारा लक्ष्य है कि सनातन धर्म को पूरी दुनियाभर में फैलाया जाए. ज्यादा से ज्यादा लोगों तक हम इसको पहुंचाएं. नीदरलैंड में बनने वाले मंदिर की स्थापना सिद्धि साईं बाबा फाउंडेशन के साथ मिलकर हम लोग कर रहे हैं. अभी अलग-अलग जगहों पर हम लोग और भी फाउंडेशन के साथ मिलकर काम करेंगे.
अयोध्या से फ्लाइट से मूर्ति भेजी जाएगी नीदरलैंड: स्वामी अखंड सम्राट आनंद महाराज ने हमारे फाउंडेशन का विजन विश्वभर में सभी लोगों तक सनातन धर्म को पहुंचाना है. इसके बारे में लोगों को जानकारी दें. हम लोगों की इच्छा है कि हम पहले रामलला को लेकर अयोध्या जाएं. वहां से डायरेक्ट फ्लाइट से नीदरलैंड जाएं. अयोध्या में रामलला की प्रतिमा की विधि-विधान से पूजा की जाएगी.
दो महीने में बनकर तैयार हुई रामलला की प्रतिमा : वहीं रामलला की मूर्ति बनाने वाले कन्हैया लाल शर्मा बताते हैं कि यह 5 फिट 7 इंच की मूर्ति है. जो मूर्ति रामलला की अयोध्या में स्थापित है उसी मूर्ति की नकल या प्रतिरूप है. इसे बनाने में दो महीने लगे. इसे काले संगमरमर पर बनाया गया है. इस मूर्ति को तैयार करने में मुझे बहुत खुशी है. मेरी रामलला की मूर्ति बनाने की इच्छा थी. मेरी ये इच्छा भी पूरी हो गई.
तीन पीढ़ियां इसी पेशे में कर रहीं काम : कन्हैया लाल शर्मा की तीन पीढ़ियां इस पेशे में लगी हुई हैं. उनके दादा महादेव प्रसाद बड़े मूर्तिकार थे, जिन्होंने इंडिया गेट पर छत्रपति शिवाजी की प्रतिमा, जॉर्ज पंचम, दरभंगा नरेश आदि की प्रतिमा तैयार की थी. कन्हैयालाल के पिता ओंकारनाथ ने अपने पिता की विरासत को संभालते हुए आगे बढ़ाया. वहीं, कन्हैया ने इंग्लैंड की महारानी के अलावा कई विदेशियों की प्रतिमाएं तैयार की हैं. उन्होंने नीदरलैंड भेजी जा रही रामलला की प्रतिमा को 10 सहयोगियों के साथ मिलकर तैयार किया है. वो रामलला की और प्रतिमाएं बनाना चाहते हैं.
यह भी पढ़ें : रामनवमी पर सुबह 3.30 से रात 11 बजे तक होंगे रामलला के दर्शन, लाइटों-फूलों से सजाया जा रहा गर्भगृह, जानिए क्या है विशेष तैयारी - Ram Navami 2024