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एक बुजुर्ग की अंतिम यात्रा में शामिल हुई गाय, श्मशानघाट में चिता के लगाए फेरे, लोग हैरान - Sagar cow attended funeral

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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Apr 6, 2024, 5:56 PM IST

Updated : Apr 6, 2024, 7:49 PM IST

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सागर जिले के खिमलासा गांव में एक गौ सेवक महीप सिंह की मौत होने पर उनकी अंतिम यात्रा में गाय भी शामिल हुई. ये देखकर वहां मौजूद लोग परेशान थे. ग्रामीणों ने बताया कि महीप गायों की सेवा किया करते थे. वह गाय अंतिम संस्कार होने तक श्मशान घाट में रुकी फिर घर लौट रहे लोगों के साथ वापस आ गई.

एक बुजुर्ग की अंतिम यात्रा में शामिल हुई गाय

सागर। कहते हैं कि इंसान के अच्छे काम हमेशा याद रखे जाते हैं और दुनिया के लिए नजीर बन जाते हैं. कुछ ऐसा ही मध्य प्रदेश के सागर जिले में देखने को मिला. जिले के खिमलासा गांव के रहने वाले गौ सेवक महीप सिंह की गौ सेवा का फल उनकी अंतिम यात्रा में देखने को मिला. जब एक गाय गौ सेवक महीप सिंह के निधन पर तब घर पहुंच गई, जब उनके अंतिम संस्कार की तैयारी की जा रही थी. जब महीप सिंह की अंतिम यात्रा निकली तो बाकायदा गाय अंतिम यात्रा में साथ-साथ चली और अंतिम संस्कार होने तक श्मशान घाट में रूकी फिर लोगों के साथ वापस आ गई.

महीप सिंह को गौवंश से था प्रेम

खिमलासा के बुजुर्ग महीप सिंह यादव अपने पशु और खासकर गौवंश प्रेम के लिए क्षेत्र में जाने जाते थे. उन्होंने जीवन भर गौ माता की सेवा और उनका ख्याल रखा. उनकी दिनचर्या में गौ सेवा पहली प्राथमिकता थी और सुबह सवेरे उठकर वो घर के पशुओं की सेवा में लग जाते थे और खासकर गौ माता से इतना प्रेम करते थे कि उनकी चिंता को लेकर वो गांव से बाहर ही नहीं जाते थे, चाहे रिश्तेदारों के यहां कोई सुख की घड़ी हो या दुख की घड़ी हो. इसीलिए गाय और घर के दूसरे पशु उनके घर पहुंचते ही उनके आसपास मंडराने लगते थे.

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बुजुर्ग महीप सिंह यादव का शुक्रवार को निधन हो गया था और जब उनके अंतिम संस्कार की तैयारियां होने लगीं तो गांव के लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी. लेकिन सब लोग तब आश्चर्यचकित हो गए, जब अंतिम संस्कार की तैयारियों के दौरान एक गाय वहां पहुंच गयी. गाय सभी लोगों के साथ खड़ी हो गयी और लोगों ने हटाने की कोशिश भी की लेकिन गाय नहीं हटी. तब लोगों को समझ आया कि महीप सिंह यादव के निधन पर गाय दुखी है. लोगों का कहना है कि गाय की आंखों से आंसू झलक रहे थे और वहां से हटने के लिए तैयार ही नहीं थी. लोगों ने सोचा कि जब अंतिम यात्रा निकलेगी तो अपने आप चली जाएगी. इसलिए लोगों ने गाय को वहीं रहने दिया.

अंतिम यात्रा में साथ-साथ चली गौमाता

जैसे ही अंतिम यात्रा श्मशान घाट जाने के लिए घर से निकली, तो गाय भी सैकड़ों लोगों के साथ श्मशान घाट तक पहुंची. श्मशानघाट में जब तक उनके अंतिम संस्कार की प्रक्रिया चल रही थी. तब तक गाय वहीं मौजूद रही और अंतिम संस्कार के बाद लोग जब परिक्रमा लगा रहे थे, तो गाय ने भी अपनी परिक्रमा लगाई. ये देखकर लोग हैरान थे. लोगों ने गौमाता के अपने सेवक के प्रति प्रेम देखकर उसकी खूब सेवा की और समझा कि मूक पशु भी प्रेम के भूखे होते हैं और प्रेम की भाषा समझते हैं. अगर आप उन्हें प्रेम करोगे, तो अंतिम सांस तक वो भी साथ निभाएंगे.

Last Updated :Apr 6, 2024, 7:49 PM IST
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