सागर। इसे सरकारी नियमों का मकड़जाल कहा जाए या फिर जनपद पंचायत में व्याप्त भ्रष्टाचार और कमीशन खोरी का असर कहा जाए. ग्रामीण अंचलों में आज भी कई ऐसे गांव हैं जो 50-50 साल से 2 किलोमीटर सड़क के लिए परेशान हैं और नियमों का हवाला देकर जिम्मेदार अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लेते हैं. ऐसा ही जिले के देवरी विकासखंड की बारहा पंचायत में देखने मिला, जब जनपद पंचायत द्वारा नियमों का हवाला देकर 2 किलोमीटर सड़क बनाने से इनकार कर दिया. ऐसे में ग्राम पंचायत की महिला सरपंच ने चुनाव के समय ग्रामीणों से किया वादा निभाने के लिए करीब 20 लाख रुपए खर्च कर खुद ही सड़क बनवा दी. अब महिला सरपंच की पहल की जमकर तारीफ हो रही है.
सड़क बनाने से जनपद पंचायत ने किया इंकार
सरकार गांवों के विकास के लिए करोड़ों रुपए खर्च करने का दावा करती है लेकिन आज भी कई गांव ऐसे है जो विकास से कोसों दूर हैं. देवरी विकासखंड की ग्राम पंचायत बारहा की महिला सरपंच ने विकास में बाधा बन रहे प्रशासन को आइना दिखा दिया. दरअसल बारहा से हरखेड़ा गांव को जोड़ने वाली सड़क की मांग बहुत पुरानी है. बरसात के दिनों में सड़क पर दलदल रहने के कारण 4 महीने तक किसान अपने खेतों तक नहीं पहुंच पाते और गांव के मवेशी इसी सड़क से जंगल जाते हैं, जिसमें अधिकांश मवेशी दलदल में फंसकर बरसात में मर जाते थे.
पंचायत चुनाव में दिए थे 33 वचन
ग्राम पंचायत बारहा की सरपंच ज्योति राय बताती हैं कि "जब ग्राम पंचायत में चुनाव हुआ था तो उन्होंने बाकायदा ग्राम पंचायत के विकास के लिए एक घोषणा पत्र जारी किया था और 33 वचन गांव के लोगों से किए थे. पंचायत चुनाव में उन्होंने ग्रामीणों
से वादा किया था कि वह चुनावी घोषणा पत्र के अनुसार वचन पूरे करेंगी. जिसमें सालों से चली आ रही सड़क की मांग को भी पूरा करने का उल्लेख किया था. सड़क निर्माण न होने के कारण गांव के लोग बार-बार मांग कर रहे थे. इसलिए सड़क के निर्माण के लिए जनपद पंचायत ने जब नियमों का हवाला देकर सड़क बनाने से मना कर दिया तो करीब 20 लाख निजी राशि खर्च कर सड़क निर्माण करना पड़ रहा है."
निजी खर्च पर कराए और भी कई कार्य
ऐसा नहीं है कि महिला सरपंच ज्योति राय ने सिर्फ सड़क बनवाने का काम किया है. अपने वचन निभाने के लिए उन्होंने ग्राम पंचायत में बच्चों के लिए खेल मैदान, बुजुर्गों के लिए वृद्धाश्रम, शंकर जी के मंदिर का निर्माण और गांव की दुर्गा उत्सव समिति के लिए चबूतरे का निर्माण स्वयं के खर्चे पर कराया है. उन्होंने बताया कि घोषणा पत्र में जनता से किए 33 वादों में से 21 वादे पूरे कर चुकी हूं. गांव की गरीब कन्या के विवाह पर ड्रेसिंग टेबिल उपहार में देती हूं, किसी भी व्यक्ति के निधन पर लकड़ी और पानी का टैंकर अपने निजी ट्रैक्टर से उपलब्ध कराती हूं.
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गांव में अभी भी कई समस्याएं
सरपंच ज्योति राय का कहना है कि निजी खर्चे पर इतने काम करने के बाद भी गांव में कई काम अधूरे पड़े हैं. जिनको बिना सरकारी मदद के पूरा करना संभव नहीं है. ग्राम पंचायत में पेयजल का संकट गहराया हुआ है, यहां के हैंडपंप पूरी तरह से जवाब दे चुके हैं. नल-जल योजना का काम लापरवाही की भेंट चढ़ गया है. लोगों को मध्य प्रदेश सरकार की योजनाओं का लाभ भी नहीं मिल रहा है, जिससे लोग सरकार से नाराज हैं.