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पंजाब: खड़गे की 11 फरवरी की मेगा रैली से पहले कांग्रेस में घमासान

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Feb 4, 2024, 7:40 AM IST

Rumblings in Punjab Congress: पंजाब में 11 फरवरी से कांग्रेस प्रमुख की मेगा रैली है. इसके लिए तैयारी की जा रही है लेकिन इन सब के बीच प्रदेश कांग्रेस में नेताओं की आपसी लड़ाई बढ़ने की चर्चा है. पढ़ें ईटीवी भारत के अमित अग्निहोत्री की रिपोर्ट...

Rumblings in Punjab Congress surface ahead of Kharges Feb 11 rally
पंजाब: खड़गे की 11 फरवरी की मेगा रैली से पहले कांग्रेस में घमासान

नई दिल्ली: 11 फरवरी को पंजाब में कांग्रेस प्रमुख मल्लिकार्जुन खड़गे की मेगा रैली से पहले राज्य इकाई में गुटबाजी एआईसीसी तक पहुंच गई है. पार्टी के अंदरूनी सूत्रों के अनुसार पंजाब कांग्रेस प्रमुख अमरिंदर सिंह राजा वारिंग ने पंजाब के एआईसीसी प्रभारी देवेंद्र यादव से पूर्व राज्य इकाई प्रमुख नवजोत सिंह सिद्धू के खिलाफ उनकी कथित पार्टी विरोधी गतिविधियों की शिकायत की है.

हाल ही में अपनी दूसरी शिकायत में राजा वारिंग ने आरोप लगाया कि सिद्धू एक फरवरी को आयोजित पंजाब चुनाव समिति की बैठक में शामिल नहीं हुए. इसके बजाय उन्होंने अपने समर्थकों के साथ एक अलग बैठक की. वारिंग ने इसे पार्टी विरोधी गतिविधि बताते हुए सिद्धू के खिलाफ उचित कार्रवाई करने का सुझाव दिया है.

देवेंद्र यादव ने ईटीवी भारत से कहा,'मैं इस मुद्दे को देखूंगा. हमारी एक लोकतांत्रिक पार्टी है और राज्य के नेताओं के बीच कुछ छोटे मुद्दे हो सकते हैं लेकिन, ऐसा नहीं है कि इसे हल नहीं किया जा सकता है. वारिंग और-सिद्धू के बीच मनमुटाव राज्य इकाई में कुछ समय से चल रहा है और दोनों नेता एक-दूसरे के खिलाफ अप्रत्यक्ष रूप से हमले कर रहे हैं.

हाल ही में जब एआईसीसी प्रभारी राज्य इकाई की समीक्षा के लिए तीन दिवसीय यात्रा पर थे, तो वारिंग और सिद्धू दोनों ने एक-दूसरे के खिलाफ शिकायतें कीं. फिर भी 11 फरवरी को समराला में खड़गे की रैली से पहले आई शिकायत ने एआईसीसी के भीतर कुछ भौंहें चढ़ा दीं.

यादव ने कहा,'यह राज्य भर के हमारे बूथ स्तर के कार्यकर्ताओं का एक सम्मेलन है. हमें उम्मीद है कि यह एक बड़ी सफलता होगी. पूरी राज्य इकाई उत्तरी राज्य में सबसे पुरानी पार्टी को पुनर्जीवित करने के लिए कड़ी मेहनत कर रही है. सत्तारूढ़ आप के साथ गठबंधन से इनकार भी कांग्रेस को पुनर्जीवित करने की इच्छा का हिस्सा रहा है.

उन्होंने कहा, 'राज्य की सभी 13 लोकसभा सीटों पर हमारी तैयारी चल रही है. हम अच्छा प्रदर्शन करने जा रहे हैं. हमने राज्य में एक यात्रा सहित कई आंदोलनात्मक कार्यक्रमों की योजना बनाई है. जिस पर काम किया जा रहा है.' यादव की यात्रा के दौरान राज्य के नेताओं ने आप के साथ कोई समझौता नहीं करने का सुझाव दिया था. उन्होंने कहा था कि सत्तारूढ़ और मुख्य विपक्ष के बीच समझौते से मतदाताओं में गलत संकेत जाएगा और पूर्व सहयोगी भाजपा और अकाली दल को फिर से एक साथ आने का मौका मिलेगा.

2022 में भी पंजाब के तत्कालीन एआईसीसी प्रभारी हरीश चौधरी ने नवजोत सिंह सिद्धू के खिलाफ तत्कालीन पार्टी प्रमुख सोनिया गांधी को शिकायत भेजी थी. यह आरोप लगाया गया कि सिद्धू ने पहले चेतावनियों के बावजूद उनकी सरकार के खिलाफ बयान दिए थे और पूर्व मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे. शिकायत में यह भी आरोप लगाया गया कि जब वारिंग कार्यभार संभाल रहे थे तब सिद्धू आए नए पीसीसी प्रमुख को शुभकामनाएं दीं और जल्दी से वहां से चले गए.

शिकायत में सिद्धू के उन ट्वीट्स का भी उल्लेख किया गया था जिसमें पूर्व राज्य इकाई प्रमुख ने चुनाव प्रबंधक प्रशांत किशोर की प्रशंसा की थी. उन्होंने पुरानी पार्टी को पुनर्जीवित करने की अपनी योजना के बाद कांग्रेस से नाता तोड़ लिया था, जिसकी समीक्षा वरिष्ठ नेताओं के एक समूह ने की थी.

दिलचस्प बात यह है कि यह किशोर ही थे, जो 2017 के विधानसभा चुनाव से पहले सिद्धू को भाजपा से कांग्रेस में लाए थे. सिद्धू ने अमृतसर पूर्व निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव जीता था और अमरिंदर सिंह कैबिनेट में मंत्री बने थे. सिद्धू उप मुख्यमंत्री बनना चाहते थे, लेकिन कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने इस प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया था. बाद में दोनों के बीच गंभीर मतभेद हो गए जिसके बाद सिद्धू ने सरकार छोड़ दी.

2021 में सिद्धू ने अमरिंदर सिंह के खिलाफ विद्रोह का नेतृत्व किया. आलाकमान द्वारा उन्हें सुनील जाखड़ की जगह राज्य इकाई का प्रमुख बनाया गया लेकिन, सिद्धू मुख्यमंत्री पर निशाना साधते रहे. उन्हें बाद में हटा दिया गया और उनकी जगह दलित सिख चरणजीत सिंह चन्नी को नियुक्त किया गया. यह भी सिद्धू और चन्नी को सार्वजनिक रूप से एक-दूसरे के खिलाफ बोलने से नहीं रोक सका. परिणामस्वरूप कांग्रेस चुनाव हार गई. बाद में सोनिया गांधी ने सिद्धू से इस्तीफा देने को कहा था.

ये भी पढ़ें- पंजाब के राज्यपाल पद से बनवारी लाल पुरोहित का इस्तीफा

नई दिल्ली: 11 फरवरी को पंजाब में कांग्रेस प्रमुख मल्लिकार्जुन खड़गे की मेगा रैली से पहले राज्य इकाई में गुटबाजी एआईसीसी तक पहुंच गई है. पार्टी के अंदरूनी सूत्रों के अनुसार पंजाब कांग्रेस प्रमुख अमरिंदर सिंह राजा वारिंग ने पंजाब के एआईसीसी प्रभारी देवेंद्र यादव से पूर्व राज्य इकाई प्रमुख नवजोत सिंह सिद्धू के खिलाफ उनकी कथित पार्टी विरोधी गतिविधियों की शिकायत की है.

हाल ही में अपनी दूसरी शिकायत में राजा वारिंग ने आरोप लगाया कि सिद्धू एक फरवरी को आयोजित पंजाब चुनाव समिति की बैठक में शामिल नहीं हुए. इसके बजाय उन्होंने अपने समर्थकों के साथ एक अलग बैठक की. वारिंग ने इसे पार्टी विरोधी गतिविधि बताते हुए सिद्धू के खिलाफ उचित कार्रवाई करने का सुझाव दिया है.

देवेंद्र यादव ने ईटीवी भारत से कहा,'मैं इस मुद्दे को देखूंगा. हमारी एक लोकतांत्रिक पार्टी है और राज्य के नेताओं के बीच कुछ छोटे मुद्दे हो सकते हैं लेकिन, ऐसा नहीं है कि इसे हल नहीं किया जा सकता है. वारिंग और-सिद्धू के बीच मनमुटाव राज्य इकाई में कुछ समय से चल रहा है और दोनों नेता एक-दूसरे के खिलाफ अप्रत्यक्ष रूप से हमले कर रहे हैं.

हाल ही में जब एआईसीसी प्रभारी राज्य इकाई की समीक्षा के लिए तीन दिवसीय यात्रा पर थे, तो वारिंग और सिद्धू दोनों ने एक-दूसरे के खिलाफ शिकायतें कीं. फिर भी 11 फरवरी को समराला में खड़गे की रैली से पहले आई शिकायत ने एआईसीसी के भीतर कुछ भौंहें चढ़ा दीं.

यादव ने कहा,'यह राज्य भर के हमारे बूथ स्तर के कार्यकर्ताओं का एक सम्मेलन है. हमें उम्मीद है कि यह एक बड़ी सफलता होगी. पूरी राज्य इकाई उत्तरी राज्य में सबसे पुरानी पार्टी को पुनर्जीवित करने के लिए कड़ी मेहनत कर रही है. सत्तारूढ़ आप के साथ गठबंधन से इनकार भी कांग्रेस को पुनर्जीवित करने की इच्छा का हिस्सा रहा है.

उन्होंने कहा, 'राज्य की सभी 13 लोकसभा सीटों पर हमारी तैयारी चल रही है. हम अच्छा प्रदर्शन करने जा रहे हैं. हमने राज्य में एक यात्रा सहित कई आंदोलनात्मक कार्यक्रमों की योजना बनाई है. जिस पर काम किया जा रहा है.' यादव की यात्रा के दौरान राज्य के नेताओं ने आप के साथ कोई समझौता नहीं करने का सुझाव दिया था. उन्होंने कहा था कि सत्तारूढ़ और मुख्य विपक्ष के बीच समझौते से मतदाताओं में गलत संकेत जाएगा और पूर्व सहयोगी भाजपा और अकाली दल को फिर से एक साथ आने का मौका मिलेगा.

2022 में भी पंजाब के तत्कालीन एआईसीसी प्रभारी हरीश चौधरी ने नवजोत सिंह सिद्धू के खिलाफ तत्कालीन पार्टी प्रमुख सोनिया गांधी को शिकायत भेजी थी. यह आरोप लगाया गया कि सिद्धू ने पहले चेतावनियों के बावजूद उनकी सरकार के खिलाफ बयान दिए थे और पूर्व मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे. शिकायत में यह भी आरोप लगाया गया कि जब वारिंग कार्यभार संभाल रहे थे तब सिद्धू आए नए पीसीसी प्रमुख को शुभकामनाएं दीं और जल्दी से वहां से चले गए.

शिकायत में सिद्धू के उन ट्वीट्स का भी उल्लेख किया गया था जिसमें पूर्व राज्य इकाई प्रमुख ने चुनाव प्रबंधक प्रशांत किशोर की प्रशंसा की थी. उन्होंने पुरानी पार्टी को पुनर्जीवित करने की अपनी योजना के बाद कांग्रेस से नाता तोड़ लिया था, जिसकी समीक्षा वरिष्ठ नेताओं के एक समूह ने की थी.

दिलचस्प बात यह है कि यह किशोर ही थे, जो 2017 के विधानसभा चुनाव से पहले सिद्धू को भाजपा से कांग्रेस में लाए थे. सिद्धू ने अमृतसर पूर्व निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव जीता था और अमरिंदर सिंह कैबिनेट में मंत्री बने थे. सिद्धू उप मुख्यमंत्री बनना चाहते थे, लेकिन कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने इस प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया था. बाद में दोनों के बीच गंभीर मतभेद हो गए जिसके बाद सिद्धू ने सरकार छोड़ दी.

2021 में सिद्धू ने अमरिंदर सिंह के खिलाफ विद्रोह का नेतृत्व किया. आलाकमान द्वारा उन्हें सुनील जाखड़ की जगह राज्य इकाई का प्रमुख बनाया गया लेकिन, सिद्धू मुख्यमंत्री पर निशाना साधते रहे. उन्हें बाद में हटा दिया गया और उनकी जगह दलित सिख चरणजीत सिंह चन्नी को नियुक्त किया गया. यह भी सिद्धू और चन्नी को सार्वजनिक रूप से एक-दूसरे के खिलाफ बोलने से नहीं रोक सका. परिणामस्वरूप कांग्रेस चुनाव हार गई. बाद में सोनिया गांधी ने सिद्धू से इस्तीफा देने को कहा था.

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