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लोकसभा चुनाव: क्या परिवारवाद की डगर से राजनीति में आए नेताओं को मिलेगा जनता का प्यार? - Lok Sabha Election 2024

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Apr 18, 2024, 6:54 PM IST

Lok Sabha Election 2024: उत्तर प्रदेश में परिवारवाद की राजनीति खूब फल-फूल रही है. अब देखना है कि लोकसभा चुनाव क्या क्या परिवारवाद की डगर से राजनीति में आए नेताओं को जनता का प्यार मिलेगा.

लोकसभा चुनाव: क्या परिवारवाद की डगर से राजनीति में आए नेताओं को मिलेगा जनता का प्यार?
Political Nepotism of NDA BJP SBSP RLD in Lok Sabha Election 2024

लखनऊ: भले ही केंद्र और प्रदेश की सरकारों में सत्तारूढ़ भाजपा परिवारवाद को चुनावी मुद्दा बनाती रही हो, लेकिन उत्तर प्रदेश में परिवारवाद की राजनीति खूब फल-फूल रही है. कई नेताओं और नौकरशाहों की नई पीढ़ियां राजनीति में आ चुकी हैं और जीत की ख्वाहिश से बेकरार हैं. एनडीए के सहयोगी दल भी अपनी पीढ़ियों को राजनीति में मुकाम दिलाने के लिए जी-जान से लगे हुए हैं.

यह बात और है कि मुख्य विपक्षी दल सपा पर परिवारवाद की राजनीति के खूब आरोप लगते हैं. सैफई कुनबे के चार नेता लोकसभा चुनाव मैदान में हैं, तो वहीं भाजपा के सहयोगी अपना दल, सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी और निषाद पार्टी भी इसी डगर चल पड़े हैं. यदि सपाई कुनबे की बात करें, तो सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव के परिवार से चार प्रत्याशी मैदान में हैं. मैनपुरी से मुलायम सिंह यादव की बहू डिंपल यादव, फिरोजाबाद से अखिलेश यादव के चचेरे भाई अक्षय यादव, आजमगढ़ से मुलायम के भतीजे धर्मेंद्र यादव और बदायूं से मुलायम के भाई शिवपाल यादव के पुत्र आदित्य यादव के नाम शामिल हैं.

वहीं कुर्मी नेता रहे सोनेलाल पटेल का परिवार भी दो धड़ों में बटकर राजनीति में सक्रिय है. अपना दल (कमेरावादी) की अध्यक्ष कृष्णा पटेल और उनकी पुत्री पल्लवी पटेल भी चुनाव लड़ने का एलान कर चुकी हैं. हालांकि उन्होंने अभी सीटों की घोषणा नहीं की है, लेकिन यह तय माना जा रहा है कि वह पूर्वांचल की किसी सीट से मैदान में उतरेंगी. सोनेलाल पटेल की छोटी बेटी और अपना दल (सोनेलाल) की अध्यक्ष अनुप्रिया पटेल भी मिर्जापुर से चुनाव मैदान में हैं. उनके पति आशीष पटेल राज्य सरकार में कैबिनेट मंत्री हैं.

अनुप्रिया पटेल भी मोदी सरकार के दोनों कार्यकाल में केंद्रीय राज्य मंत्री के पद पर रही हैं. यदि वह चुनाव जीतती हैं, तो यह उनकी तीसरी पारी होगी. भाजपा के एक और सहयोगी दल सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर, जो प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री भी हैं, ने अपने बेटे अरविंद राजभर मऊ जिले की घोसी संसदीय सीट से प्रत्याशी बनाया है. वह पिछले पांच साल से भी अधिक समय से अपने बेटों के भविष्य को लेकर खासा चिंतित थे. इसी कारण उन्होंने पहले भाजपा का साथ छोड़ा. फिर सपा के साथ आए. सपा में बेटे का भविष्य न देख दोबारा भाजपा में लौट आए और अंतत: भाजपा ने उनकी इच्छा भी पूरी कर दी.

निषाद पार्टी के अध्यक्ष और प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री डॉ संजय निषाद अपने पुत्र प्रवीण निषाद को एक बार फिर भाजपा से टिकट दिलाने में कामयाब रहे हैं. संजय निषाद चाहते थे कि उनके बेटे को इस बार निषाद पार्टी से ही टिकट मिल जाए, लेकिन भाजपा ने उनकी यह मांग नहीं मानी. पिछले चुनाव में वह संतकबीर नगर सीट से चुनकर संसद पहुंचे थे. इस बार फिर वह इसी सीट से मैदान में हैं. वहीं अंबेडकरनगर के चर्चित नेता राकेश पांडेय के पुत्र और पूर्व सांसद रितेश पांडेय एक बार फिर अंबेडकरनगर संसदीय सीट से अपनी किस्मत आजमाने वाले हैं. 2019 में वह बसपा के टिकट पर चुनाव लड़े थे और जीत कर संसद भी पहुंचे थे. इस बार चुनाव से ऐन पहले उन्होंने भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली और चुनाव मैदान में हैं.

यदि अन्य नेताओं की बात करें, तो संभल संसदीय सीट से लोकसभा सदस्य रहे शफीकुर्रहमान बर्क के पौत्र जियाउर्रहमान बर्क इसी सीट से अपनी किस्मत आजमा रहे हैं. वह मुरादाबाद जिले की कुंदरकी विधानसभा सीट से विधायक भी हैं. पू्र्व केंद्रीय मंत्री और मुलायम सिंह यादव के घनिष्ठ सहयोगी रहे बेनी प्रसाद वर्मा की पोती श्रेया वर्मा भी गोंडा लोकसभा सीट से चुनाव मैदान में हैं. इनके पिता राकेश वर्मा सपा सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे हैं. श्रेया वर्मा सपा महिला सभा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भी हैं.

वहीं कैराना संसदीय सीट से चार बार सांसद रहे मुनव्वर हसन की बेटी इकरा हसन इसी सीट से सपा के टिकट पर चुनाव मैदान में हैं. वह पिता की विरासत संभालेंगी. इकरा ने लंदन से कानून की पढ़ाई की है. कभी नौकरशाह रहे वरिष्ठ कांग्रेस नेता और पूर्व सांसद पीएल पुनिया के पुत्र तनुज पुनिया कांग्रेस के टिकट पर बाराबंकी से अपनी किस्मत आजमा रहे हैं. वह चौथी बार चुनाव मैदान में हैं.

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