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जशपुर जिले के समाज सेवक जागेश्वर यादव को पद्मश्री पुरस्कार, बिरहोर आदिवासियों के लिए किया ये काम - Padma shri award

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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : May 10, 2024, 7:33 AM IST

Updated : May 10, 2024, 10:38 PM IST

Jageshwar Yadav Honored, Birhor Tribals, Padma Shri Award बिरहोर के भाई के नाम से मशहूर समाज सेवक जागेश्वर यादव को पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया है. जागेश्वर यादव ने आदिवासियों को शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार के प्रति जागरूक किया. जिससे उनकी दशा और दिशा बदली.

Padma shri award
जागेश्वर यादव को पद्मश्री पुरस्कार (ETV Bharat Chhattisgarh)

जशपुर: छत्तीसगढ़ के जशपुर जिले के रहने वाले समाज सेवक जागेश्वर यादव को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया है. गुरुवार को राष्ट्रपति भवन, दिल्ली में आयोजित पद्म पुरस्कार समारोह में जागेश्वर यादव को पद्मश्री से सम्मानित किया गया. छत्तीसगढ़ सीएम विष्णुदेव साय ने उन्हें बधाई दी है.

सीएम विष्णुदेव साय जागेश्वर यादव को दी शुभकामनाएं: सीएम विष्णुदेव साय ने जशपुर के जागेश्वर यादव को पद्मश्री सम्मान मिलने पर खुशी जाहिर की है. उन्होंने सोशल मीडिया साइट एक्स पर ट्वीट कर लिखा कि"छत्तीसगढ़ के विशेष पिछड़ी जनजातियों के उत्थान के लिए अपना जीवन समर्पित करने वाले "बिरहोर के भाई" श्री जागेश्वर यादव जी को महामहिम राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू जी द्वारा पद्मश्री सम्मान से अलंकृत किया जाना पूरे प्रदेश के लिए गौरव का क्षण है. उन्हें बहुत-बहुत बधाई एवं शुभकामनाएंआदिवासी उत्थान के लिए प्रतिबद्ध आपका सम्पूर्ण जीवन प्रेरणादायक और अनुकरणीय है"

क्यों मिला पद्मश्री पुरस्कार: बिरहोर आदिवासियों के उत्थान के लिए बेहतर कार्य के लिए उन्हें यह पुरस्कार दिया गया. बगीचा ब्लॉक के भितघरा गांव में पहाड़ियों व जंगल के बीच रहने वाले जागेश्वर यादव 1989 से ही बिरहोर जनजाति के लिए काम कर रहे हैं. उन्होंने इसके लिए जशपुर जिले में एक आश्रम की स्थापना की. साथ ही शिविर लगाकर निरक्षरता को खत्म करने और स्वास्थ्य व्यवस्था लोगों तक पहुंचाने के लिए कड़ी मेहनत की. उनके प्रयासों का नतीजा था कि कोरोना के दौरान टीकाकरण की सुविधा मुहैया कराई जा सकी. इसके अलावा शिशु मृत्यु दर को कम करने में भी मदद मिली.

जागेश्वर यादव का जन्म जशपुर जिले के भितघरा में हुआ. बचपन से ही इन्होंने बिरहोर आदिवासियों की दुर्दशा देखी थी. उस समय घने जंगलों में रहने वाले बिरहोर आदिवासी शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार से वंचित थे. जागेश्वर ने इनके जीवन को बदलने का फैसला किया. इसके लिए सबसे पहले उन्होंने आदिवासियों के बीच रहना शुरू किया. उनकी भाषा और संस्कृति को सीखा. इसके बाद उनमें शिक्षा की अलख जगाई, और उनके बच्चों को स्कूलों में भेजने के लिए प्रोत्साहित किया.

बिरहोर के भाई के नाम से मशहूर जागेश्वर यादव: जागेश्वर यादव 'बिरहोर के भाई' के नाम से चर्चित हैं. जागेश्वर को उनके बेहतर काम के लिए पहले भी 2015 में शहीद वीर नारायण सिंह सम्मान मिल चुका है. जागेश्वर के लिए आर्थिक कठिनाइयों की वजह से यह सब आसान नहीं था. लेकिन उनका जुनून सामाजिक परिवर्तन लाने में सहायक रहा.

जागेश्वर बताते हैं कि पहले बिरहोर जनजाति के लोग उनके बच्चे अन्य लोगों से मिलते जुलते नहीं थे. बाहरी लोगों को देखते ही भाग जाते थे. इतना ही नहीं जूतों के निशान देखकर भी छिप जाते थे. ऐसे में पढ़ाई के लिए स्कूल जाना तो बड़ी दूर की बात थी. लेकिन अब समय बदल गया है. अब इस जनजाति के बच्चे भी स्कूल जाते हैं.

जागेश्वर यादव के पद्मश्री पुरस्कार के लिए चयनित होने के बाद से ही परिवार और पूरा गांव खुशियां मना रहा है. लोगों का बधाई देने के लिए उनके घर आने का सिलसिला जारी रहा. जागेश्वर यादव को पद्मश्री मिलने के बाद परिवार और पूरे गांव सहित जिले भर में लोग गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं.

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Last Updated : May 10, 2024, 10:38 PM IST
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